मंगलवार, 31 जनवरी 2012

नां भूले अपने मां बाप को

आज मंगलवार है। आज का दिन मैं प्‍लानिंग और रिलैक्‍स के लि‍ए रखता हूं। आज का दि‍न ही सही अर्थों में मेरे लिए सबसे क्रिएटिव होता है। क्‍योंक‍ि इस दि‍न मैं पढाई भी करता हूं और पढने से एक सप्‍ताह तक तरोताजा महसूस भी करता हूं। पढने के सिलसिले में कुछ बातें मानस पटल पर ऐसे बैठ जाती है कि निकलने का नाम नहीं लेता है। अहा जिंदगी में अपनी जडों से दूर न हों, पढने के बाद मैं  खुद काफी परेशान और विचारशील हो गया हूं। सोचने लगा कि  क्‍या खुद नौकरी करके पेट पालना ही आज के मनुष्‍य का ध्‍येय रह गया है। आदमी अपने कुटुम्‍ब को भूल रहा है। अहां जिंदगी में इस संबंध में एक सुंदर लेख पढा। यह लेख मुझे काफी प्रभावित किया है। इसमें कहा गया है कि  मनुष्‍य अकेले कुछ भी नहीं कर सकता है। समूह में रहना और सामू‍हि‍कता का बोध ही एक ऐसी खासियत है , जिसके चलते इंसानों ने इतनी तरक्‍की की है। इंसानों के अलावा भी कई जीव है, जो समूह में  रहते हैं, लेकिन  उनका समूह अमूमन अपने बुजुर्ग और बीमार लोगों का साथ छोड देता है। इंसानों के मामले में ऐसा नहीं है। आजकल के लोग भी अपने मां बाप, भाई बहन व सगे संबंधियों को भूलने लगे हैं। लोग आपसी सहयोग  की नींव पर टिकी इमारत को खालिस मुनाफे की नजर से देखने लगे हैं। मतलब जहां फायदा नहीं, वहां पल भर भी समय नहीं गंवाते हैं आज के पढे लिखे महत्‍वाकांक्षी लोग। वे भूल जाते हैं कि जिस दरख्‍त की वे शाख हैं,  उसकी जडों में कोई ऐसा भी है, वह अभी जिंदा है और आपको उंचाई पर पहुंचाने में उनकी अहम भूमिका रही है। उनके साथ रहने से फायदा यह है कि वे आपसे अधिक दुनिया देखी है, जो अपने अनुभवों से सही गलत का रास्‍ता आपको बता सकते हैं और आनेवाली खतरों से सावधान भी कर सकते हैं। संभव है कि वह यह न बता पाएं कि आज के जमाने में क्‍या है सही, क्‍योंकि उसका जमाना कुछ अलग था और अब की रवायतें अलग हैं, लेकिन यह सही है कि जब आप हार थक कर आएंगे, वहीं सहारा देनेवाले और हिम्‍मत बढानेवाले होंगे आपके पास। लोग अक्‍सर भूल जाते हैं कि आज जिन लोगों की उम्र ने उन्‍हें असहाय बना दिया है, एक जमाना वह भी  रहा होगा, जब उन सूखे दरख्‍तों में हरियाली रही होगी, जिनकी छांव में न जाने कितने लोग सुकून महसूस करते होंगे। आज बूढे हैं, कल वे जवान थे और उन्‍होंने भी अपने परिवार और समाज के लिए काफी कुछ किया होगा। मनुष्‍य का बचपन अक्‍सर शुरुआती चरणों में माता पिता के साए में बीतता है, नौजवानी में एक भरोसा रहता है कि कोई तो है, जिसे जरूरत के वक्‍त में ताका जा सके। फि‍र जीवन का वह उम्र आता है, जब उम्र जवाब देने लगती है। उस आनेवाले जेनरेशन का यह कर्तव्‍य बनता है कि जीवन संध्‍या में रोशनी करने का काम वो करें, जिनकी भोर को उन्‍होंने सुनहरा बनाया था।  मैं ये नहीं कह रहा हूं कि आप काम छोडकर घर बैठ जाएं। लेकिन हम इतना तो कर ही सकते हैं कि  आप अवकाश में अपने घर जाएं, माता पिता और भाइयों के साथ कुछ समय बिताएं और संभव हो तो उनकी कुछ जरूरतों को पूरा करें। क्‍या आज हम कम उम्र में अच्‍छी नौकरी कर सकते हैं। बच्‍च्‍ो को अंग्रेजी स्‍कूल में पढा सकते हैं, लेकिन घर नहीं जा सकते। समय निकालेंगे, तो आप अवश्‍य जा सकते हैं। ऐसा करके न सिर्फ आप बीते कल को शुक्रिया कहेंगे, बल्कि आनेवाले कल की जिम्‍म्‍ेदार पीढी के मन में संस्‍कार के बीज बो सकेंगे। 

