आजकल के बच्चे इतने इंटेलिजेंट होते हैं कि अगर उन्हें सही ’िाक्षा दी जाए तो वह अपनी इच्छानुसार अपने क्षेऋ में सुपरमैन बन सकता है...
वैभव टीवी देख रहा था! वह हमे’ाा टीवी ही देखा करता था! कभी डोरे माWम तो कभी कार्टून चैनल देखता रहता था! वैभव के इस व्यवहार से घर के सभी लोग काफी परे’ाान रहा करते थे! अगर कोई पूछता कि तुम क्या बनना चाहते हो, तो तपाक से बोलता कि मैं सुपरमैन बनना चाहता हूं! उसकी बातों से दादा जी नाराज हो जाते थे और गुस्से में बोलते थे कि आज के बच्चा का कोई करियर नहीं है, लेकिन वैभव की मम्मी काफी खु’ा हो जाती और कहने लगती कि मेरा बेटा सुपरमैन अव’य बनेगा!वैभव के दादा जी को समझ में नहीं आता कि आजकल के बच्चे को क्या हो गया है! हमारे जमाने में बच्चा सिर्फ राणा प्रताप या राजेंदz प्रसाद बनने की ही बात करता था! कहानी भी इसी के इर्द गिर्द घूमती रहती थी!टीवी में भी यही सब देखने को मिलता था! उनके समय में टीवी का इतना प्रचलन भी नहीं था! रेडियो भी सभी के घरों में नहीं रहता था! उस समय जिसके घर में रेडियो रहता था, उसे अमीर और रसूखदार माना जाता था! जब किसी लडके की ’ाादी की बात होती थी, दहेज में रेडियो और साइकिल मांगा जाता था और ’ाादी के बाद ससुराल का सफर इसी से होता था! वह दिन भी कुछ और थे! ससुराल जाने में किराया भी खर्च नहीं होता था और हवा भी प्रदूसित होने से बच जाती थी! आजकल सुविधा बढने से हवा इस तरह प्रदुसित हो गई है कि सांस लेना तक संभव नहीं रह गया है!
दादा जी बताते हैं कि उस समय 24 घंटे का न्यूज सुनने को नहीं मिलता था! 24 घंटे में दो बार ही न्यूज सुनने को मिलते थे! इतनी असुविधा के बावजूद हमलोगों को यह याद रहता था कि किस राज्य में किस दल की सरकार है और कौन इसका मुखिया है! वे कहते हैं कि आज का वातारण और सुविधा हमलोगों से भिन्न है, फिर भी आज का बच्चा उतना तेज नहीं हैं, जितना हमलोगों के समय में हुआ करता था! दादा जी अपने जमाने में बहुत तेज स्टूडेंट थे! उनकी आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी! उनके पिता किसान थे, इस कारण पढाई खेती पर निर्भर थी! कहते हैं कि उस समय कोई स्कूल के लिए कोई कपडा भी नहीं होता था! क्योंकि लोगों को घर में पहहने के लिए भी कपडे नहीं मिलते थे! उस समय इसका कोई महत्व भी नहीं था! अभी तो सिर्फ वैभव के कपडे में ही हजारों रूपये खर्च हो चुके हैं और फीस की इतनी मोटी रकम है कि इतनी फीस में उस समय के बीएससी की पूरी पढाई हो जाती थी! उस समय अंगzेजी स्कूल तो दूर, आसपास के दस किलोमीटर तक एक स्कूल भी नहीं हुआ करता था और आज की तरह घर बैठे बस की सुविधा भी नहीं थी! स्टूडेंट को बिना चप्पल के पैदल ही स्कूल जाना पडता था! फिर भी अंगzेजी अच्छी थी! खैर वह जमाना दूसरा था!
एक दिन वह वैभव को समझाने लगे कि देखो वैभव, सुपर मैन कोई नहीं होता है, जो तुम बनना चाहते हो! यह सिर्फ टीवी में दिखाया जाता है! टीवी लोगों को बेवकूफ बनाता है! इसलिए इसे इडियट बाWक्स कहा जाता है! यदि टीवी लोगों को बेबकूफ बना रहा है तो आप रोज रामायण और मम्मी सीरियल क्यों देखते हैं और पापा भी तो किzकेट देखते हैं दादा जी! आप मुझे उल्लू बना रहे हैं न दादा जी! आप सोचते हैं कि मैं टीवी न देखूं और आपलोग टीवी देखकर खूब मजे करें, यह नहीं हो सकता है! छोटा वैभव एक सांस में वह सबकुछ बोल गया,जो दादा जी सपने में भी नहीं सोचे थे! वह सोचने लगे कि आज का बच्चा कितना फास्ट हो गया! सुपर मैन एक कल्पना है! यह हकीकत में नहीं होता है! वास्तविक जीवन में सुपरमैन बनने से पेट भी नहीं भरता है! दादा जी की बात ख्त्म होते ही वैभव बोला- आप चिंता मत करिए दादा जी,सुपरमैन कुछ भी ला सकता है और किसी को भी मार सकता है! किसी के घर से खाना लाना तो उसके बाएं हाथ का खेल है! दादा जी समझ नहीं पा रहे थे कि इस बच्चे को किस तरह पटरी पर लाया जाए!उनकी सारी प्रतिभा यहां जवाब दे रही थी और इतने सालों का अनुभव भी वैभव को समझा पाने में असमर्थ हो रहा था! अंतिम प्रयास करते हुए दादा जी बोले- बेटा, बनना हो, तो आईएएस बनो, इंजीनियर बनो या डाWक्टर! इससे दे’ा और समाज का भी भला होगा और तुम्हें बहुत सारे पैसे भी मिलेंगे! ये डाWक्टर और इंजीनियर क्या होता है! ये तो पैसे नहीं कमाते हैं! पैसे तो इनके पास नहीं होते हैं! पैसे तो एटीएम में होते हैं दादा जी! आपको भी जब जरूरत पडती है, एटीएम से पैसे निकाल लेते हैं! मैं भी बडा होकर चार एटीएम रखूंगा और आपको काफी पैसे दूंगा! दादा जी वभव की बातों से परे’ाान हो गए! एक सुपरमैन ही है, जो सबकुछ एक साथ कर सकता है! पुरानी यादों में खेकर वह एकाएक रोने लगा औार तै’ा में आकर बोला कि जब मैं बीमार पडा था तो डाक्टर अंकल ने हमें कई सूई और कडवी दवाई दिए थे! सुपर मैन बनकर मैं भी उस डाWक्टर अंकल को सूई और दवाई दे दूंगा और उन्हें मजा चखाउंगा! अंत में दादा जी को वार्निंग देते हुए वैभव बोला- टीवी ये आईएएस और डाWक्टर के बारे में कभी नहीं दिखाता है! इस कारण मैं डाWक्टर के बारे में कुछ नहीं जानता हूं! मुझे सिर्फ सुपरमैन या डोरेमाWम बनना है! वैभव दादा जी को सपने की उडान में लेकर जाने लगा! और तोतली भासा में बोलने लगा कि सुपर मैन बनकर आपको आका’ा में लेकर उड जाउंगा और भगवान की पूजा आप रोज करते हैं, तो भगवान के पास पहुंचा दूंगा और फिर मम्मी को बहुत सारा सामान बाजार से खरीद दूंगा!दादी को भी बहुत सामान दूंगा! दादा जी वैभव की बातों से सीरियस हो गये और सोचने लगे कि सुपर मैन का यही अर्थ होता है ? फिर वैभव बोला कि सुपर मैन का मतलब ही यही होता है कि कोई भी काम उसके लिए असंभव नहीं हो! दादाजी अपने अनुभव का इस्तेमाल करते हुए बोले कि यस सुपरमैन का मतलब यही होता है! इस कारण तुम पढकर आईएएस बन जाओ! इस पर तापाक से वैभव बोला कि दादा जी हमारी उमz पांच साल की है और हमारी यह उमz नहीं है आईएएस बनने का! उमz तो खेलने का है और आपलोगों को परे’ाान करने का! दादी ने हमें यही बताई थी, समझे आप! है न दादी! जब मैं कल स्कूल नहीं जा रहा था, तो तुमने तो यही मम्मी को बोली थी न! वैभव का उत्तर सुनकर दादा सहित सभी के आंखों में खु’ाी के आंसू टपक पडे और दादा जी चिल्लाकर बोले कि जो परिस्थिति को अपने हिसाब से मोड ले, उसे ही कहते हैं सुपर मैन! मेरा पोता है सुपर मैन! वैभव को दादा जी गोद में उठा लिए और घुमाने के लिए पार्क लेकर चले गए! वैभव भी इसका आनंद ले रहा था और दादा जी भी अपने पोते की बातों से फूले नहीं समा रहे थे!
