बुधवार, 4 अगस्त 2010

कुंवारी और शादी-शुदा मर्द

आज नेट पर सर्च कर रहा था, तो एक लेख पर अनायास ही नजर टिक गई। हैडिंग देखकर मन ठनका, तो सोचकर दिल धड़कने लगा। लेख का सार यह था कि एक कुंवारी शादी-शुदा लड़के को दिल क्यों दे रही है। यह आजकल फैशन हो चला है, क्योंकि फिल्मी हीरोइनें आजकल यही कर रही है। यही मुख्य कारण बताया गया। क्या इस तरह के संबंध को बढ़ावा देना चाहिए? मेरी राय में इस तरह की बातें भारतीय समाज में गंदगी ही फैलाएगी। आज पाश्चात्य संस्कृति के लोग हमारी सभ्यता इसलिए अपना रहे हैं कि इसमें स्थायित्व है। स्थायित्व इसलिए है कि हमारी शादी पहले होती है, उसके बाद प्यार होता है। उनके बीच रिश्ते का जो बंधन है, वह जाति, खानदान, रीति रिवाज, हैसियत, कुंडली, खूबसूरती आदि कितने ही आधार पर खड़ा है। पाश्चात्य संस्कृति में पहले प्यार होता है। प्यार शारीरिक आकर्षण पर अवलंबित होता है। जब तक दोनों सुंदर हैं। शारीरिक बनावट बेहतर है, संबंध बने रहते हैं, लेकिन शरीर गिरते ही आत्मीयता तार-तार हो जाती है और वे लोग आसपास नजर दौड़ाने लगते हैं। क्योंकि लव मैरिज में भी दो व्यक्ति एक-दूसरे को इसलिए नहीं अपनाते कि दोनों दुनिया के सर्वश्रेष्ठ स्त्री-पुरुष हैं। दोनों एक-दूसरे को इसलिए चुनते हैं, क्योंकि जीवन के किसी मोड़ पर दोनों ने एक-दूसरे को अपने अनुकूल पाया। ऐसा बिल्कुल मुमकिन है कि आज कोई लड़की आपको बहुत अच्छी लगी और आपने उससे शादी कर ली लेकिन साल-दो साल बाद कोई और लड़की मिली, जिसमें कुछ और खासियतें हैं, जो आपकी खुद की चुनी प्रेमिका में नहीं और आपको वह भी अच्छी लगने लगे। यही हाल किसी लड़की का भी हो सकता है। भारतीय संस्कृति में यह बात नहीं है। यहां ना-ना करते प्यार तुम्ही से कर बैठे वाली बात है। यदि आप धड़कन सिनेमा देखेंगे, तो इसमें यही बताया गया है कि प्यार से बढ़कर शादी है अन्यथा न ही यह गाना हिट होता और न ही सिनेमा। हमें इस तरह की बातें दबानी चाहिए। तभी हमारी सभ्यता और देश का कल्याण होगा। यह मन का वहम होता है। यदि आत्मीय भाव से प्रेम किया जाए तो एक-दूसरे के बिना एक पल का जीना दूभर हो सकता है।

सोमवार, 2 अगस्त 2010

सही बात पर तलाक

आधुनिक शिक्षा मिली थी। इस कारण आधुनिक विचार थे मोहित के। वह सभी को यही बताता था कि संबंध विश्वास पर आधारित होते हैं। एक-दूसरे बीच विश्वास तभी बन सकती है, जब कोई भी बात एक-दूसरे से छिपी न हो। सभी उसके विचार से प्रभावित थे। मैं उससे काफी प्रभावित था। उसका विचार मुझे इतना अच्छा लगा कि आज हम दोनों अच्छे दोस्त बन गए हैं। लगभग 6 महीनों से बात नहीं हुई थी। इस बार जब मिला, तो वह रोने लगा। मैं उसे देखकर अपसेट हो गया। उसे किसी भी चीज की कमी नहीं है। सरकारी नौकरी भी कर रहा है और एक वर्ष पहले शादी भी हुई है। फिर किस तरह की परेशानी हुई इसे? सुलझा हुआ व्यक्ति था वह। दूसरे की उलझन सुलझाने में उसका कोई जवाब नहीं था। हुआ यूं कि शादी से पहले वह किसी लड़की से प्यार करता था। किसी कारणवश दोनों की शादी नहीं हो पाई। उसके बाद लगभग चार वर्षो तक अकेला रहा। अंत में माता-पिता के दबाव में आकर शादी के लिए तैयार हुआ। शादी के एक वर्ष बाद ही अब तलाक की नौबत आ गई। यार, घरवाले मना किए थे कि प्यार के बारे में कुछ भी नहीं बताना। लेकिन मुझे लगा कि सब कुछ उसे बता देना चाहिए, क्योंकि यदि बाद में पता चलेगा, तो विश्वास टूट जाएगा। यह सोचकर मैने उसे सब कुछ बता दिया। अब हालात यह है कि वह अपनी मर्जी से घर चलाना चाहती है। कहता हूं, तो रोने लगती है और उलाहना देती है कि आप अभी भी उसी लड़की से प्यार करते हैं। इस कारण मेरी बात नहीं सुनते, जबकि वास्तविकता यह है कि हम दोनों एक-दूसरे के बारे में 6 वर्षो से कुछ भी नहीं जानते। अब मेरी स्थिति कहीं की नहीं रही। मोहित के ये शब्द सुनकर कलेजा मुंह को आ गया और सोचने लगा कि सही कौन है? उसके घरवाले जो उन्हें पिछली बात नहीं बताने के लिए कह रहे थे या मोहित के आधुनिक विचार? लेकिन इसका हश्र तो बुरा हुआ। यदि नहीं बताया जाता और बाद में उसे पता चलता तो और भी अनर्थ हो सकता था। आप क्या सोच रहे हैं? आप ही बताइये न?

