सोमवार, 27 अगस्त 2012

होके मायूस न आंगन से उखाड़ो पौधे, धूप बरसी है तो बारिश भी यहीं पर होगी।


मिल ही जाएगी ढूंढने वाले को बहार,
हर गुलिस्तां में खिजां हो यह जरूरी नहीं।

-'इकबाल'

1. खिजां - पतझड़ की ऋतु 'इकबाल' 

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मेरे दिले-मायूस में क्यों कर न हो उम्मीद,
मुरझाए हुए फूलों में क्या बू नहीं होती।

-'अख्तर' अंसारी

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मेरे दोस्तों की दिलआजारियों में,
मेरी बेहतरी की कोई बात होगी।

-अब्दुल हमीद 'अदम'

1.दिलआजारी- कोई ऐसी बात कहना या करना, जिससे किसी का दिल दुखे, सताना, कष्ट देना 
हजार बर्क गिरें, लाख आंधियां उठें,
वह फूल खिल के रहेंगे, जो खिलने वाले हैं।
-'साहिर' लुधियानवी

1.बर्क - बिजली
होके मायूस न आंगन से उखाड़ो पौधे,
धूप बरसी है तो बारिश भी यहीं पर होगी।

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