दादा जी बताते हैं कि उस समय 24 घंटे का न्यूज सुनने को नहीं मिलता था! 24 घंटे में दो बार ही न्यूज सुनने को मिलते थे! इतनी असुविधा के बावजूद हमलोगों को यह याद रहता था कि किस राज्य में किस दल की सरकार है और कौन इसका मुखिया है! वे कहते हैं कि आज का वातारण और सुविधा हमलोगों से भिन्न है, फिर भी आज का बच्चा उतना तेज नहीं हैं, जितना हमलोगों के समय में हुआ करता था! दादा जी अपने जमाने में बहुत तेज स्टूडेंट थे! उनकी आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी! उनके पिता किसान थे, इस कारण पढाई खेती पर निर्भर थी! कहते हैं कि उस समय कोई स्कूल के लिए कोई कपडा भी नहीं होता था! क्योंकि लोगों को घर में पहहने के लिए भी कपडे नहीं मिलते थे! उस समय इसका कोई महत्व भी नहीं था! अभी तो सिर्फ वैभव के कपडे में ही हजारों रूपये खर्च हो चुके हैं और फीस की इतनी मोटी रकम है कि इतनी फीस में उस समय के बीएससी की पूरी पढाई हो जाती थी! उस समय अंगzेजी स्कूल तो दूर, आसपास के दस किलोमीटर तक एक स्कूल भी नहीं हुआ करता था और आज की तरह घर बैठे बस की सुविधा भी नहीं थी! स्टूडेंट को बिना चप्पल के पैदल ही स्कूल जाना पडता था! फिर भी अंगzेजी अच्छी थी! खैर वह जमाना दूसरा था!
एक दिन वह वैभव को समझाने लगे कि देखो वैभव, सुपर मैन कोई नहीं होता है, जो तुम बनना चाहते हो! यह सिर्फ टीवी में दिखाया जाता है! टीवी लोगों को बेवकूफ बनाता है! इसलिए इसे इडियट बाWक्स कहा जाता है! यदि टीवी लोगों को बेबकूफ बना रहा है तो आप रोज रामायण और मम्मी सीरियल क्यों देखते हैं और पापा भी तो किzकेट देखते हैं दादा जी! आप मुझे उल्लू बना रहे हैं न दादा जी! आप सोचते हैं कि मैं टीवी न देखूं और आपलोग टीवी देखकर खूब मजे करें, यह नहीं हो सकता है! छोटा वैभव एक सांस में वह सबकुछ बोल गया,जो दादा जी सपने में भी नहीं सोचे थे! वह सोचने लगे कि आज का बच्चा कितना फास्ट हो गया! सुपर मैन एक कल्पना है! यह हकीकत में नहीं होता है! वास्तविक जीवन में सुपरमैन बनने से पेट भी नहीं भरता है! दादा जी की बात ख्त्म होते ही वैभव बोला- आप चिंता मत करिए दादा जी,सुपरमैन कुछ भी ला सकता है और किसी को भी मार सकता है! किसी के घर से खाना लाना तो उसके बाएं हाथ का खेल है! दादा जी समझ नहीं पा रहे थे कि इस बच्चे को किस तरह पटरी पर लाया जाए!उनकी सारी प्रतिभा यहां जवाब दे रही थी और इतने सालों का अनुभव भी वैभव को समझा पाने में असमर्थ हो रहा था! अंतिम प्रयास करते हुए दादा जी बोले- बेटा, बनना हो, तो आईएएस बनो, इंजीनियर बनो या डाWक्टर! इससे दे’ा और समाज का भी भला होगा और तुम्हें बहुत सारे पैसे भी मिलेंगे! ये डाWक्टर और इंजीनियर क्या होता है! ये तो पैसे नहीं कमाते हैं! पैसे तो इनके पास नहीं होते हैं! पैसे तो एटीएम में होते हैं दादा जी! आपको भी जब जरूरत पडती है, एटीएम से पैसे निकाल लेते हैं! मैं भी बडा होकर चार एटीएम रखूंगा और आपको काफी पैसे दूंगा! दादा जी वभव की बातों से परे’ाान हो गए! एक सुपरमैन ही है, जो सबकुछ एक साथ कर सकता है! पुरानी यादों में खेकर वह एकाएक रोने लगा औार तै’ा में आकर बोला कि जब मैं बीमार पडा था तो डाक्टर अंकल ने हमें कई सूई और कडवी दवाई दिए थे! सुपर मैन बनकर मैं भी उस डाWक्टर अंकल को सूई और दवाई दे दूंगा और उन्हें मजा चखाउंगा! अंत में दादा जी को वार्निंग देते हुए वैभव बोला- टीवी ये आईएएस और डाWक्टर के बारे में कभी नहीं दिखाता है! इस कारण मैं डाWक्टर के बारे में कुछ नहीं जानता हूं! मुझे सिर्फ सुपरमैन या डोरेमाWम बनना है! वैभव दादा जी को सपने की उडान में लेकर जाने लगा! और तोतली भासा में बोलने लगा कि सुपर मैन बनकर आपको आका’ा में लेकर उड जाउंगा और भगवान की पूजा आप रोज करते हैं, तो भगवान के पास पहुंचा दूंगा और फिर मम्मी को बहुत सारा सामान बाजार से खरीद दूंगा!दादी को भी बहुत सामान दूंगा! दादा जी वैभव की बातों से सीरियस हो गये और सोचने लगे कि सुपर मैन का यही अर्थ होता है ? फिर वैभव बोला कि सुपर मैन का मतलब ही यही होता है कि कोई भी काम उसके लिए असंभव नहीं हो! दादाजी अपने अनुभव का इस्तेमाल करते हुए बोले कि यस सुपरमैन का मतलब यही होता है! इस कारण तुम पढकर आईएएस बन जाओ! इस पर तापाक से वैभव बोला कि दादा जी हमारी उमz पांच साल की है और हमारी यह उमz नहीं है आईएएस बनने का! उमz तो खेलने का है और आपलोगों को परे’ाान करने का! दादी ने हमें यही बताई थी, समझे आप! है न दादी! जब मैं कल स्कूल नहीं जा रहा था, तो तुमने तो यही मम्मी को बोली थी न! वैभव का उत्तर सुनकर दादा सहित सभी के आंखों में खु’ाी के आंसू टपक पडे और दादा जी चिल्लाकर बोले कि जो परिस्थिति को अपने हिसाब से मोड ले, उसे ही कहते हैं सुपर मैन! मेरा पोता है सुपर मैन! वैभव को दादा जी गोद में उठा लिए और घुमाने के लिए पार्क लेकर चले गए! वैभव भी इसका आनंद ले रहा था और दादा जी भी अपने पोते की बातों से फूले नहीं समा रहे थे!
2 वैभव की होली
सुबह उठते ही वैभव का प्र’न था कि पापा होली क्यों मनाया जाता है ? मैं उसे ज्ञान बांटने के अंदाज में बताया कि एक राजा था, उसका नाम हिरण क’िापु था! बीच में टोकते हुए वैभव बोला कि ये हिरण क्या होता है! वह जानवर था क्या! अगर जानवर था, तो फिर राजा कैसे बन गया! क्या जानवर में भी राजा होता है?जानवर का राजा तो ’ोर होता है!
