आजकल, कुत्ते भी कई प्रकार के हो गये हैं! जर्मन, अमेरिकी और न जाने किस नस्ल और जाति के हो गये हैं! आदमी के कितने जात हैं, यह तो लगभग सबको याद हो ही गया है! इसमें नेतवा का बडा रोल हो गया है! आए दिन चुनाव में हर जाति का नया नेता बनकर आ रहा है और अपनी जाति के गरीबी का बखान कर रहा है! बिहार में ही देखिए न, मांझी कह रहा है कि हम डोम हैं, इसी कारण बिहार के सीएम से हटाया जा रहा है! उस ससुरा को आखिर में नीति’ो न बैठाया था!नीति’ा बोला तो हट जाता, लेकिन नहीं!समझ में नहीं आता है ई आदमी रूपी कुत्ता का कौन सा नस्ल है!लगता है बौरा गया है! अक्षय कुमार की फिल्म इंटरटेनमेंट में यही दिखाया था कि आदमी बेबफा हो सकता है, लेकिन कुत्ता हमे’ाा वफादार होता है! यह सही भी है! जो दो रोटी खिला देगा, उसी का हो जाता है! आदमी को देखो,उसे तो कुत्ता भी नहीं कहा जा सकता है! साला जिस थाली में खाता है, उसी में छेद करता है!आजकल के आदमी के व्यवहार से कुत्ता भी ’ारमा जाएगा कि इसे किस जाति में रखूं! किस जाति का है, यह तो अब याद हो गया है! मैं उनकी बातों से आ’चर्य में पड गया कि आदमी भी कहीं कुत्ता होता है! लेकिन उसकी बातों से आ’वस्त हो गया कि यह सही कह रहा है! राजनीतिक समझ देखकर लगा कि ये बडे ज्ञानी हैं! इन्हीं समझ को देखकर किसी ने सही ही कहा था कि यूपी और बिहार में धर्म और राजनीति खून में बसा हुआ है!
कुछ दिनों पहले आफिस
से घर जा रहा था,तो रास्ते में देखा कि एक कूडा फेंकनेवाला और कुत्ता आपस में लड रहा
था! मैं यह वाकया दूर से देख रहा था! इस कारण इस घटना के बारे में बहुत अधिक जानकारी
नहीं हो पा रही थी! जिज्ञासाव’ मैं उस जगह पर पहुंचा तो देखकर सोच में पड गया!
मैं सोचने लगा कि आखिर इन दोनों में लडाई क्यों हो रही है! दोनों लड रहे थे! मैं वहां
से निकलना ही उचित समझा और अपने काम में मन लगाने लगा,लेकिन हमे’वही वाकया सामने आ जाता
था! इस कारण काफी परे’ाान रहने लगा! जब मैं दसवीं में था, तो भिक्षुक
कविता चाट रहे हैं जूठी पत्तल, कभी सडक पर अडे हुए और झपट लेने को उनसे कुत्ते भी हैं
खडे हुए, पढा था! मुझे लगा कि यही हालात यहां हैं, लेकिन उसमें तो कवि ने भिक्षुक का
वर्णन किया था कि कुत्ते का जो हिस्सा था, वह भिक्षुक खा रहा था! इसी कारण कुत्ता लडाई
कर रहा था! यहां कुडा वाला कुत्ता का अन्न फेंक रहा था! इस कारण लडाई चल रही थी! यही
सोचते सोचते मैं कब सो गया,पता नहीं चला! एकाएक भगवान आ गये और हमसे पूछ बैठे कि बोलो
तुम्हें क्या वरदान चाहिए! मैंने झट से मांग लिया कि मुझे कुत्ता का लैंग्वेज समझने
का वरदान दो! वे एवमस्तु कहकर चले गये! मैं उसी कुत्ता को ढुंढने लगा जो कूडावाला से
लडाई किया था! दो दिनों तक परे’ाान रहा, वह कुत्ता नहीं मिला! एक दिन उस कूडावाला
से मुलाकात हो गयी! मुझे लगा कि वह बता देगा, उस कुत्ता के बारे में! लेकिन उसने कहा
कि रोज इस तरह के घटना होते रहते हैं! कभी आदमी रूपी कुत्ते से तो स्वयं कुत्ता से
मिलन होता ही रहता है!अगर इन सबका लिस्ट लिखने लगूं तो कभी सुबह नहीं हो पाएगा! वैसे,
जिज्ञासाव’ा
उन्होंने यह पूछा कि मैं समझ नहीं पा रहा हूं कि तुम किस कुत्ते की बात कर रहे हो!