शनिवार, 14 जनवरी 2012

दादी ने बताई मकर संक्रान्‍त‍ि का महत्‍व

अभी तक मुझे यही मालूम था क‍ि 14 जनवरी को मकर संक्रान्‍त‍ि मनाई जाती है। इस कारण सुबी नहा धोकर तैयार हो गया। पत्‍नी खाने में रोटी सब्‍जी दी तो आग बबूला हो गया और उनकी बातों को सुने बि‍ना काफी कुछ कह दि‍या।   बाद में पता चला क‍ि आज नहीं कल मकर संक्रान्‍त‍ि है। इस कारण वह स्‍पेशल खाना नहीं बनाई थी।मकर संक्रान्‍त‍ि मैं काफी द‍िनों से मनाता हूं। जब बच्‍चा था, तो सुबह से ही लाई खाना शुरू कर देता था। खूब खाता था। खाने से अधकि काफी मजा लेता था। उस दि‍न घरवाले पढने के लि‍ए नहीं कहते थे और इस तरह के खाने कभी कभी मि‍लते थे। उस समय यही सोचता था क‍ि काश इस तरह के पर्व रोज हों, तो मजा आ जाएगा। अब नौकरी कर रहा हूं। शहर में रह रहा हूं। आजकल के बच्‍चे इस तरह के मजे नहीं ले रहे हैं। उनके माता पिता काफी पढे हैं और सेव को सेव कहने पर पीटते भी हैं। वे इसे एपल कहते हैं। वह गर्व से कहती है क‍ि हमारे बच्‍चे को इसमें रुचि नहीं है। इस कारण मैं खि‍चडी नहीं बाती हूं। एक दि‍न मुझे सर्दी थी और डॉक्‍टर खि‍चडी खाने से मना कि‍ए थे, लेकि‍न दादी जबर्दस्‍ती मुझे खि‍लाई थी और इस पर्व का महत्‍व बताई थी। जबक‍ि वह पढी लि‍खी नहीं थी। आजकल के बच्‍चे को शायद ही यह मालूम हो क‍ि यह पर्व क्‍यों मनाया जाता है। दादी हमें बताई थी क‍ि भारतीय संस्कृति में मकर संक्रांति आपसी मनमुटाव को तिलांजलि देकर प्रेम बढ़ाने हेतु मनाई जाती है। इस दिन की आने वाली धार्मिक कृतियों के कारण जीवों में प्रेमभाव बढ़ने में और नकारात्मक दृष्टिकोण से सकारात्मक दृष्टिकोण की ओर जाने में सहायता मिलती है। पौराणिक मान्यता है कि इस दिन भगवान भास्कर अपने पुत्र शनि से मिलने स्वयं उसके घर जाते हैं। चूंकि शनिदेव मकर राशि के स्वामी हैं, अत: इस दिन को मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता है। महाभारत काल में भीष्म पितामह ने अपनी देह त्यागने के लिए मकर संक्रांति का ही चयन किया था। मकर संक्रांति के दिन ही गंगाजी भगीरथ के पीछे-पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होकर सागर में जा मिली थीं। इसलिए संक्रांति मनाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। इस दिन तिल,गुड़ के सेवन का साथ नए जनेऊ भी धारण करना चाहिए। सही या गलत, लेकि‍न उस दि‍न से अवश्‍य मनाता हूं। आपको भी मकर संक्रान्‍त‍ि की शुभकामना।    