पापा होली कब है और इसमें क्या होता है ? वैभव अनायास ही यह प्र’न अपने पापा से पूछ बैठा! दरअसल, आज ही वैभव का स्कूल बंद हुआ है और इसलिए वह मस्ती के मूड में है! होली को लेकर उसमें एक अलग अहसास था! रंग और अबीर का पर्व है होली-पापा ने बताया! यह वर्ड वैभव के लिए नया था! वैभव के पापा ने रंग और अबीर जैसे टिपिकल हिंदी वर्ड इसलिए चुना, क्योंकि वह वैभव के हिंदी ज्ञान को बढाना चाहते थे! प्रतिकिzयाव’ा वैभव गुस्से में उत्तर दिया कि आप होली के बारे में कुछ नहीं जानते है पापा! मैम बताई है कि होली में एक दूसरे को कलर किया जाता है और वह कलर के बाद जोकर की तरह लगता है! जो भी पुरानी करवाहट है, उसे कलर के माध्यम से धुल दिया जाता है! सभी बच्चे एक ही कलर में हो जाते हैं, तो उस झूंड में कोई भी बडा नहीं होता है! सभी लोग खूब मस्ती करते हैं! हम भी होली खेलेंगे, खूब मस्ती करेंगे और घर में सभी को रंग देंगे! लेकिन पापा होली क्यों मनाया जाता है? वैभव ने यह प्र’न फिर अपने पापा से पूछ बैठा!
बच्चों की लैग्वेज में समझाते हुए वैभव के पापा बोले- एक राजा था! उसका नाम हिरण क’िापु था! बीच में टोकते हुए कान्वेंट किड वैभव बोला कि ये हिरण क्या होता है! वह जानवर था क्या! अगर जानवर था, तो फिर राजा कैसे बन गया! क्या जानवर में भी राजा होता है? जानवर का राजा तो ’ोर होता है! वैभव को रोकते हुए उसके पापा ने बताया कि हिरण क’िापु न जानवर था और न ही मावव! वह एक राक्षस था! यह बात वैभव को समझ में आ गया और बोला कि वह टीवी वाला माWन्सटर की तरह था, जो काफी ’ाक्ति’ााली होता है और लोगों का भेजा खाता है! वह अपनी ’ाक्ति से किसी को भी मार सकता है! पापा ने उसकी हां में हां मिलाते हुए कहानी को आगे बढाना चाहा, लेकिन जैसे ही आगे बढने का प्रयत्न करते वैभव फिर नया प्र’न सामने रख दिया कि पापा वह होली में क्या कर रहा था और राक्षस भी होली खेलता है क्या? वैभव के पापा को यह समझ में नहीं आ रहा था कि पहले बाल मन के उलझनों को सुलझाया जाए या डांटकर कहानी बढाया जाए! अंत में उन्होंने उलझन को सुलझाते हुए बोले कि बेटा राक्षस कोई जन्म से नहीं होता है! वह कर्म से होता है! राक्षस कुल में रावण और विभीसन दोनों पैदा हुए, लेकिन रावण कर्म से पापी था! इस कारण मारा गया और उसी का भाई विभीसन सत्यवादी था, जो बाद में लंका का प्रतापी राजा बना! वैभव फिर प्र’न किया कि दोनों का पापा तो एक ही था न, फिर एक पापी कैसे बन गया! वे अलग कैसे हो गये ? हम दो भाई हैं! इसमें कौन पापी होगा पापा! ये पापी क्या होता है! वैभव के पापा सोचने लगे कि लगता है कि इसके प्र’न कभी खत्म नहीं होंगे, लेकिन इतने अच्छे प्र’न हैं कि इसका उत्तर न देना भी गलत होगा! जो मां और पिताजी की बात नहीं मानता है,स्कूल नहीं जाता है और झूठ बोलता है, उसे पापी कहते हैं! पापा ने उदाहरण देते हुए बताया कि हम पांच भाइयों में सबसे अधिक प्यार तुम्हें कौन करता है?ं बडे पापा-वैभव ने तुरंत जवाब दिया और बोला कि वे बहुत अच्छे हैं, हमें टाWफी भी देते हैं और दीपावली में बहुत सारे बैलून खरीदकर दिए थे और कzैक्स भी दिए थे! होली में बडे पापा भी आएंगे क्या ? वैसे यदि बडे पापा यहां आ जाते तो मजा आ जाता! वे यहां क्यों नहीं आते हैं पापा! वे नौकरी करते हैं, इस कारण तुम्हारे यहां नहीं आ सकते हैं-पापा ने कहा! जो नौकरी करते हैं, वे कहीं नहीं जाते हैं पापा? नौकरी गंदी होती है, वे हमारे बडे पापा को यहां आने नहीं देती है! मैं नौकरी कभी नहीं करूंगा और होली में आपके पास रहकर खूब होली खेलूंगा! घर में सभी को कलर करूंगा और मजे करूंगा! अब मैं आपकी बात नहीं सुनूंगा और जा रहा हूं आदित्य के साथ होली खेलने के लिए! बाय पापा, फिर मिलूंगा! वैभव के पापा आवाक रह गये और उसकी बातों का मनन करने लगे!सोचा कि सही में मस्ती ही होली है, फिर इसी बहाने यह काफी कुछ जान गया! असल में हिरण क’िापू के माध्यम से उनके पापा जो बताना चाह रहे थे, वह तो बता ही दिया!
बच्चों की लैग्वेज में समझाते हुए वैभव के पापा बोले- एक राजा था! उसका नाम हिरण क’िापु था! बीच में टोकते हुए कान्वेंट किड वैभव बोला कि ये हिरण क्या होता है! वह जानवर था क्या! अगर जानवर था, तो फिर राजा कैसे बन गया! क्या जानवर में भी राजा होता है? जानवर का राजा तो ’ोर होता है! वैभव को रोकते हुए उसके पापा ने बताया कि हिरण क’िापु न जानवर था और न ही मावव! वह एक राक्षस था! यह बात वैभव को समझ में आ गया और बोला कि वह टीवी वाला माWन्सटर की तरह था, जो काफी ’ाक्ति’ााली होता है और लोगों का भेजा खाता है! वह अपनी ’ाक्ति से किसी को भी मार सकता है! पापा ने उसकी हां में हां मिलाते हुए कहानी को आगे बढाना चाहा, लेकिन जैसे ही आगे बढने का प्रयत्न करते वैभव फिर नया प्र’न सामने रख दिया कि पापा वह होली में क्या कर रहा था और राक्षस भी होली खेलता है क्या? वैभव के पापा को यह समझ में नहीं आ रहा था कि पहले बाल मन के उलझनों को सुलझाया जाए या डांटकर कहानी बढाया जाए! अंत में उन्होंने उलझन को सुलझाते हुए बोले कि बेटा राक्षस कोई जन्म से नहीं होता है! वह कर्म से होता है! राक्षस कुल में रावण और विभीसन दोनों पैदा हुए, लेकिन रावण कर्म से पापी था! इस कारण मारा गया और उसी का भाई विभीसन सत्यवादी था, जो बाद में लंका का प्रतापी राजा बना! वैभव फिर प्र’न किया कि दोनों का पापा तो एक ही था न, फिर एक पापी कैसे बन गया! वे अलग कैसे हो गये ? हम दो भाई हैं! इसमें कौन पापी होगा पापा! ये पापी क्या होता है! वैभव के पापा सोचने लगे कि लगता है कि इसके प्र’न कभी खत्म नहीं होंगे, लेकिन इतने अच्छे प्र’न हैं कि इसका उत्तर न देना भी गलत होगा! जो मां और पिताजी की बात नहीं मानता है,स्कूल नहीं जाता है और झूठ बोलता है, उसे पापी कहते हैं! पापा ने उदाहरण देते हुए बताया कि हम पांच भाइयों में सबसे अधिक प्यार तुम्हें कौन करता है?ं बडे पापा-वैभव ने तुरंत जवाब दिया और बोला कि वे बहुत अच्छे हैं, हमें टाWफी भी देते हैं और दीपावली में बहुत सारे बैलून खरीदकर दिए थे और कzैक्स भी दिए थे! होली में बडे पापा भी आएंगे क्या ? वैसे यदि बडे पापा यहां आ जाते तो मजा आ जाता! वे यहां क्यों नहीं आते हैं पापा! वे नौकरी करते हैं, इस कारण तुम्हारे यहां नहीं आ सकते हैं-पापा ने कहा! जो नौकरी करते हैं, वे कहीं नहीं जाते हैं पापा? नौकरी गंदी होती है, वे हमारे बडे पापा को यहां आने नहीं देती है! मैं नौकरी कभी नहीं करूंगा और होली में आपके पास रहकर खूब होली खेलूंगा! घर में सभी को कलर करूंगा और मजे करूंगा! अब मैं आपकी बात नहीं सुनूंगा और जा रहा हूं आदित्य के साथ होली खेलने के लिए! बाय पापा, फिर मिलूंगा! वैभव के पापा आवाक रह गये और उसकी बातों का मनन करने लगे!सोचा कि सही में मस्ती ही होली है, फिर इसी बहाने यह काफी कुछ जान गया! असल में हिरण क’िापू के माध्यम से उनके पापा जो बताना चाह रहे थे, वह तो बता ही दिया!
