अभी तक मुझे यही मालूम था कि 14 जनवरी को मकर संक्रान्ति मनाई जाती है। इस कारण सुबी नहा धोकर तैयार हो गया। पत्नी खाने में रोटी सब्जी दी तो आग बबूला हो गया और उनकी बातों को सुने बिना काफी कुछ कह दिया। बाद में पता चला कि आज नहीं कल मकर संक्रान्ति है। इस कारण वह स्पेशल खाना नहीं बनाई थी।मकर संक्रान्ति मैं काफी दिनों से मनाता हूं। जब बच्चा था, तो सुबह से ही लाई खाना शुरू कर देता था। खूब खाता था। खाने से अधकि काफी मजा लेता था। उस दिन घरवाले पढने के लिए नहीं कहते थे और इस तरह के खाने कभी कभी मिलते थे। उस समय यही सोचता था कि काश इस तरह के पर्व रोज हों, तो मजा आ जाएगा। अब नौकरी कर रहा हूं। शहर में रह रहा हूं। आजकल के बच्चे इस तरह के मजे नहीं ले रहे हैं। उनके माता पिता काफी पढे हैं और सेव को सेव कहने पर पीटते भी हैं। वे इसे एपल कहते हैं। वह गर्व से कहती है कि हमारे बच्चे को इसमें रुचि नहीं है। इस कारण मैं खिचडी नहीं बाती हूं। एक दिन मुझे सर्दी थी और डॉक्टर खिचडी खाने से मना किए थे, लेकिन दादी जबर्दस्ती मुझे खिलाई थी और इस पर्व का महत्व बताई थी। जबकि वह पढी लिखी नहीं थी। आजकल के बच्चे को शायद ही यह मालूम हो कि यह पर्व क्यों मनाया जाता है। दादी हमें बताई थी कि भारतीय संस्कृति में मकर संक्रांति आपसी मनमुटाव को तिलांजलि देकर प्रेम बढ़ाने हेतु मनाई जाती है। इस दिन की आने वाली धार्मिक कृतियों के कारण जीवों में प्रेमभाव बढ़ने में और नकारात्मक दृष्टिकोण से सकारात्मक दृष्टिकोण की ओर जाने में सहायता मिलती है। पौराणिक मान्यता है कि इस दिन भगवान भास्कर अपने पुत्र शनि से मिलने स्वयं उसके घर जाते हैं। चूंकि शनिदेव मकर राशि के स्वामी हैं, अत: इस दिन को मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता है। महाभारत काल में भीष्म पितामह ने अपनी देह त्यागने के लिए मकर संक्रांति का ही चयन किया था। मकर संक्रांति के दिन ही गंगाजी भगीरथ के पीछे-पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होकर सागर में जा मिली थीं। इसलिए संक्रांति मनाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। इस दिन तिल,गुड़ के सेवन का साथ नए जनेऊ भी धारण करना चाहिए। सही या गलत, लेकिन उस दिन से अवश्य मनाता हूं। आपको भी मकर संक्रान्ति की शुभकामना।
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