भाई, आजकल, कुत्ते भी कई प्रकार के हो गये हैं! जर्मन, अमेरिकी और न जाने किस नस्ल
और जाति के हो गये हैं! आदमी के कितने जात हैं, यह तो लगभग सबको याद हो ही गया है!
इसमें नेतवा का बडा रोल हो गया है! आए दिन चुनाव में हर जाति का नया नेता बनकर आ रहा
है और अपनी जाति के गरीबी का बखान कर रहा है! बिहार में ही देखिए न, मांझी कह रहा है
कि हम डोम हैं, इसी कारण बिहार के सीएम से हटाया जा रहा है! उस ससुरा को आखिर में नीति’ो न बैठाया था!नीति’ा बोला तो हट जाता, लेकिन
नहीं!समझ में नहीं आता है ई आदमी रूपी कुत्ता का कौन सा नस्ल है!लगता है बौरा गया है!
अक्षय कुमार की फिल्म इंटरटेनमेंट में यही दिखाया था कि आदमी बेबफा हो सकता है, लेकिन
कुत्ता हमे’ाा
वफादार होता है! यह सही भी है! जो दो रोटी खिला देगा, उसी का हो जाता है! आदमी को देखो,उसे
तो कुत्ता भी नहीं कहा जा सकता है! साला जिस थाली में खाता है, उसी में छेद करता है!आजकल
के आदमी के व्यवहार से कुत्ता भी ’ारमा जाएगा कि इसे किस जाति में रखूं! किस जाति का
है, यह तो अब याद हो गया है! मैं उनकी बातों
से आ’चर्य
में पड गया कि आदमी भी कहीं कुत्ता होता है! लेकिन उसकी बातों से आ’वस्त हो गया कि यह सही
कह रहा है! राजनीतिक समझ देखकर लगा कि ये बडे ज्ञानी हैं! इन्हीं समझ को देखकर किसी
ने सही ही कहा था कि यूपी और बिहार में धर्म और राजनीति खून में बसा हुआ है! मैं पूछना
ही चाह रहा था कि उसका रेडियो फिर से आन हो गया और आका’ावाणी की तरह सामाचार
वाचन करने लगा! क्या कहते हो साहब, हमारा बास कुत्ता से भी बदतर है! कुत्ता तो एक बार
ही परे’ाान
करता है और उसके बाद भूल जाता है! लेकिन आदमी रूपी कुत्ता आपको जिंदगी भर परे’ाान करता रहता है! आप
ही बताइये न कि कूडा फेंकना कितना टफ काम है, उसपर यह बाWस हमे’ाा यह हिसाब लगाता है
कि उसमें कितने बोदका के बोतल थे, कितने बिसलरी और कितने रम के! और कितने पाWलीथिन
थे! आप ही बताइये कि दिनभर कूडा उठाने के बाद दो चार बोतल मिलता है, उस पर भी इस बाWस
का नजर रहता है!साला अपना पाWलीथिन पीता है और लोगों से अपेक्षा रखता है कि वह बोदका
पीए और उस बोतल को कूडा में फेंक दे! बताइये न आज का दारूबाज इतना बेबकूफ है क्या!
वह पीता तो है, लेकिन बोतल उसकी बीवी संभालकर रख लेती है! सोचती है कि इससे कुछ पैसे
मिल जाएंगे! महीने भर में वह दस से बीस रूपया तो कमा ही लेती है!