3 मम्मी की डांट
मोहित अगर घर से बाहर नहीं जाता और मम्मी की डांट उसे कडवा नहीं लगती तो आज मोहित को किसी के घर में नौकर नहीं बनना पडता और वह भी पढ लिखकर अन्य दोस्तों की तरह बडा आदमी बनता.....
मोहित घर में इकलौता बेटा था! इस कारण वह काफी जिददी हो गया था! किसी भी काम को वह सीरियसली नहीं लेता था! इस कारण उसे भी कोई सीरियस नहीं लेता था! उसकी मम्मी जब उसे डांटती थी, तो खाना नहीं खाता था! उसकी मम्मी बेटे को खाना खाते न देखकर खूब रोने लगती थी और मोहित से माफी मांगती थी, तभी मोहित खाना खाता था! अपनी पत्नी के व्यवहार से मोहित के पापा काफी परे’ाान रहा करते थे! वह बार बार मोहित को समझाने की को’िा’ा करते थे, लेकिन मोहित उनकी बातों को अनसूना कर देता था! मोहित के व्यवहार से उसके पापा काफी दुखी रहा करते थे! हर समय मोहित के ही बारे में सोचा करते थे!
एक दिन मोहित के स्कूल में फंक्’ान था! सभी बच्चे बाहर घुमने का प्लान बनाए थे! मोहित उस टीम का लीडर था! यह बात वह अपनी मम्मी को नहीं बताया था! जब जाने के लिए कुछ दिन ही बचे थे, तो मोहित ने एकाएक मम्मी से एक हजार की डिमांड कर दी! मम्मी को कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था कि बच्चे को किस तरह अपनी हालात बताउं! वह मोहित से इतना ही बोली कि बेटा अभी घर की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है! पापा की नौकरी छूट गई है! इस कारण अभी तुम्हें पैसा नहीं दे सकती हूं! मोहित अपने स्वभाव के अनुरूप तै’ा में आ गया और बोला कि यदि तुम पैसा नहीं दोगी तो मैं खाना नहीं खाउंगा! मम्मी भी काफी गुस्से में थी और वहां से कुछ कहे बिना ही चली गयी! यह बात वह अपने पति को नहीं बताई! मोहित के पापा प्राइवेट जाWब करते थे! वहां नये बाWस आ गए और उन्होंने मोहित के पापा को बिना कारण बताये नौकरी से निकाल दिए! नौकरी से निकाले तो लगभग एक महीना हो चुका था, लेकिन वे अपनी पत्नी को एक दिन पहले ही बताए! मेहित के पापा सोच रहे थे कि नौकरी कुछ दिनों में मिल जाएगी, तो उन्हें इसकी भनक तक नहीं लगने देंगे! रोज तैयार होकर आWफिस जाते थे और नियत समय पर आ जाते थे! काफी दिनों से गुमसुम रहने कारण पूछती थी, तो कोई न कोई बहाना बना लेते थे! एक दिन मोहित की मम्मी ने मैरेज एनीवर्सरी पर कुछ गिफट देने के लिए कही तो वे लाचार हो गये और अपनी पूरी बात पत्नी के सामने बता दिए! मोहित रात भर खाना नहीं खाया, उसकी मां बार बार समझाती रही, लेकिन मोहित अपनी जिद पर अडा हुआ था! पति को खिलाकर वह भी भूखी सो गयी! उसकी मां बार बार यही सोच रही थी कि हे भगवान, यह कैसी परीक्षा की घडी है! मम्मी की इस तरह की कठोरता से मोहित अनजान था! वह यही सोच रहा था कि काफी ना नुकूर के बाद आखिरकार मम्मी उसे पैसा दे ही देगी! लेकिन यह क्या, वह उसे दुलारने भी नहीं आ रही है! अंदर ही अंदर मोहित को काफी गुस्सा आ रहा था! वह मम्मी के पास गया और बोला कि तुम पैसे क्यों नहीं दे रही हो! मुझे नौकरी से कोई मतलब नहीं है! हमें अभी पैसे चाहिए! मम्मी मोहित के वचन को सुनकर रोने लगी और खुद के भाग्य को कोसने लगी! एकाएक मोहित के पापा की तबियत बिगडने लगी और उनकी मनोद’ाा दिन प्रतिदिन बदतर होने लगी! अंत में मोहित बोला कि मम्मी अगर तुम पैसे नहीं दोगी, तो मैं घर से भाग जाउंगा! यह सुनकर मम्मी को काफी गुस्सा आया और उस दिन मोहित को खूब डांट पिलाई! इस तरह का रूप मोहित कभी नहीं देखा था! वह गुस्से में घर से बाहर निकल गया और कोई अनजान ’ाहर चला गया! उसकी मम्मी और पापा सभी जगह ढूंढे, लेकिन वह नहीं मिला! मोहित को किसी ने बहला फुसलाकर अपने घर से काफी दूर लेकर चला गया और किसी अमीर घर में उसे बेच दिया! उसे नौकर बनाकर काम कराता था! वह मम्मी और पापा के बारे में कुछ बोलता था, तो खूब मार पडती थी! खाना भी उसे ठीक से नहीं मिलता था! दिन रात उसे घर का काम करना पडता था! उसे पता नहीं था कि उसकी मम्मी और पापा कहां रहते हैं! उसे अपने आप पर गुस्सा आ रहा था! इसी तरह चार पांच साल बीत गये! मोहित को बार बार मम्मी और उसकी डांट याद आ रहा था! जब वह बडा हुआ तो यही सोचता रहता था कि का’ा मैं मम्मी की बात मान लेता तो आज मुझे नौकर नहीं बनने पडते और मेरी यह हालत नहीं होती!
सीख
बच्चे को जिद नहीं करनी चाहिए!
हमे’ाा मम्मी की बात सुननी चाहिए!
किसी भी हालत में घर से बाहर नहीं जाना चाहिए!
हर पैरेंटस बच्चे को खु’ा रखना चाहते हैं, लेकिन बच्चों की सभी इच्छा पूरी नहीं हो सकती है!
