इन दिनों भूगोल की पढ़ाई नेता लोग बहुते अधिक कर रहे हैं. यदि नेता लोग इस तरह बतियाते रहेंगे, तो वह दिन दूर नहीं, जब देश के सभी नेताओं को राजनीतिशास्त्र के बदले भूगोल पढ़ना अनिवार्य कर दिया जायेगा. आजकल जहां भी देखिये, नेता लोग भूगोल की ही बातें करते रहते हैं. वैसे भी राजनीतिशास्त्र में रखा ही क्या है कि नेता लोग इसे पढ़ें. आजकल भ्रष्टाचार नेताओं और जनता के लिए सबसे बड़ा सिरदर्द है, लेकिन इसका कोई समाधान इन किताबों में नहीं है. इसमें वही सब ज्ञान है, जो आज के नेता को मतलब नहीं है. जिन नेताओं को राजनीतिशास्त्र का थोड़ा बहुत भी ज्ञान है, वे सिर्फ नेतागिरी कर रहे हैं. इससे न तो वे अपने परिवार की भलाई कर पा रहे हैं और न ही देश की. हालात तो इतनी खराब हो गयी है कि इस तरह के नेताओं के आने से टीवी चैनल्स की टीआरपी भी नहीं बढ़ रही है. एक समय अन्ना आंदोलन के समय ईमानदार लोगों की किल्लत भी इसी तरह की हो गयी थी. उस समय ईमानदार न होने बावजूद जो भ्रष्टाचार और ईमानदारी के बारे में अच्छी स्पीच दे सकते थे, उन्हें हर टीवी चैनल्स बुलाते थे. अपनी वाकपटुता से आज वे राजनीति के अर्श पर हैं. वही हालात इस समय भूगोल विशेषज्ञ के बनते जा रहे हैं. इन दिनों उन नेताओं और एक्सपर्ट की बल्ले-बल्ले हो रही है, जिसे भूगोल का थोड़ा बहुत भी ज्ञान है. यदि भूगोल का ज्ञान नहीं भी है, लेकिन रट कर आ रहे हैं, उन्हें भी टीवी पर फोटू सहित दिखाया जा रहा है. चूंकि भूगोल नेताओं का कभी भी पसंदीदा विषय नहीं रहा था, इस कारण कुछ प्रधानमंत्री मैटेरियल्स वाले नेता ही भूगोल के बारे में जानते हैं और वे भूगोल को अपने हिसाब से बदलने की क्षमता भी रखते हैं. लोकसभा चुनाव नजदीक है और जिस तरह के चुनावी सर्वे आ रहे हैं, उससे हर एक पार्टी के नेताओं को प्रधानमंत्री बनने का सपना आ रहा है. इस कारण सभी नेता न केवल भूगोल पढ़ रहे हैं, बल्कि भूगोल पढ़ कर टीवी पर एक्सपर्ट कमेंट भी दे रहे हैं, ताकि जनता को ये न लगे कि उनमें प्रधानमंत्री बनने की क्वालिटी नहीं है. नेताओं के भूगोल पढ़ने का ही कमाल है कि सिर्फ भूगोल पढ़े ही नहीं जा रहे हैं, बल्कि भूगोल बदले भी जा रहे हैं. जिसे भूगोल का जितना अधिक ज्ञान है, वे उसी तरह उनकी व्याख्या कर रहे हैं. वैसे भी आदर्श नेता वही होते हैं, जो भूगोल बदलने की क्षमता रखते हैं. पुराने जमाने में उन्हें बेहतर नेता माना जाता था, जो इतिहास बदलने की क्षमता रखते थे. बेचारा भूगोल सोशल साइंस का फेवरेट सब्जेक्ट होने के बावजूद दलित की तरह उपेक्षित ही बना रहा. वे सोशल साइंस का फेवरेट हिस्सेदार होने के बावजूद हमेशा इतिहास और राजनीतिशास्त्र से पिछड़ जाते थे. लेकिन देर ही सही, भूगोल ने अपनी एंट्री रितिक रोशन की कहो न प्यार है फिल्म की तरह जबरदस्त की है. कहो न प्यार है के बाद रितिक एकाएक तीनों खान का विकल्प बन गये थे और उनके बारे में बहुत सारे फिल्मी विशेषज्ञ उभर आये थे. एकाएक सभी टीवी चैनल्स के साथ ही नेताओं और इससे जुड़े लोगों के लिए हॉट विषय बन गया है भूगोल. खुद को इतनी महत्ता पा कर वह फूला नहीं समा रहा है. खुशी में वह अपना स्थान ही भूल गया है, जिसका लाभ आज के नेता लोग उठा रहे हैं. भूगोल को कुछ समझ में नहीं आ रहा है कि उसका स्थान कहां है. वे दल-बदलू की तरह अपनी सीट लगातार बदल रहे हैं और नेता लोग आपस में लड़ रहे हैं कि उन्होंने भूगोल बदला है. आप ही बताइये कि जब उन्हें पढ़ने तक का टाइम नहीं है, तो वह भूगोल कैसे बदल सकता है? वैसे भी कहा गया है कि जब तक आप नहीं बदलेंगे, आपको कोई नहीं बदल सकता है. भूगोल भी अपवाद नहीं है.
