टूटे हुए तारे को देख कर मैं ने कहा
ऐ दिल मांग ले तू भी मुराद कोई
फिर दिल से आवाज़ आई की,जो खुद टूट रहा हो
कैसे पूरी करेगा वोह फरयाद कोई
उसे पता था मुझे दर्द मे मुस्कुराने की आदत है
इस लिए वो रोज नया गम देता है मेरी खुशी
के लिए
इक खाब सुहाना टूट गया, एक ज़ख्म अभी तक
बाकी है,
जो अरमा थे सब ख़ाक हुए, बस राख अभी तक बाकी है
फूलो का हश्र वो समझ न सका " फराज "
मुझे तोड़ के कहता है की सम्भाल कर रखूंगा |
ना जाया करो कही भी कश्ती लेकर
तुम्हारे नसीब में कोइ किनारा नही
ना मांग मुजसे और ज्यादा
तनहाइआ को में एकलोता वारिश हुं
तनहाइआ को में एकलोता वारिश हुं
मसला जब भी चला है खूबसूरती का,
फैसला सिर्फ आपके चहेरेने कियां है.
मसला जब भी चला है गुलाबो का,
फैसला सिर्फ आपके होठोने किया है.
मसला जब भी चला है नशेके तोड का,
फैसला सिर्फ आपकी आंखोने कियां है.
मसला जब भी चला है रोशनाय जहां का,
फैसला सिर्फ आपके चहेरेकी रोशनीने कियां है.
मसला जब भी चला है कालि घटा का,
फैसला सिर्फ आपके उडते बालोने कियां है
मसला जब भी चला है एक पनाह्गाह का,
फैसला सिर्फ आपकी नर्म बाहोने कियां है.
मसला जब भी चला है दिवानगीक़ी हद का,
फैसला सिर्फ हमारी दिवानगीने किया है
फैसला सिर्फ आपके चहेरेने कियां है.
मसला जब भी चला है गुलाबो का,
फैसला सिर्फ आपके होठोने किया है.
मसला जब भी चला है नशेके तोड का,
फैसला सिर्फ आपकी आंखोने कियां है.
मसला जब भी चला है रोशनाय जहां का,
फैसला सिर्फ आपके चहेरेकी रोशनीने कियां है.
मसला जब भी चला है कालि घटा का,
फैसला सिर्फ आपके उडते बालोने कियां है
मसला जब भी चला है एक पनाह्गाह का,
फैसला सिर्फ आपकी नर्म बाहोने कियां है.
मसला जब भी चला है दिवानगीक़ी हद का,
फैसला सिर्फ हमारी दिवानगीने किया है
ग़ालिब :
शराब पीने दे मस्जिद में बैठ कर ...
या वो जगह बता जहाँ पर खुदा नहीं ...!!
इकबाल :
मस्जिद खुदा का घर है पीने की जगह नहीं ...
काफ़िर के दिल में जा वहां खुदा नहीं .....!!
फैज़ :
काफ़िर के दिल से आया हूँ ये देख कर ...
खुदा वहां मौजूद है लेकिन उसे पता नहीं ..!!
शराब पीने दे मस्जिद में बैठ कर ...
या वो जगह बता जहाँ पर खुदा नहीं ...!!
इकबाल :
मस्जिद खुदा का घर है पीने की जगह नहीं ...
काफ़िर के दिल में जा वहां खुदा नहीं .....!!
फैज़ :
काफ़िर के दिल से आया हूँ ये देख कर ...
खुदा वहां मौजूद है लेकिन उसे पता नहीं ..!!
सोच को बदलो सितारे बदल जायेंगे !
नज़र को बदलो नज़ारे बदल जायेंगे !!
नज़र को बदलो नज़ारे बदल जायेंगे !!
कश्तियाँ बदलने की जरुरत नहीं !
दिशाओं को बदलो किनारे बदल जायेंगे !!
"ठिकाना कब्र है तेरा , इबादत कुछ तो कर गाफिल ,
दस्तूर है के खाली हाथ किसी के घर नहीं जाते !"
"ना रखना हक किसी का मार कर अपने खजानो में ,
यह कर्जे वो हैं जो दोजखों में भी चुकाए नहीं चुकते !"
राहे वफ़ा है ,इसमें न यूँ मुंह बना के चल
काँटों को रोंद रोंद के मुस्करा के चल |
है किस्से बड़े मशहूर तेरी अय्यारियोँ के
अपनी भी हकीकत तुझसे जुदा नही है |
अगर हमें मोहब्बत तेरे जिस्म से होती तो
दुनिया
से छीन लेते
हमें इश्क तेरी रूह से है इसलिए तुझे खुदा से
मांगते है
वो क्यों खुद पे इतना गुरुर न करती "फरेज"
मैंने उस को चाहा जिसके चाहने वाले हजारों थे
मैंने उस को चाहा जिसके चाहने वाले हजारों थे
वो लिखते हैं हमारा नाम मिटटी में , और मिटा देते हैं ,
उनके लिए तो ये खेल होगा मगर ,हमें तो वो मिटटी में मिला देते हैं !!
उनके लिए तो ये खेल होगा मगर ,हमें तो वो मिटटी में मिला देते हैं !!
जिंदगी गुजरने के दो ही रस्ते है
"ग़ालिब" ..
एक तुजे नहीं आता एक मुझे नहीं आता..
एक तुजे नहीं आता एक मुझे नहीं आता..
वो आये सहरे खामोशां में बड़े नाज़ से , कब्र देखि मेरी तो
कहने लगे ;
चलो इतनी तरक्की तो इसकी , एक बेघर ने अच्छा सा घर ले लिया
ना कर कोई वादा फिर से नया
पहले वादे पुराने निभा तो सही
पहले वादे पुराने निभा तो सही
आप खुद ही अपनी अदाओं में ज़रा ग़ौर कीजिये
हम अर्ज़ करेंगे तो शिकायत होगी
हम अर्ज़ करेंगे तो शिकायत होगी
दर्द से होगई है दोस्ती कुछ इस क़दर
के अब दर्द सा होता है दर्द ना मिलने पर ...
..
कुछ जियादा ही गहरी बातें करने लगा हूँ मैं..
के उसने समजना ही छोड़ दिया डूबने के डर से..
कही छत थी दीवार ओ दर थे कही
मिला मुझको घर का पता देर से
दिया तो बहुत ज़िन्दगी ने मुझे
मगर जो दिया वो दिया देर से
मगर जो दिया वो दिया देर से
अब से पहले के जो क़ातिल थे बहुत अच्छे थे
कत्ल से पहले वो पानी तो पिला देते थे
कत्ल से पहले वो पानी तो पिला देते थे
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