एक दिन मोहित के स्कूल में फंक्’ान था! सभी बच्चे बाहर घुमने का प्लान बनाए थे! मोहित उस टीम का लीडर था! यह बात वह अपनी मम्मी को नहीं बताया था! जब जाने के लिए कुछ दिन ही बचे थे, तो मोहित ने एकाएक मम्मी से एक हजार की डिमांड कर दी! मम्मी को कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था कि बच्चे को किस तरह अपनी हालात बताउं! वह मोहित से इतना ही बोली कि बेटा अभी घर की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है! पापा की नौकरी छूट गई है! इस कारण अभी तुम्हें पैसा नहीं दे सकती हूं! मोहित अपने स्वभाव के अनुरूप तै’ा में आ गया और बोला कि यदि तुम पैसा नहीं दोगी तो मैं खाना नहीं खाउंगा! मम्मी भी काफी गुस्से में थी और वहां से कुछ कहे बिना ही चली गयी! यह बात वह अपने पति को नहीं बताई! मोहित के पापा प्राइवेट जाWब करते थे! वहां नये बाWस आ गए और उन्होंने मोहित के पापा को बिना कारण बताये नौकरी से निकाल दिए! नौकरी से निकाले तो लगभग एक महीना हो चुका था, लेकिन वे अपनी पत्नी को एक दिन पहले ही बताए! मेहित के पापा सोच रहे थे कि नौकरी कुछ दिनों में मिल जाएगी, तो उन्हें इसकी भनक तक नहीं लगने देंगे! रोज तैयार होकर आWफिस जाते थे और नियत समय पर आ जाते थे! काफी दिनों से गुमसुम रहने कारण पूछती थी, तो कोई न कोई बहाना बना लेते थे! एक दिन मोहित की मम्मी ने मैरेज एनीवर्सरी पर कुछ गिफट देने के लिए कही तो वे लाचार हो गये और अपनी पूरी बात पत्नी के सामने बता दिए! मोहित रात भर खाना नहीं खाया, उसकी मां बार बार समझाती रही, लेकिन मोहित अपनी जिद पर अडा हुआ था! पति को खिलाकर वह भी भूखी सो गयी! उसकी मां बार बार यही सोच रही थी कि हे भगवान, यह कैसी परीक्षा की घडी है! मम्मी की इस तरह की कठोरता से मोहित अनजान था! वह यही सोच रहा था कि काफी ना नुकूर के बाद आखिरकार मम्मी उसे पैसा दे ही देगी! लेकिन यह क्या, वह उसे दुलारने भी नहीं आ रही है! अंदर ही अंदर मोहित को काफी गुस्सा आ रहा था! वह मम्मी के पास गया और बोला कि तुम पैसे क्यों नहीं दे रही हो! मुझे नौकरी से कोई मतलब नहीं है! हमें अभी पैसे चाहिए! मम्मी मोहित के वचन को सुनकर रोने लगी और खुद के भाग्य को कोसने लगी! एकाएक मोहित के पापा की तबियत बिगडने लगी और उनकी मनोद’ाा दिन प्रतिदिन बदतर होने लगी! अंत में मोहित बोला कि मम्मी अगर तुम पैसे नहीं दोगी, तो मैं घर से भाग जाउंगा! यह सुनकर मम्मी को काफी गुस्सा आया और उस दिन मोहित को खूब डांट पिलाई! इस तरह का रूप मोहित कभी नहीं देखा था! वह गुस्से में घर से बाहर निकल गया और कोई अनजान ’ाहर चला गया! उसकी मम्मी और पापा सभी जगह ढूंढे, लेकिन वह नहीं मिला! मोहित को किसी ने बहला फुसलाकर अपने घर से काफी दूर लेकर चला गया और किसी अमीर घर में उसे बेच दिया! उसे नौकर बनाकर काम कराता था! वह मम्मी और पापा के बारे में कुछ बोलता था, तो खूब मार पडती थी! खाना भी उसे ठीक से नहीं मिलता था! दिन रात उसे घर का काम करना पडता था! उसे पता नहीं था कि उसकी मम्मी और पापा कहां रहते हैं! उसे अपने आप पर गुस्सा आ रहा था! इसी तरह चार पांच साल बीत गये! मोहित को बार बार मम्मी और उसकी डांट याद आ रहा था! जब वह बडा हुआ तो यही सोचता रहता था कि का’ा मैं मम्मी की बात मान लेता तो आज मुझे नौकर नहीं बनने पडते और मेरी यह हालत नहीं होती!
सीख
बच्चे को जिद नहीं करनी चाहिए!
हमे’ाा मम्मी की बात सुननी चाहिए!
किसी भी हालत में घर से बाहर नहीं जाना चाहिए!
हर पैरेंटस बच्चे को खु’ा रखना चाहते हैं, लेकिन बच्चों की सभी इच्छा पूरी नहीं हो सकती है!
4 26 जनवरी
26 जनवरी हम इसलिए मनाते हैं, क्योंकि इसी दिन भारत का संविधान लागू हुआ था और भारत राजतंऋ न होकर एक गणतंऋ बना था और संविधान से हमें कई मौलिक अधिकार प्राप्त हुए थे......
सौरव डीपीएस में पढता था! पढने में वह काफी तेज था! उसकी मम्मी उसे रोज पढाती थी! इस कारण वैभव अपने दोस्तों से काफी अलग था! वह बहुत आज्ञाकारी भी था! सौरव की सबसे बडी खासियत यह थी कि वह जैसे ही स्कूल से आता था,सबसे पहले साबुन से हाथ धोता था और स्कूल डेस खोलकर पढाई करने के लिए बैठ जाता था! यही कार्य सौरव को उसके अन्य दोस्तों से अलग करता था! सौरव सबसे पहले अपना होमवर्क पूरा करता था, तभी आराम करता था! यही कारण था कि स्कूल में सभी लोग उसे खूब प्यार करते थे! एक महीने के बाद 26 जनवरी आनेवाला था! इसे लेकर सौरव के मन में कई तरह के प्र’न आ रहे थे! अपने पापा से कई तरह के सवाल भी करता रहता था कि 26 जनवरी क्या होता है ? इसमें बच्चे क्यों भाग लेते हैं आदि! आWफिस से आने के बाद सौरव के पापा उसके सभी प्र’नों का जवाब देते थे और इससे उसका उत्साह चरम पर हो जाता था और ज्ञान भी बढता था!
स्कूल में 26 जनवरी की तैयारी जोरों से चल रही थी, क्योंकि स्कूल का यह मैन फंक्’ान होता था! इसमें कई बडे लोग आते थे और सभी को बच्चों की प्रतिभा को देखने का एक अवसर मिलता था! अपने बच्चे की प्रतिभा को निखारने और लोगों से प्र’ांसा पाने के लिए गार्जियन के साथ साथ स्कूल प्र’ाासन भी खूब मेहनत करता था! 26 जनवरी के बहाने कई तरह के कल्चरल और मोटिवे’ानल प्रोगzाम दो दिनों तक चलता रहता था! इस कारण वहां रहनेवाले सभी लोग आते थे और छोटे बच्चे अपनी प्रतिभा से सभी को हैरान करने के लिए कोई कसर नहीं छोडते थे! सौरव पांचवीं में पढता था! उसकी मैम उसे 26 जनवरी पर स्टेज पर कुछ बोलने के लिए कही थी और इसकी तैयारी सौरव अभी से ’ाुरू कर दिया था! इसके पहले वह इस दिन के बारे में बिल्कुल अनजान था और सिर्फ यही जानता था कि इस दिन स्कूल में बहुत बडा प्रोगzाम होता है और जो बच्चे चुने जाते हैं, उन्हें प्राइज दिया जाता है! यही उसके लिए 26 जनवरी का सबसे महत्व था! उसके टीचर ने एक दिन क्लास में बताया कि बच्चो, 26 जनवरी हम इसलिए मनाते हैं, क्योंकि इसी दिन हमारे दे’ा में संविधान लागू हुआ था! हमारा संविधान 26 जनवरी, 1950 को लागू हुआ था! इसी कारण हम 26 जनवरी को हर साल मनाते हैं! हमारा संविधान वि’व का सबसे बडा लिखित संविधान है! इसमें हमारे मौलिक अधिकार सुरक्षित हैं! यह मौलिक अधिकार क्या होता है सर जी- सौरव यह प्र’न अपने टीचर से पूछ लिया! वैभव के इस प्र’न से उसके टीचर काफी खु’ा हुए और बोले कि संविधान में हम सभी को कुछ ऐसे अधिकार दिए गए हैं, जिसे कोई नहीं छिन सकता है, उसे ही हम मौलिक अधिकार कहते हैं बच्चो! संविधान लागू होने से पहले भारत में अंगzेजों के अधीन कई राजा का ’ाासन था और राजा अपनी मर्जी से ’ाासन चलाता था, लेकिन संविधान लागू होने के बाद अब दे’ा में कोई राजा नहीं है! हम सभी लोग अपने खुद का मालिक हैं और हमलोग जिसे चाहे वोट देकर सरकार बना सकते हैं!सभी बच्चे बडे ध्यान से टीचर की बात सुन रहे थे! अब सभी बच्चे आपस में बात कर रहे थे कि हमलोग किसी की भी सरकार बना सकते हैं और उसे हटा भी सकते हैं! आखिर में वह दिन आ ही गया, जिसका इंतजार सभी बच्चों को था! दो दिन से कोई भी बच्चा अपना घर नहीं गया था और स्टेज पर अपना परफाWर्मेंस देने के लिए जी जान से तैयारी में जुटा हुआ था! सभी बच्चे को अलग अलग तरह की भूमिका मिली हुई थी और सभी को बेहतर करने के लिए कई तरह के टिप्स दिए जा रहे थे! कई बच्चे 26 जनवरी के महत्व के बारे में स्टेज पर बोलने का अभ्यास कर रहे थे तो कई बच्चे अपनी सुरीली और तोतली आवाज में दे’ा भक्ति गाना गाने का अभ्यास कर रहे थे! उस समय सभी बच्चों में एक अलग उत्साह था और बेस्ट देने के लिए एक अलग तरह का जुनून भी था! तय समय के अनुसार सभी बच्चे ने अपनी प्रतिभा से वहां आनेवाले सभी लोगों को लुभाया और बदले में परफाWर्मेंस के आधर पर सभी बच्चे को स्कूल की तरफ से कई सारे प्राइज और अवार्ड भी दिए गए! सभी लोग काफी खु’ा थे और बच्चे फिर से अपनी पढाई में जी जान से जुट गए! सौरव को कई सारे पुरस्कार मिले और स्कूल में वह बेस्ट परफाWर्मर बनकर मम्मी पापा के साथ ही स्कूल के सभी टीचर का दिल जीत लिया!
