बुधवार, 4 दिसंबर 2013

मंगलयान में नारायण साईं


जब से मंगलयान आकाश में छोड़ा गया है, तभी से मैं भी सच्चे देशभक्तों की तरह सपने पालने लगा हूं. मंगलयान से करोड़ों देशवासियों की कुछ-न-कुछ अपेक्षायें जुड़ी हुई हैं. आखिर अपेक्षा क्यों न हो, पैसा भी तो काफी लगा है इसे बनाने में. कितनी मेहनत से तो साइंस रिसर्च के लिए सरकार से पैसे मिलते हैं, वह भी एक बार बर्बाद हो जाये, तो सरकार पैसा भी नहीं देगी. भले ही सरकार मध्यावधि चुनाव या भ्रष्टाचार को बचाने के नाम पर करोड़ों रुपये खुशी-खुशी खर्च कर दे, लेकिन साइंस रिसर्च में थोड़ी चूक उसे बर्दाश्त नहीं है.  हमें तो यही अपेक्षा है कि जो कुछ हमारी पुलिस और सरकार नहीं ढूंढ़ पा रही है, कम-से-कम वह काम मंगलयान कर दे. मंगलयान यदि समझदारी दिखाये, तो नारायण साईं का फोटो धरती पर भेज सकते हैं. इससे फायदा यह होगा कि मंगलयान को सरकार की तरफ से पांच लाख रुपये  का इनाम भी मिल जायेगा और नाम भी हो जायेगा. मुङो, तो सौ फीसदी लग रहा है कि नारायण साईं पृथ्वी पर नहीं होगा. यदि वह पृथ्वी पर होता, तो हमारी पुलिस अवश्य पता कर लेती, लेकिन कभी-कभी अखबार और टीवी न्यूज चैनल पर भी गुस्सा आता है कि अगर उसे पकड़ना ही है, तो हाय-तौबा मचाने की जरूरत ही क्या है? आप ही बताइये जरा कि इतने हो-हल्ला के बाद आदमी छिपेगा नहीं, तो पुलिस के आने का इंतजार करेगा? नहीं न. वैसे भी नारायण साईं योग्य पिता के योग्य पुत्र हैं. हमारा भारत महान इसलिए है कि अगर पुत्र योग्य न भी हो, तो उसे धकिया करयोग्य बना दिया जाता है. यह अलग बात है कि भगवान राम का बेटा भगवान नहीं बन पाया और श्रीकृष्ण जी के बेटा के बारे में कुछ पता ही नहीं है. हां, हमारे गांव में लखन राम चप्पल सीते थे और उनके बेटे ने चप्पल रिपेयरिंग का करोबार खड़ा कर रखा है. लोग उनके पिता के कारण ही अब तक उनकी दुकान में जाते हैं. भले ही देश में वंशवाद और शहजादा नेता लोगों के हॉट टॉपिक्स हों, लेकिन वही लोग इनके कर्णधार हैं. आसाराम बापू के भक्तों से सुना है कि वे एक तरह से भगवान की तरह हैं. अपनी योग साधना से वे कुछ भी कर सकते हैं, लेकिन मंगलयान से जो भी तसवीरें भेजी गयी हैं, उनमें नारायण साईं कहीं नहीं हैं. समझ में नहीं आ रहा है कि आखिर वह वहां नहीं हैं, तो आखिर कहां गये होंगे? उसी समय सोचा कि हो सकता है कि जब मंगलयान उड़ने के लिए तैयार होगा, उसी समय वे उसी के अंदर नारायण की तरह सवार हो गये होंगे और वहां साईं बाबा बनकर राज कर रहे होंगे. शक तब और मजबूत हो गया, जब बताया गया कि मंगलयान ठीक से काम नहीं कर रहा है. थोड़ी देर के लिए डर गया कि कहीं उन्होंने मंगलयान को हाइजेक, तो नहीं कर लिया और बदले में अपने बापू को मुक्त करने का शर्त न रख दे. सोच कर ही कलेजा मुंह को आ गया. जान में जान तब आयी, जब मंगलयान ने कुछ फोटो धरती पर भेजे. यदि आपने कभी कैमरे से फोटो खीचे होंगे, तो पता चल जायेगा कि फोटो हमेशा कैमरे के आगे का आता है. कभी भी पीछे का फोटू नहीं आता. हो सकता है कि नारायण साईं कैमरे के पीछे बैठा होगा और मजे ले रहा होगा. इस स्थिति में बेचारा मंगलयान कैसे फोटो भेजेगा? आखिर मंगलयान, तो मंगलयान के बाहर की ही फोटो खींचेगा न, उसके अंदर बैठा आदमी का कैसे भेज सकता है? सोचने की बात है. 

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