शनिवार, 30 नवंबर 2013
भूगोल पढ़िये, प्रधानमंत्री बनिये
इन दिनों भूगोल की पढ़ाई नेता लोग बहुते अधिक कर रहे हैं. यदि नेता लोग इस तरह बतियाते रहेंगे, तो वह दिन दूर नहीं, जब देश के सभी नेताओं को राजनीतिशास्त्र के बदले भूगोल पढ़ना अनिवार्य कर दिया जायेगा. आजकल जहां भी देखिये, नेता लोग भूगोल की ही बातें करते रहते हैं. वैसे भी राजनीतिशास्त्र में रखा ही क्या है कि नेता लोग इसे पढ़ें. आजकल भ्रष्टाचार नेताओं और जनता के लिए सबसे बड़ा सिरदर्द है, लेकिन इसका कोई समाधान इन किताबों में नहीं है. इसमें वही सब ज्ञान है, जो आज के नेता को मतलब नहीं है. जिन नेताओं को राजनीतिशास्त्र का थोड़ा बहुत भी ज्ञान है, वे सिर्फ नेतागिरी कर रहे हैं. इससे न तो वे अपने परिवार की भलाई कर पा रहे हैं और न ही देश की. हालात तो इतनी खराब हो गयी है कि इस तरह के नेताओं के आने से टीवी चैनल्स की टीआरपी भी नहीं बढ़ रही है. एक समय अन्ना आंदोलन के समय ईमानदार लोगों की किल्लत भी इसी तरह की हो गयी थी. उस समय ईमानदार न होने बावजूद जो भ्रष्टाचार और ईमानदारी के बारे में अच्छी स्पीच दे सकते थे, उन्हें हर टीवी चैनल्स बुलाते थे. अपनी वाकपटुता से आज वे राजनीति के अर्श पर हैं. वही हालात इस समय भूगोल विशेषज्ञ के बनते जा रहे हैं. इन दिनों उन नेताओं और एक्सपर्ट की बल्ले-बल्ले हो रही है, जिसे भूगोल का थोड़ा बहुत भी ज्ञान है. यदि भूगोल का ज्ञान नहीं भी है, लेकिन रट कर आ रहे हैं, उन्हें भी टीवी पर फोटू सहित दिखाया जा रहा है. चूंकि भूगोल नेताओं का कभी भी पसंदीदा विषय नहीं रहा था, इस कारण कुछ प्रधानमंत्री मैटेरियल्स वाले नेता ही भूगोल के बारे में जानते हैं और वे भूगोल को अपने हिसाब से बदलने की क्षमता भी रखते हैं. लोकसभा चुनाव नजदीक है और जिस तरह के चुनावी सर्वे आ रहे हैं, उससे हर एक पार्टी के नेताओं को प्रधानमंत्री बनने का सपना आ रहा है. इस कारण सभी नेता न केवल भूगोल पढ़ रहे हैं, बल्कि भूगोल पढ़ कर टीवी पर एक्सपर्ट कमेंट भी दे रहे हैं, ताकि जनता को ये न लगे कि उनमें प्रधानमंत्री बनने की क्वालिटी नहीं है. नेताओं के भूगोल पढ़ने का ही कमाल है कि सिर्फ भूगोल पढ़े ही नहीं जा रहे हैं, बल्कि भूगोल बदले भी जा रहे हैं. जिसे भूगोल का जितना अधिक ज्ञान है, वे उसी तरह उनकी व्याख्या कर रहे हैं. वैसे भी आदर्श नेता वही होते हैं, जो भूगोल बदलने की क्षमता रखते हैं. पुराने जमाने में उन्हें बेहतर नेता माना जाता था, जो इतिहास बदलने की क्षमता रखते थे. बेचारा भूगोल सोशल साइंस का फेवरेट सब्जेक्ट होने के बावजूद दलित की तरह उपेक्षित ही बना रहा. वे सोशल साइंस का फेवरेट हिस्सेदार होने के बावजूद हमेशा इतिहास और राजनीतिशास्त्र से पिछड़ जाते थे. लेकिन देर ही सही, भूगोल ने अपनी एंट्री रितिक रोशन की कहो न प्यार है फिल्म की तरह जबरदस्त की है. कहो न प्यार है के बाद रितिक एकाएक तीनों खान का विकल्प बन गये थे और उनके बारे में बहुत सारे फिल्मी विशेषज्ञ उभर आये थे. एकाएक सभी टीवी चैनल्स के साथ ही नेताओं और इससे जुड़े लोगों के लिए हॉट विषय बन गया है भूगोल. खुद को इतनी महत्ता पा कर वह फूला नहीं समा रहा है. खुशी में वह अपना स्थान ही भूल गया है, जिसका लाभ आज के नेता लोग उठा रहे हैं. भूगोल को कुछ समझ में नहीं आ रहा है कि उसका स्थान कहां है. वे दल-बदलू की तरह अपनी सीट लगातार बदल रहे हैं और नेता लोग आपस में लड़ रहे हैं कि उन्होंने भूगोल बदला है. आप ही बताइये कि जब उन्हें पढ़ने तक का टाइम नहीं है, तो वह भूगोल कैसे बदल सकता है? वैसे भी कहा गया है कि जब तक आप नहीं बदलेंगे, आपको कोई नहीं बदल सकता है. भूगोल भी अपवाद नहीं है.
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