स्कूल में 26 जनवरी की तैयारी जोरों से चल रही थी, क्योंकि स्कूल का यह मैन फंक्’ान होता था! इसमें कई बडे लोग आते थे और सभी को बच्चों की प्रतिभा को देखने का एक अवसर मिलता था! अपने बच्चे की प्रतिभा को निखारने और लोगों से प्र’ांसा पाने के लिए गार्जियन के साथ साथ स्कूल प्र’ाासन भी खूब मेहनत करता था! 26 जनवरी के बहाने कई तरह के कल्चरल और मोटिवे’ानल प्रोगzाम दो दिनों तक चलता रहता था! इस कारण वहां रहनेवाले सभी लोग आते थे और छोटे बच्चे अपनी प्रतिभा से सभी को हैरान करने के लिए कोई कसर नहीं छोडते थे! सौरव पांचवीं में पढता था! उसकी मैम उसे 26 जनवरी पर स्टेज पर कुछ बोलने के लिए कही थी और इसकी तैयारी सौरव अभी से ’ाुरू कर दिया था! इसके पहले वह इस दिन के बारे में बिल्कुल अनजान था और सिर्फ यही जानता था कि इस दिन स्कूल में बहुत बडा प्रोगzाम होता है और जो बच्चे चुने जाते हैं, उन्हें प्राइज दिया जाता है! यही उसके लिए 26 जनवरी का सबसे महत्व था! उसके टीचर ने एक दिन क्लास में बताया कि बच्चो, 26 जनवरी हम इसलिए मनाते हैं, क्योंकि इसी दिन हमारे दे’ा में संविधान लागू हुआ था! हमारा संविधान 26 जनवरी, 1950 को लागू हुआ था! इसी कारण हम 26 जनवरी को हर साल मनाते हैं! हमारा संविधान वि’व का सबसे बडा लिखित संविधान है! इसमें हमारे मौलिक अधिकार सुरक्षित हैं! यह मौलिक अधिकार क्या होता है सर जी- सौरव यह प्र’न अपने टीचर से पूछ लिया! वैभव के इस प्र’न से उसके टीचर काफी खु’ा हुए और बोले कि संविधान में हम सभी को कुछ ऐसे अधिकार दिए गए हैं, जिसे कोई नहीं छिन सकता है, उसे ही हम मौलिक अधिकार कहते हैं बच्चो! संविधान लागू होने से पहले भारत में अंगzेजों के अधीन कई राजा का ’ाासन था और राजा अपनी मर्जी से ’ाासन चलाता था, लेकिन संविधान लागू होने के बाद अब दे’ा में कोई राजा नहीं है! हम सभी लोग अपने खुद का मालिक हैं और हमलोग जिसे चाहे वोट देकर सरकार बना सकते हैं!सभी बच्चे बडे ध्यान से टीचर की बात सुन रहे थे! अब सभी बच्चे आपस में बात कर रहे थे कि हमलोग किसी की भी सरकार बना सकते हैं और उसे हटा भी सकते हैं! आखिर में वह दिन आ ही गया, जिसका इंतजार सभी बच्चों को था! दो दिन से कोई भी बच्चा अपना घर नहीं गया था और स्टेज पर अपना परफाWर्मेंस देने के लिए जी जान से तैयारी में जुटा हुआ था! सभी बच्चे को अलग अलग तरह की भूमिका मिली हुई थी और सभी को बेहतर करने के लिए कई तरह के टिप्स दिए जा रहे थे! कई बच्चे 26 जनवरी के महत्व के बारे में स्टेज पर बोलने का अभ्यास कर रहे थे तो कई बच्चे अपनी सुरीली और तोतली आवाज में दे’ा भक्ति गाना गाने का अभ्यास कर रहे थे! उस समय सभी बच्चों में एक अलग उत्साह था और बेस्ट देने के लिए एक अलग तरह का जुनून भी था! तय समय के अनुसार सभी बच्चे ने अपनी प्रतिभा से वहां आनेवाले सभी लोगों को लुभाया और बदले में परफाWर्मेंस के आधर पर सभी बच्चे को स्कूल की तरफ से कई सारे प्राइज और अवार्ड भी दिए गए! सभी लोग काफी खु’ा थे और बच्चे फिर से अपनी पढाई में जी जान से जुट गए! सौरव को कई सारे पुरस्कार मिले और स्कूल में वह बेस्ट परफाWर्मर बनकर मम्मी पापा के साथ ही स्कूल के सभी टीचर का दिल जीत लिया!
5 अवि
अवि पैदा होते ही विकलांग बन गया! वह चलने में असमर्थ था! नहीं अच्छी तरीके से बोल पाता था और न ही लोगों को अपनी बात बता ही पाता था! धीरे धीरे वह 11 साल का हो गया! उसे सिर्फ मम्मी और पापा का प्यार मिलता था और उसकी जिंदगी वहीं तक सीमित थी! वह घर से बाहर का नजारा नहीं देख पाता था! यह सोचकर वह अंदर अंदर डिप्रे’ान का ’िाकार हो गया था और सोचता रहता था कि मैं कब सामान्य बच्चों की तरह चलूंगा! उसके पापा अवि को लेकर दे’ा भर के सभी ’ाहरों और डाWक्टरों के पास गए, लेकिन परिणाम ढाक के तीन पात ही निकले!अवि के मम्मी और पापा काफी चिंतित रहते थे! वे लोग किसी दूसरे के यहां कम ही आते और जाते थे! उन्हें अवि के बारे में लोगों का कुछ बोलना अच्छा नहीं लगता था! एक दिन अवि अपने पापा से बोला कि पापा मैं यहां रहकर भी पढाई कर सकता हूं! प्लीज मुझे बुक खरीद दो! अवि का यह वचन सुनकर उनके पापा फूले नहीं समाए! उन्होंने बहुत सारी पुस्तकें खरीदकर ला दिए और अब अवि किताबों की दुनिया में खोया रहता था! उसके पापा अपने बच्चों की पढाई से काफी खु’ा थे! उसकी मम्मी भी काफी खु’ा थी! एक दिन अवि अपने पापा से बोला कि पापा मुझे पेंटिंग सीखना है! उसके पापा बोले कि अवि यह घर में संभव नहीं है! इसके लिए तुम्हें घर से बाहर जाना पडेगा! अपने बारे में तुम मुझसे ज्यादा जानते हो! अवि बोला कि मैं पेंटिंग सीखना चाहता हूं पापा! प्लीज मुझे किसी तरह सीखा दो! उसके पापा ने बहुत सारे जगह खोजे, लेकिन घर में सिखाने के लिए कोई तैयार नहीं हुआ! अगर एक तैयार भी हुए तो इतनी रकम मांगे कि अवि के पापा देने में असमर्थ थे!अंत मेें थक हारकर बगल वाले अंकल के पास गए! वे पेटिंग सिखाते थे! वे इस ’ार्त पर तैयार हुए कि इसके लिए उन्हें ज्यादा रकम मिले और वह यहां आकर सीखे! मरता तो क्या नहीं करता है आदमी! अक्सर जब आपको किसी की जरूरत रहती है, तो उसके भाव आसमान पहुंच जाते हैं और हर व्यक्ति उसे किसी न किसी तरह खरदता ही है! उसके पापा रोज अवि को लेकर टीचर के यहां ले जाते और फिर उन्हें लाते! यह काफी दिनों तक चला! धीरे धीरे समय बीतता गया! अवि को पेंटिंग में इतना मन लगने लगा कि टीचर भी उस पर काफी ध्यान रखने लगे! और सच कहिए तो टीचर को अवि से प्यार हो गया! अवि धीरे धीरे टीचर का मन जीत लिया! धीरे धीरे अवि में आत्मवि’वास बढता गया और वह मन लगाकर पेंटिंग सीखने में जुट गया! टीचर भी उससे काफी खु’ा थे और उसे खूब सिखाते थे! अवि की लगन से टीचर इतने प्रभावित हुए कि उसे अपने घर पर ही रख लिया! भगवान इस धरती पर सभी को कुछ खास बनाकर भेजता है, जो लोगों की नजरों में कमी दिखती है, वह कभी कभी संबल बन जाता है. अवि के साथ ऐसा ही हुआ! विकलांगता जो उसके लिए अभि’ााप बनकर आया था, अब वही विकलांगता उसका संबल बन गया! उसकी ’ाक्ति बन गई! वह भूल गया कि मैं चल नहीं सकता हूं! वह अब सपने में खोने लगा और नई पेंटिंग के बारे में ही सोचता रहता था! जिस तरह की दुनिया की वह कल्पना करता था, उसे पेंटिंग के माध्यम से कागज पर उतार लेता था! अवि के जो दोस्त चल सकते थे, वे पेंटिंग में कम और घूमने पर अधिक जोर देते थे! इसके विपरीत अवि हमे’ाा पेंटिंग के बारे में ही सोचा करता था और जो भी नया आइडिया आता, उसे कैनवास पर उतारकर ही दम लेता था! धीरे धीरे वह पेंटिंग में मास्टर हो गया और सभी दोस्तों में सबसे तेज भी! अब उसकी एक पेंटिंग करोडों में बिकती है और उसके पास बनाने के लिए टाइम तक नहीं है! आज उसकी कहानी सबके जुबान पर है! किसी को भी कभी भी चूका हुआ नहीं समझना चाहिए! हर व्यक्ति अपने आप में खास होता है, जरूरत होती है तो उसे सिर्फ उसकी प्रतिभा को जांचने और उस पर वर्क करने की! आज अगर उनके पापा कठिन मेहनत नहीं करते तो दुनिया में अवि जैसा कलाकार नहीं आता और गुमनामी के चेहरे बनकर दम तोड देता!
