अदा परियों की, सूरत हूर की, आंखें गिजालों की,
गरज माँगे कि हर इक चीज हैं इन हुस्न वालों की।
-हाफिज जौनपुरी
1.हूर - स्वर्ग में रहने वाली सुन्दर स्त्री, स्वर्गांगन 2. गिजाल - हिरण का बच्चा, मृगशावक
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अदा निगाहों से होता है फर्जे-गोयाई,
जुबां की हद से जब शौके-बयां गुजरता है।
1 फर्जे-गोयाई- बात कहने का फ़रज़्
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अश्क बनकर आई हैं वह इल्तिजाएं चश्म तक,
जिनको कहने के लिए होठों पै गोयाई नहीं।
-आनन्द नारायण मुल्ला
1.इल्तिजाएं - प्रार्थनाएं, दरखास्त
2.चश्म - आँख, नेत्र 3.गोयाई - बोलने की ताकत
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असर न पूछिए साकी की मस्त आंखों का,
यह देखिये कि कोई होशमंद बाकी है।
-हफीज जौनपुरी
उम्मीद वक्त का सबसे बड़ा सहारा है,
गर हौसला है तो हर मौज में किनारा है।
-'साहिर' लुधियानवी
इक नई बुनियाद डालेंगे तजस्सुम की 'शफा'
हर गुबारे-कारवां में कारवाँ ढूढ़ेंगे हम।-'शफा' ग्वालियरी
1. तजस्सुम - खोज, तलाश।
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उसके दामन में अगर शब हैं, सितारे भी तो हैं,
गर्दिशे-अफलाक से मायूस होना छोड़ दे।
1.गर्दिशे-अफलाक - दैवी प्रकोप, आसमान से आने वाली मुसीबत
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एक हैं दोनों, यास हो कि उम्मीद,
एक तड़पाए, एक बहलाए।-तमकीन सरमस्
1.यास - निराशा, नाउम्मेदी
कांटों पर अगर चलना ही पड़े,
मायूस न हो जाना राही,
जब फूल हों दिल के दामन में,
फिर क्या है जो इन्सां कर न सके।
खिजां अब आयेगी तो आयेगी ढलकर बहारों में,
कुछ इस अन्दाज से नज्मे-गुलिस्तां कर रहा हूँ मैं।
-'शफक' टौंकी
1.खिजां - पतझड़ की ऋतु 2. नज्म - प्रबन्ध, व्यवस्था
जो गम हद से जियादा हो, खुशी नजदीक होती है,
चमकते हैं सितारे रात जब तारीक होती है।
-'अपसर' मेरठी
1.तारीक - अंधेरी
दिल नाउम्मीद तो नहीं नाकाम ही तो है,
लंबी है गम की शाम, मगर शाम ही तो है।-फैज अहमद 'फैज'
नई सुबह पर नजर है मगर आह यह भी डर है,
यह सहर भी रफ्ता-रफ्त कहीं शाम तक न पहुंचे।
-शकील बंदायुनी
1.सहर - सुबह, प्रातः 2.रफ्ता-रफ्त - अहिस्ता-अहिस्ता, धीरे -धीरे