मां ने अपनी ही बेटी के साथ रेप किया

 एक मां ने अपनी ही बेटी के साथ रेप किया और इसका विडियो भी बनाया। इस आरोप में उसे चार साल की जेल की सजा सुनाई गई है। घटना ऑस्ट्रेलिया की है। चार बच्चों की 37 साल की मां ने अपनी सबसे छोटी 11 साल की बेटी के साथ ऐसा किया। दरअसल उसने सेक्स एजुकेशन के लिए ऐसा किया। कुछ सवालों के जवाब जानने के लिए उसने इसका एक्स्पेरिमेंट अपनी ही बच्ची पर कर डाला। उसने बच्ची के साथ कई सेक्शुअल ऐक्टिविटी कीं और उसे मोबाइल में फिल्माया भी। कोर्ट में सुनवाई के दौरान कहा गया कि महिला ने खुद के स्वार्थ के लिए अपनी ही बच्ची के साथ ऐसा किया। अपनी ही बच्ची के साथ मां के रेप करने की घटनाएं कम ही देखी जाती हैं, यह एक सीरियस ऑफेंस है। कोर्ट ने उसे चार साल की जेल की सजा सुनाई है।यही एक रिश्‍ता था, जो अभी तक बचा हुआ था। इस रिश्‍ते को कलंकि‍त करनेवाली भी धतरी पर आने लगी। अभी तक माता के कुमाता होने की बात कहीं नहीं आ रही थी। यह क्‍यों हो रहा है। ऐसी बात नहीं है कि ये पढे लिखे लोग नहीं हैं। ये काफी पढे लिखे हैं। यदि पढे लिखे ऐसा कर रहे हैं, तो जहां अशि‍क्षा है, वहां तो और भयावह स्‍थि‍ति होगी। लेकि‍न कभी कभी अशि‍क्षि‍त श‍िक्ष‍ित से बेहतर होते हैं। यह मैं अपने गांव की चाची को देखकर कह रहा हूं। वे पढी लि‍खी नहीं है। उसके दो बेटे हैं। दोनों बेटे किसान हैं। संपत्ति काफी है, लेकि‍न वह रोज भूखी सोती है। गांव वाले कुछ दे देते हैं, तो खा लेती है। उसके नाम से दस बीघा जमीन भी है। समाज के लोग उनसे कह रहे हैं क‍ि तुम इसे लेकर क‍िसी को दे दो। वह तुम्‍हें अच्‍छी तरह खाति‍रदारी करेगा, लेकि‍न उसका कहना है क‍ि हमारी संपत्ति पर बेटा का जन्‍मना अधिकार है। मैं उसका अधिकार कि‍सी को नहीं दे सकती हूं। बेटा अपना कर्म कर रहा है। मैं अपना कर्म कर रहा हूं। शायद भगवान के घर में कुछ चूक हो गई थी। इस कारण इस तरह का कष्‍ट हो रहा है। वह अपनी बात के समर्थन में कहती है क‍ि कौशल्‍या राम की माता थी, फि‍र भी उन्‍हें काफी कष्‍ट उठाना पडा था। यह विधि का वि‍धान है। इसे कोई नहीं टाल सकता है। उस समय उसे हमलोग अश‍िक्षि‍त कहकर मजाक उडाते थे, आज शि‍क्षित मां की यह करतूत मुझे ह‍िलाकर रख दि‍या है। अप कह सकते हैं क‍ि इस तरह की मां कम है, लेकि‍न सवाल तो जरूर खडा करती है


सवाल ये नहीं क‍ि शीशा टूटा कि बच गया, सवाल यह है कि पत्‍थर आया किधर से।          


















        

मंगलवार, 3 जनवरी 2012

अगर पत्‍थर बन जाता तो

आज एक ऐसी घटना हुई, जिसे सुनकर बहुत आश्‍चर्य हुआ। हुआ यूं क‍ि  एक जनवरी को कानपुर में बारिश हुई थी। इस कारण रात का माहौल काफी सर्द था। दो जनवरी के रात को सभी लोग सोए हुए थे। मैं भी सोया हुआ था। रात को लगभग एक बजे बाहर काफी हल्‍ला हो रही थी। बाहर निकला तो देखा कि सभी लोग घर से बाहर निकले हुए हैं और काफी भयभीत हैं। पूछने पर पता चला क‍ि आज रात जो सोएगा, वह पत्‍थर बन जाएगा। मैं भी काफी परेशान हो गया। बाद में सोचा क‍ि इस आधुनिक युग में भी ऐसा होता है। खैर मजेदार यह रही क‍ि जब ऑफि‍स आया तो सभी के साथ इसी तरह की घटना हुई थी। कुछ लोग कह रहे थे क‍ि यदि पत्‍थर बन जाता तो मैं अपनी पत्‍नी को सुला देता और जब वह पत्‍थर बन जाती तो लोगों के सामने गाना गाता क‍ि पत्‍थर के सनम, तूझे हमने मुहब्‍बत का खुदा मा;;;;;;;;;;;;;; । तो  कोई कह रही थी क‍ि मैं अपने पत‍ि को सुला देती और जब वे पत्‍थर बन जाते तो गाती कि हुस्‍न हाजि‍र है, मुहब्‍बत की सजा पाने को :::::::::::::::::। एक बुजुर्ग कह रहे थे क‍ि यह होकर रहेगा। क्‍योंकि अब सतयुग आनेवाला है। हो सकता है क‍ि कलयुग में सभी पापी बनकर पत्‍थर बन जाए और राम अवतरित होने का कारण बने। भई जि‍तनी मुंह, उतनी बात। मुझे तो लग रहा था क‍ि यदि हम एक मिनट के लिए सोचें क‍ि मेरी पत्‍नी पत्‍थर बन गई होती तो मैं क्‍या करता। मुझे हंसी आती है इस तरह के लोगों पर। क्‍या 2012 में भी हम इस तरह की सोच रखते हैं।  नया वर्ष सभी के लएि पत्‍रि न बनकर मंगलमय हो, यही हमारी प्रार्थना है भगवान से।