6 पिंटू
पिंटू जब पैदा हुआ था, तो उसके पापा गांव में भोज किए थे! काफी खु’ा थे पिंटू के जन्म पर! आखिर खु’ा क्यों न होते, उन्हें चार बेटी के बाद जो बेटा हुआ था! पिंटू के दादा पोते के जन्म पर इतने खु’ा हुए कि वे घर में सभी को नए कपडे बांट दिए! आज पिंटू जब दस साल का हो गया तो उन्हें समझाने वाले घर में कई हैं! उनका पापा चाहते हैं कि पिंटू बडा होकर आईएएस बने तो दादा जी का एक ही सपना है कि पिंटू डाWक्टर बने! कोई भी यह जानने की इच्छा नहीं कर रहा है कि आखिर पिंटू क्या बनना चाहता है! इसी तरह समय बीतता गया! इन सबसे अनजान पिंटू अपना लाइफ जी रहा था! पिंटू को पता नहीं था कि उसे क्या बनना है! दसवीं परीक्षा पास होते ही पिंटू को लेकर घर में महाभारत ’ाुरू हो गया! कोई उसे बायोलाWजी लेने की सलाह देता तो कोई उसे मैथ्स लेने की तो कोई काWमर्स लेकर सीए बनने की बात कहता! पिंटू की इच्छा कोई जाननेवाला नहीं था कि वह क्या लेना चाहता है और वह क्या बनना चाहता है! अंत में दादा जी बात रही और पिंटू को बाWयोलाWजी लेकर बडा डाWक्टर बनने के लिए कहा गया! इसके लिए पहले से ही दादा जी पैसे और जगह का प्रबंध कर चुके थे! उस गांव से काफी लोग कोटा गए थे इंजीनियरिंग और मेडिकल पढने के लिए! कोटा को वे लोग का’ाी की तरह मानते थे! जिस प्रकार हिंदू धर्म में ये मान्यता है कि अगर का’ाी में मरते हैं, तो सीधे स्वर्ग जाते हैं! उसी प्रकार हर स्टूडेंट का गार्जियन यह समझता है कि कोटा जाकर इंजीनियर या मेडिकल कंप्लीट अव’य कर लेगा! खैर कोटा भेजकर वे लोग पिंटू के बारे में हवाई किले बनाना ’ाुरू कर दिए! पिंटू वहां जाकर अलग इन्वायरमेंट में एडजस्ट नहीं कर पाया और परिणाम यह हुआ कि वह खाली हाथ लौटकर घर आ गया! सभी का सपना चकनाचूर हो गया और घर के सभी लोग पिंटू को चूका हुआ समझने लगे! उसे समझ में नहीं आ रहा था कि घर में जो लोग उनके हित के बारे में ही सोचा करते थे, वे अब उनकी बात तक सुनना पसंद नहीं करते हैं! घर पर आकर उन्होंने खुद का बिजनेस खोला और अपनी मर्जी से उसे चलाया! इस मामले में पिंटू का घर से कोई सपोर्ट नहीं मिला और सभी उसे देखकर हंसते थे कि जो कोटा में इतनी सुविधा मिलने के बावजूद कुछ नहीं कर पाया, वह इस साधनहीन जगहों में क्या कर लेगा! लेकिन पिंटू का आत्मवि’वास सातवें आसमान पर था! उसे पता था कि वह जो कुछ भी कर रहा है, उससे उसका अस्तित्व जुडा हुआ है और उसे इस तरह के वर्क करने में मजा आ रहा है, क्योंकि वह अपनी मन का कर रहा है! दो सल के बाद उसका बिजनेस बेहतर होता चला गया और दस साल के बाद आज पिंटू एक सफल बिजनेस मैन हो गया है! घर ही नहीं गांव के सभी लोग पिंटू की कहानी सुनाते हैं और कई युवाओं का वह आदर्’ा भी बन चुका है! घर के सभी लोग अब पिंटू से काफी खु’ा हैं!
7 2015 का भूकंप
सुबह का 11 बज रहा था! घर से सभी बच्चे स्कूल गए थे और वहीं पढाई कर रहे थे! मैथ्स की मैम मैथ्स का प्राWब्लम साWल्व करा रही थी और सभी बच्चे पढने में म’ागूल थे! एकाएक धरती जोर से कांपने लगी! सभी बच्चे चिल्लाने लगे! टेबल और बेंच आपस में टकराने लगे और क्लास रूम का दरवाजा हिलने लगा! जब तक मैम कुछ समझ पाती कि दीवार भी हिलने लगी! मैम एकाएक चिल्लाई कि बच्चों, भागो भूकंप आ गया है! नादान बच्चे कुछ समझ नहीं पा रहे थे कि यह भूकंप क्या होता है और इसमें किस तरह की सावधानी जरूरी है! वे लोग सभी मैम के पास आ गए और रोने लगे! बाहर का वातावरण इतना भयानक था कि क्लास रूम से बाहर निकलना असंभव था! मैम सभी बच्चे को इस हाल में छोडकर नहीं जाना चाहती थी! अंत में हारकर सभी बच्चे का जान बचाने के लिए वह क्लास रूम में ही सभी बच्चे को एक कोने में ले गई और एक बडा से टेबल के नीचे बैठने के लिए कह दी! सभी बच्चे इतने डरे और सहमे हुए थे कि एक साथ सभी टेबल के नीचे छिप गए! इस तरह का अनुभव बच्चों के साथ साथ मैम के लिए भी नया था! स्कूल का अन्य मकान काफी क्षतिगzस्त हो गया था और कई स्कूलों में बच्चे भूकंप से कम और अफरातफरी में अधिक मारे गए! लेकिन मैम की चतुराई से उस क्लास के एक बच्चे को खरोंच तक नहीं आई! सभी बच्चे को सकु’ाल घर पहंुचाया गया और बच्चे अपने पैरेंटस को भूकंप से बचने का तरीका बताने में व्यस्त हो गए! यह बात स्कूल ही नहीं चारों ओर फैल गई और स्कूल प्र’ाासन की ओर से उन्हें कई तरह के पुरस्कार दिए गए! बिहार सरकार ने भी उन्हें प्रोत्साहित करने के लिए कई पुरस्कार दिए और उस दिन से हर स्कूल में महीने में एक घंटा डिजास्टर मैनेजमेंट की पढाई करने के लिए अनिवार्य कर दिया गया! इस पढाई के अंतर्गत इस बात पर फोकस किया जाता है कि अगर कोई आपदा आ जाए तो उससे किस प्रकार बचा जा सकता है! हमें इस तरह के आपदा को रोकने के लिए किस तरह के उपाय करना चाहिए आदि! उस दिन से बच्चे इतने डर गए थे कि डिजास्टर मैनेजमेंट का क्लास सभी करते थे! सभी बच्चों ने उस दिन से यह भी प्रण लिया कि हम लोग धरती को बचाने के लिए कम से कम दस पौधा गोद लेंगे और उसकी आजीवन देखभाल करेंगे! बच्चे को यह बताया गया कि अगर हम प्र्यावरण को संतुलित रखने में कामयाब हो जाते हैं, तो हमें इस रह के आपदा कम झेलने पडेंगे! इस तरह के आपदा दोबारा न आए, इसके लिए सभी बच्चे पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए हर संभव को’िा’ा कर रहे हैं और आपदा से बचने के लिए कई तरह के टेनिंग भी ले रहे हैं!
