सोमवार, 2 अगस्त 2010
गलती किसकी?
विकलांग था वह। अंदर से पूरी तरह टूटा हुआ था। उस समय वह यही सोचता था कि उसे प्यार करने वाला कोई नहीं है, सिवा परिवार के। यह उन दिनों की बात है, जब वह पांचवीं क्लास में पढ़ता था। धीरे-धीरे बड़ा हुआ और नकारात्मक सोच भी उसी के हिसाब से बढ़ता गया। अब उसका हृदय शॉक प्रूव हो चुका था। अब उसे किसी बात का दुख नहीं होता था। मन में हमेशा यही इच्छा होती थी कि उसे भी अच्छे दोस्त मिले, लेकिन विकलांगता के कारण उससे सभी दूर रहते थे। यदि कोई चाहता भी था, तो अंदर से इतना टूट चुका था कि उसे अपमानित होने का डर सताता रहता था। इस भय से वह किसी के पास नहीं जाता था। इसी तरह दिन कटते गए और वह इंटरमीडिएट में पढ़ने लगा। जवान हो चुका था, इस कारण सपने भी देखने लगा। फिर अपने को संभालता कि यदि तुम्हें लड़का दोस्त नहीं बना रहा है, तो लड़की क्या पूछेगी? मन ही मन स्वयं को कोसता रहता था। काफी दुखी था वह। एक दिन वह अपने रिलैटिव के यहां गया और वहां एक खूबसूरत लड़की मिली। उसे देखते ही हर कुंवारे की तरह उसका भी मन डोलने लगा। फिर स्वयं को हीन समझकर नियंत्रित किया और चुपचाप बैठ गया। मजाक के लहजे में किसी ने कहा कि यह तुम्हें पूछेगी? अपनी विकलांगता तो देखो। वह कुछ नहीं बोला लेकिन मन ही मन रोने लगा अपनी विकलांगता को लेकर। उसे यह पता नहीं था कि अच्छे लड़के को भी लड़कियां भाव नहीं देती हैं। वह सभी का कारण विकलांगता को मानता था और मन ही मन कोसता रहता था। फिर एकाएक न जाने कहां से ऊर्जा आ गई और वह उस लड़की को पाने के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया। अंत में लड़के की जीत और वह लड़की उसकी प्रेमिका बन गई। आत्मविश्वास एकाएक काफी बढ़ गया और जो उसका उपहास उड़ाया था, उसके लिए करारा जवाब भी दिया वह। काफी कॉन्फिडेंस में था वह उस समय। खुश इस कारण नहीं था कि अब उसे प्रेमिका मिल गई है। खुश इस कारण था कि आज भी कद्रदानों की कद्र है। उसे समझ में आ गया कि मॉडर्न लड़की आज भी प्रतिभा और व्यक्तित्व को शारीरिक सुंदरता पर वरीयता देती है। उस समय तक सेक्स भावना नहीं थी। सिर्फ वह आगे बढ़ने के लिए इसका इस्तेमाल करना चाहता था। पहले से वह आईएएस बनने के लिए कृतसंकल्प था और अपनी तैयारी में जी जान से जुट गया। उस लड़की से उसे नया जीवन दिया और आगे बढ़ने का प्रेरणास्रोत भी बनी। यह प्रेम लगभग 6 वर्षो तक चला। अभी तक किसी तरह की गलत हरकत नहीं हुई। लड़का इतना ईमानदार था कि कभी लड़की पर दबाव नहीं डाला। सिर्फ साल में एक बार तीन से चार घंटे के लिए मिलता था और बहुत सारी बातें करता रहता था। दोस्तों के बीच उसका काफी क्रेज था। उसका आत्मविश्वास सातवें आसमान पर था। उसे लगने लगा कि अब वह भी इस धरती पर खास है। एक दिन लड़की बताई कि यदि तुम 6 महीने में नौकरी नहीं पकड़ते हो, तो हमारी शादी कहीं और हो जाएगी। इससे पहले लड़का खोने के डर से इस तरह की बात लड़की से नहीं कर पाया था। वह काफी खुश हुआ। उस दिन लड़की को न जाने क्या हो गया, उसके सामने सब कुछ देने को तैयार थी। लड़का इस कारण अपनी भावना को कंट्रोल में रखा कि इस तरह के समर्पित लड़की के साथ शादी के बाद ही कुछ होना चाहिए। इस कारण उसे कुछ नहीं कहा और आईएएस की परीक्षा छोड़कर कोई डिप्लोमा कोर्स कर लिया और संयोग से उसे नौकरी भी मिल गई। अपने घरवाले को भी तैयार कर लिया। लेकिन लड़की शादी से इस कारण इनकार कर दी कि वह विकलांग है। उस लड़के को समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करे। उसकी दुखती रग पर वह हाथ रख चुकी थी। लड़का कुछ नहीं कहा और अभी तक मौन है। आप ही बताइये न कि इसमें गलती किसकी है? लड़की यदि गलत होती तो 6 वर्षो तक उस बेरोजगार विकलांग से नि:स्वार्थ प्यार क्यों करती? यदि लड़का गलत होता तो वह लड़की को कुछ कह सकता था। ठीक ही कहा गया है कि त्रिया चरित्रम पुरुषस्य भाग्यम, देवो न जानाति, कुतो मनुष्यम।
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