सोमवार, 2 अगस्त 2010
सही बात पर तलाक
आधुनिक शिक्षा मिली थी। इस कारण आधुनिक विचार थे मोहित के। वह सभी को यही बताता था कि संबंध विश्वास पर आधारित होते हैं। एक-दूसरे बीच विश्वास तभी बन सकती है, जब कोई भी बात एक-दूसरे से छिपी न हो। सभी उसके विचार से प्रभावित थे। मैं उससे काफी प्रभावित था। उसका विचार मुझे इतना अच्छा लगा कि आज हम दोनों अच्छे दोस्त बन गए हैं। लगभग 6 महीनों से बात नहीं हुई थी। इस बार जब मिला, तो वह रोने लगा। मैं उसे देखकर अपसेट हो गया। उसे किसी भी चीज की कमी नहीं है। सरकारी नौकरी भी कर रहा है और एक वर्ष पहले शादी भी हुई है। फिर किस तरह की परेशानी हुई इसे? सुलझा हुआ व्यक्ति था वह। दूसरे की उलझन सुलझाने में उसका कोई जवाब नहीं था। हुआ यूं कि शादी से पहले वह किसी लड़की से प्यार करता था। किसी कारणवश दोनों की शादी नहीं हो पाई। उसके बाद लगभग चार वर्षो तक अकेला रहा। अंत में माता-पिता के दबाव में आकर शादी के लिए तैयार हुआ। शादी के एक वर्ष बाद ही अब तलाक की नौबत आ गई। यार, घरवाले मना किए थे कि प्यार के बारे में कुछ भी नहीं बताना। लेकिन मुझे लगा कि सब कुछ उसे बता देना चाहिए, क्योंकि यदि बाद में पता चलेगा, तो विश्वास टूट जाएगा। यह सोचकर मैने उसे सब कुछ बता दिया। अब हालात यह है कि वह अपनी मर्जी से घर चलाना चाहती है। कहता हूं, तो रोने लगती है और उलाहना देती है कि आप अभी भी उसी लड़की से प्यार करते हैं। इस कारण मेरी बात नहीं सुनते, जबकि वास्तविकता यह है कि हम दोनों एक-दूसरे के बारे में 6 वर्षो से कुछ भी नहीं जानते। अब मेरी स्थिति कहीं की नहीं रही। मोहित के ये शब्द सुनकर कलेजा मुंह को आ गया और सोचने लगा कि सही कौन है? उसके घरवाले जो उन्हें पिछली बात नहीं बताने के लिए कह रहे थे या मोहित के आधुनिक विचार? लेकिन इसका हश्र तो बुरा हुआ। यदि नहीं बताया जाता और बाद में उसे पता चलता तो और भी अनर्थ हो सकता था। आप क्या सोच रहे हैं? आप ही बताइये न?
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2 टिप्पणियां:
सब का इतना बड़ा कलेजा नहीं होता कि झेल जाये.
ऐसे में, कुछ बातों पर पर्दा रहे तो ही ठीक. पहले वो विश्वास तो अर्जित हो प्रेम का कि इस तरह की बातें बता सकें.
बडी मौजूं बात कहीं आपने,
एक दोस्त से बात हो रही थी वो शादी के लिये लडकी चुनने वाली प्रक्रिया से गुजर रहा है। उसने पूछा कि बता दूं क्या कि कभी कभी हफ़्ते दस दिन में एक बार पी लेता हूं, हमने कहा कि हां बता देना।
एक अन्य शादीशुदा मित्र बोले, कदापि न बताना...
तुम तो कहोगे हफ़्ते दस दिन में एक बार और वहां लोग सोचेंगे कि जब खुद से हफ़्ते में एक बार बोल रहा है तो रोज ही बोतल खुलती होगी...
अब आगे आप ही सोच लें :)
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