गलती किसकी?

विकलांग था वह। अंदर से पूरी तरह टूटा हुआ था। उस समय वह यही सोचता था कि उसे प्यार करने वाला कोई नहीं है, सिवा परिवार के। यह उन दिनों की बात है, जब वह पांचवीं क्लास में पढ़ता था। धीरे-धीरे बड़ा हुआ और नकारात्मक सोच भी उसी के हिसाब से बढ़ता गया। अब उसका हृदय शॉक प्रूव हो चुका था। अब उसे किसी बात का दुख नहीं होता था। मन में हमेशा यही इच्छा होती थी कि उसे भी अच्छे दोस्त मिले, लेकिन विकलांगता के कारण उससे सभी दूर रहते थे। यदि कोई चाहता भी था, तो अंदर से इतना टूट चुका था कि उसे अपमानित होने का डर सताता रहता था। इस भय से वह किसी के पास नहीं जाता था। इसी तरह दिन कटते गए और वह इंटरमीडिएट में पढ़ने लगा। जवान हो चुका था, इस कारण सपने भी देखने लगा। फिर अपने को संभालता कि यदि तुम्हें लड़का दोस्त नहीं बना रहा है, तो लड़की क्या पूछेगी? मन ही मन स्वयं को कोसता रहता था। काफी दुखी था वह। एक दिन वह अपने रिलैटिव के यहां गया और वहां एक खूबसूरत लड़की मिली। उसे देखते ही हर कुंवारे की तरह उसका भी मन डोलने लगा। फिर स्वयं को हीन समझकर नियंत्रित किया और चुपचाप बैठ गया। मजाक के लहजे में किसी ने कहा कि यह तुम्हें पूछेगी? अपनी विकलांगता तो देखो। वह कुछ नहीं बोला लेकिन मन ही मन रोने लगा अपनी विकलांगता को लेकर। उसे यह पता नहीं था कि अच्छे लड़के को भी लड़कियां भाव नहीं देती हैं। वह सभी का कारण विकलांगता को मानता था और मन ही मन कोसता रहता था। फिर एकाएक न जाने कहां से ऊर्जा आ गई और वह उस लड़की को पाने के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया। अंत में लड़के की जीत और वह लड़की उसकी प्रेमिका बन गई। आत्मविश्वास एकाएक काफी बढ़ गया और जो उसका उपहास उड़ाया था, उसके लिए करारा जवाब भी दिया वह। काफी कॉन्फिडेंस में था वह उस समय। खुश इस कारण नहीं था कि अब उसे प्रेमिका मिल गई है। खुश इस कारण था कि आज भी कद्रदानों की कद्र है। उसे समझ में आ गया कि मॉडर्न लड़की आज भी प्रतिभा और व्यक्तित्व को शारीरिक सुंदरता पर वरीयता देती है। उस समय तक सेक्स भावना नहीं थी। सिर्फ वह आगे बढ़ने के लिए इसका इस्तेमाल करना चाहता था। पहले से वह आईएएस बनने के लिए कृतसंकल्प था और अपनी तैयारी में जी जान से जुट गया। उस लड़की से उसे नया जीवन दिया और आगे बढ़ने का प्रेरणास्रोत भी बनी। यह प्रेम लगभग 6 वर्षो तक चला। अभी तक किसी तरह की गलत हरकत नहीं हुई। लड़का इतना ईमानदार था कि कभी लड़की पर दबाव नहीं डाला। सिर्फ साल में एक बार तीन से चार घंटे के लिए मिलता था और बहुत सारी बातें करता रहता था। दोस्तों के बीच उसका काफी क्रेज था। उसका आत्मविश्वास सातवें आसमान पर था। उसे लगने लगा कि अब वह भी इस धरती पर खास है। एक दिन लड़की बताई कि यदि तुम 6 महीने में नौकरी नहीं पकड़ते हो, तो हमारी शादी कहीं और हो जाएगी। इससे पहले लड़का खोने के डर से इस तरह की बात लड़की से नहीं कर पाया था। वह काफी खुश हुआ। उस दिन लड़की को न जाने क्या हो गया, उसके सामने सब कुछ देने को तैयार थी। लड़का इस कारण अपनी भावना को कंट्रोल में रखा कि इस तरह के समर्पित लड़की के साथ शादी के बाद ही कुछ होना चाहिए। इस कारण उसे कुछ नहीं कहा और आईएएस की परीक्षा छोड़कर कोई डिप्लोमा कोर्स कर लिया और संयोग से उसे नौकरी भी मिल गई। अपने घरवाले को भी तैयार कर लिया। लेकिन लड़की शादी से इस कारण इनकार कर दी कि वह विकलांग है। उस लड़के को समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करे। उसकी दुखती रग पर वह हाथ रख चुकी थी। लड़का कुछ नहीं कहा और अभी तक मौन है। आप ही बताइये न कि इसमें गलती किसकी है? लड़की यदि गलत होती तो 6 वर्षो तक उस बेरोजगार विकलांग से नि:स्वार्थ प्यार क्यों करती? यदि लड़का गलत होता तो वह लड़की को कुछ कह सकता था। ठीक ही कहा गया है कि त्रिया चरित्रम पुरुषस्य भाग्यम, देवो न जानाति, कुतो मनुष्यम।