एक बार तो गजब हो गया
सर जी! मेरे बाWस का भाई आर्मी में है! कुछ दिनों पहले वह अपने भाई का चार बोतल चूरा
लिया और सबको बताने लगा कि मेरा स्टैंडर्ड बढ गया है, क्योंकि मैं पाWलीथिन नहीं पीता
हूं! और एक दिन पीकर बोल रहा था कि अब हमें क्या दिक्कत है! घर में मेरी बीवी भी कमाती
है! हमलोगों को भी उस दिन खूब पिलाया! हमने पूछा कि सर जी भाभी क्या करती है, तो बोला
कि तुम्हें समझ में नहीं आएगा, क्योंकि वह स्वरोजगार करती है! स्वरोजगार पर पूरा डाWयलाWग
दिया! सही में हमलोगों को कुछ समझ में नहीं आया! यही समझ में आया कि स्वरोजगार का मतलब
खुद का रोजगार होता है! हमने पूछा कि उसकी बीवी कौन सी रोजगार करती है! भक, रोजगार
का करेगी गंवारू की पत्नी!तापका से कूडावला मुझे झल्लाते हुए बोला!वही दो चार बोतल
जो बेचकर पैसा कमायी थी, उसी को वह स्वरोजगार कह रहा था! इतना कमीना है कि उसका भी
पैसा नहीं छोडा! पी गया साला! क्या आप इसे आदमी कहेंगे! मैं भी उसकी बातों में इतना
म’ागूल
हो गया कि भूल गया कि हमें उस कुत्ता को खोजना है! जब मैं फिर उस कुत्ता के बारे में
पूछा तो बोला कि आप आधे हैं या आप भी लेते हैं! दो चार गंदी गाली मुझे दिया और चला
गया! इतना ही सुन पाया कि बेकार का टाइम खा रहा है साला! अंत में हमने यही सोचा कि
इससे मुंह लगाना बेहतर नहीं है! और मैं कुत्ता खोजने में व्यस्त हो गया! अपना पूरा
अनुभव लगा दिया, तब कहीं कुत्ता से मुलाकात हो पायी! उनसे बातचीत का प्रमुख अं’ा है
आप कहां चले गये थे! मैं आपको चार दिनों से ढूंढ रहा हूं!
आपको हम जैसे आम कुत्तों की कैसे याद आ गयी एकाएक!बिना
काम के तो आप किसी को पहचानते नहीं है और न ही बिना स्वार्थ के किसी को अपने घर में
रखते हैं! पहले अपना काम बताइये कि आप मुझसे क्या चाहते हैं!भाई आजकल आप लोगों का नेचर
इस तरह बदल रहा है कि नेचर को भी समझ में नहीं आता है कि माजरा क्या है!हमारे दादा
बताते थे कि व्यक्ति का नेचर और सिग्नेचर कभी नहीं बदलता है! लेकिन आजकल दोनों बदल
रहा है! डिजिटल सिग्नेचर के बावजूद रोज एक दूसरे के नाम पर घपले हो रहे हैं! जिसका
सही में सिग्नेचर है,उसे भगा दिया जाता है और जो फर्जी है, उसे उसका हक मारने के लिए
सबकुछ दे दिया जाता है! नेचर के बारे में कुछ कहना ही बैमानी है! अब तो अमीर घर की
लडकी सुंदर कुत्ते पर भी डोरे डालने लगी है! धन्य है भारत और धन्य है भारत के लोग!
जहां तक मेरा सवाल है, तो मैं चार दिनों के लिए बाहर चला गया था! इस कारण आपसे मुलाकात
नहीं हो पाई! बताइये क्या काम था आपको मुझ जैसे आम कुत्ते से! वैसे यदि आप आम कुत्ता
पार्टी बनाना चाहते हैं, तो मैं आपको इस मामले में काफी सहयोग कर सकता हूं! लेकिन पद
और पैसे मिलेंगे, तभी यह वर्क कर पाउंगा! वैसे यह आपको आ’वस्त करना चाहता हूं कि
यदि मैं आपके साथ जुट गया तो गली मुहल्ले के सभी कुत्ते आपके साथ हो जाएंगे!भ्ज्ञले
ही सभी कुत्ते वोट न दे पाए, लेकिन रोड ’ाो में इतनी भीड रहेगी कि टीवी पर सिर्फ आप
और आपकी भीड ही दिखेगी और हो सकता है कि कुछ बाजारू सर्वे आपको जीतते हुए भी बोल दे!!
3 टिप्पणियां:
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