8 एक पौधा का महत्व
अवि बहुत ही नटखट लडका था! घर में हमे’ाा ’ारारत ही करता रहता था! घर में सभी लोग अवि के व्यवहार से काफी परे’ाान रहा करते थे! तमाम खामियों के बावजूद उसमें एक खासियत यह था कि वह दादा जी की बात आंख मूंदकर मानता था!दादा जी उनके लिए भगवान के समान थे! रोज सुबह उठता था और दादा जी के साथ सैर करने निकल जाता था! दादा जी भी काफी खु’ा रहते थे! दादा जी के प्यार का ही असर था कि वह घर में इतना नटखट करता था! अगर परिवार का कोई सदस्य उसे डांटता था, तो दादा जी के पास वह रोकर चला जाता था! अवि को रोते देखकर उसके दादा जी आग बबूले हो जाते थे और फिर उसका खैर नहीं रहता था! एक दिन की बात है! अवि अपने स्कूल गया था! दोस्तों के साथ खेल रहा था! स्कूल में पौधे लगाने का कंपटी’ान था! एक दिन स्कूल में इसके लिए मीटिंग बुलाई गई और उसमें यह डिसाइड हुआ कि स्कूल का तीन कोना हरियाली रखना है! इससे जहां स्कूल का वातारण सुवासित रहेगा, वहीं पर्यावरण को संतुलित रखने में भी मदद मिलेगा! इस तरह का काम सभी को करना होगा, तभी यह संभव हो पाएगा! काम सफल हो, इसके लिए यह निर्णय लिया गया कि स्कूल के टीचर और स्टूडेंट का अलग अलग स्पेस होगा और सभी को दस पौधे लगाने की इजाजत दी जाएगी और उसमें जिस टीचर का बेस्ट रहेगा, उसे कई तरह के पुरस्कार दिए जाएंगे, वहीं स्टूडेंट का इसके लिए हर साल 20 माक्र्स दिए जाएंगे! यह सभी स्टूडेंट के लिए अनिवार्य होगा और जो स्टूडेंट इस तरह का वर्क नहीं करेगा, उसे स्कूल से निकाल दिया जाएगा! अवि भी इस स्कूल में पढता था! उसे भी इस तरह के वर्क मिले थे, लेकिन वह इतना ’ारारती था कि इस बात पर तनिक भी ध्यान नहीं दिया! उसे वि’वास था कि दादा जी स्कूल में कह देंगे,तो मेरा काम आसान हो जाएगा! जब 6 महीने बीत गए तो उसके क्लास टीचर ने अवि से इस संबंध में पूछा! अवि कुछ भी जवाब नहीं दे पाया और अंत में क्लास टीचर ने उसे स्कूल से निकाल दिया! अवि टीचर के व्यवहार से काफी गुस्से में था! सबसे पहले घर पहुंचा! घर में किसी से बात नहीं किया और खूब रो रहा था! वह अपने दादा जी को खोज रहा था! करीब दो घंटे के बाद दादा जी आए तो अवि ने स्कूल की पूरी कहानी सुनाई! अवि दादा जी को बोला कि वह गंदा स्कल है! उसमें वह कभी भी पढाई नहीं करेगा! दादा जी ’ाांत होकर अवि की बात सुनते रहे! दादा जी बोले कि बेटा स्कूल में ही नहीं घर में भी पौधा लगाना स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है! अगर ये पौधे नहीं रहेंगे, तो हम सांस नहीं ले पाएंगे! अवि उत्सुकताव’ा यह प्र’न किया कि आखिर पौधा का आदमी के सांस से क्या मतलब है! सांस तो खुद हम लेते हैं और छोडते हैं! यह तो हमारी मर्जी पर डिपेंड करता है कि हम पौधा के पास संास लें या नहीं! दादा जी अवि की बात सुनकर मुस्कुराने लगे और बोले कि बेटा हम रोज आWक्सीजन लेते हैं और कार्बनडायक्साइड छोडते हैं! पौधा इसके विपरीत आWक्सीजन छोडता है और कार्बनडायक्साइड गzहण करता है! अगर पौधे नहीं रहेंगे, तो कार्बनडायक्साइड जमा हो जाएंगे और आWक्सीजन के अभाव में सांस लेने में परे’ाानी होगी! इसके विपरीत अगर हम पौधे लगाते हैं, तो हमें घूप में छांव भी मिलेंगे और इसमें जो फल लगेंगे, वे हमारे ’ारीर को ’ाक्ति प्रदान करेंगे! इस प्रकार हम कह सकते हैं कि पौध ही जीवन है! अगर ये पौधे नहीं रहेंगे, तो आदमी एक पल भी जिंदा नहीं रह पाएगा और अनेक तरह के आपदा भी आते रहेंगे! दादा जी की बात अवि ध्यान से सुन रहा था! उसे पौधे का महत्व समझ में आ गया और बोला कि दादा जी मैं स्कूल में ही नहीं, घर में भी हर एक पौधा की रक्षा करूंगा! अवि की बातों से दादा जी काफी खु’ा हुए! दूसरे दिन दस प्रकार के पौधे लेकर अवि स्कूल पहुंचा और उसकी अच्छी तरह से देखभाल की! अवि के बदले व्यवहार से स्कूल के टीचर भी काफी खु’ा थे! उसे हर साल पौधा लगाने के कारण 20 में 20 माक्र्स आते थे! जब वह दसवीं में गया तो वह स्कूल में लगभग 100 पौधा लगा चुका था और कई तो फल भी देने लगे थे! स्कूल में पूरी तरह हरियाली देखकर सरकार ने इसे गzीन स्कूल नाम रख दिया और कई तरह की सुविधाएं भी अलग से दिए! 5 जून को धरती की रक्षा के लिए हर साल पर्यावरण दिवस मनाया जाता है! इस साल पर्यावरण दिवस पर स्कूल में डीएम आनेवाले हैं और कई स्टूडेंट को अवार्ड देनेवाले हैं! सभी स्टूडेंट काफी उत्साहित हैं! अवि भी तैयार होकर स्कूल जा रहा था! अवि ने दादा जी से कहा कि आज डीएम आनेवाले हैं! इसलिए आप भी स्कूल के फंक्’ान में चलिए! दादा जी भी अवि के स्कूल गए! डीएम साहब ने स्कूल के प्रयास को खूब सराहा और अवि को बेस्ट परफाWर्मर का पुरस्कार भी दिया! इससे उसके दादा जी के साथ साथ स्कूल के सभी टीचर फूले नहीं समाए और सभी अवि को गले से लगा लिए!