सोमवार, 18 अक्टूबर 2010
बुढ़ापे का सहारा
ममता रानी वर्मा मां का इकलौता बेटा बुढ़ापे का सहारा अमरीका में जा बैठा था। नाम था उसका सोनू। यों तो उसका रहन-सहन ठाठ-बाट कम न थे। बड़े ऊंचे ओहदे पर जो था वो। पर माँ को अपने साथ रखने में हिचकिचाता था। पर बूढ़ी माँ क्या करे। किसके सहारे जिए। बुढ़ापे में किसके दरवाजे पर जा पड़े, यह सोच-सोचकर वह परेशान थी। रिश्तेदारों ने बेटे को समझाया कि बुढ़ापे में अपनी माँ को अपने साथ रखो। बेटा बोला मैं हिन्दुस्तान नहीं आऊंगा और माँ तो है ठेठ गंवार वह अमेरिका में कैसे रहेगी। मेरे दोस्त मेरी मजाक बनाएंगे। पर बाद में बहुत समझाने के बाद वह माँ को अपने पास अमेरिका ले जाने को तैयार हो गया। माँ अमेरिका अपने बेटे और बहू को पास चली गई। रिश्तेदारों ने भी चैन की सांस ली।अब वहां माँ का हाल बेहाल हो गया। बहू को घर की नौकरानी मिल गई। पर माँ तो माँ है। वह अपने घर का काम करने में ही संतोष का अनुभव करती। कुशल होने के कारण माँ का निभाव हो रहा था। बेटे ने एक दिन अपने बॉस को पार्टी दी। बॉस ने सोनू के प्रमोशन का वादा जो किया था। अब क्या घर की साज सजावट होने लगी। घर का सारा खराब समान इधर-उधर पलंग के नीचे छिपाया जाने लगा। अब वह घड़ी आने वाली थी, शाम के पांच बजे बॉस को आना था। तभी सोनू की पत्नी रेखा की नार माँ पर पड़ी। वह चौक कर बोली, अरे माँ का क्या करें। माँ उस समय कहां रहेगी जब तुम्हारे बॉस आएंगे? माँ को कहां छिपाएं? सोनू ने कहा, पहले खाने की तैयारी माँ के साथ मिलकर कर लो, फिर माँ को छिपाने का भी प्रबंध करते हैं। सारा खाना तैयार करवाकर डाइनिंग टेबल पर लगा दिया गया। पांच बजने वाले थे। माँ को कहां छिपाया जाए? इसी बात को लेकर सब परेशान थे। अंत में एक स्टोर रूम में माँ को छिपा दिया और हिदायत दी कि कुछ भी हो बाहर मत आना। ठीक पांच बजे श्रीमान मुकुन्द सोनू के बॉस आ गए। गपशप के बाद खाना खाकर तो मुकुन्द जी ऊंगली चाटते रह गए। उन्होंने इतना स्वादिष्ट खाना कभी न खाया था। सोनू के बॉस खाना खाकर रेखा की तारीफ के पुल बांधने लगे, पर सोनू के बेटे निखिल ने सारी पोल खोल दी कि अंकल ये सारा खाना तो दादी माँ ने बनाया है। बॉस सोनू की माँ से मिलने के लिए उत्सुक हुए, बोले हमें भी उनसे मिलवाओ। निखिल तपाक से बोला, ''मम्मी डैडी ने उन्हें स्टोर रूम में बंद कर रखा है।'' कारण पूछने पर सोनू ने बॉस को बताया कि माँ गांव की रहने वाली है, इसलिए मैं माँ को तुम्हारे सामने नहीं लाना चाहता था।सोनू के बॉस ने सोनू को समझाया, माँ ने तुमको नौ महीने पेट में पाला, अपने खून से सींचा। माँ तुम्हें दुनिया के सामने लाने में नहीं शर्माई और तुम माँ को मेरे सामने लाने से शरमा रहे थे। बॉस ने माँ से मिलकर मां के पैर छुए। सोनू और रेखा शरम से गड़े जा रहे थे। प्राथमिक शिक्षिका, केन्द्रीय विद्यालय, ओ.एन.जी.सी., सूरत
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