कुछ दिन पहले ही घर
में मां आई थी
वैभव खुश था अपनी
दादी को पाकर
वाइफ खुश थी अपनी
सास से मिलकर
मां भी खुश थी नए
वातावरण और नए लोगों से मिलकर
मैं खुश था सभी को
देखकर।
सोच रहा था कि काश
यह उत्सव हमेशा बनी रहे
सभी में खुशियों की
चमक इसी तरह चमकती रहे।
लेकिन कुछ दिनों के
बाद ही मैं परेशान हो गया मां से
मां भी परेशान होगी
मेरे व्यवहार से
पत़्नी परेशान हो
रही थी हम दोनों के व़यवहार से।
आपने क्यों बताया
अपनी मां को
वह नारज होकर रो रही
है।
मैं निरुत्तर था
वाइफ के सामने
चाहकर भी कुछ नहीं
कह पा रहा था
वो मौन को मेरा पाखंड
समझ रही थी
मैं अपनी भावनाओं को
काबू में रखकर कुछ बोलना चाहता था
लेकिन वह लगातार
बोलती जा रही थी।
सफाई में कहा उनसे
जाने का समय पूछ लिया।
कौन सा बडा अपराध
किया।
अगर नहीं पूछता तो वह
समय पर घर नहीं जा सकती
क्योकि बिहार जाने
के लिए चार महीने पहले ही रिजर्वेशन बनाना पडता है।
वह नाराज इसलिए हो
गई थी कि तुम घर जाने से दो दिन पहले रिजर्वेशन बनाते
मैं उन्हें यह समझा
नहीं पाया कि रिजर्वेशन चार महीने पहले बनते हैं।
इसी बात पर तकरार
थी।
हम दोनों एक ही जगह
रहना चाहते थे
लेकिन परिस्थितियां
और वक्त हमें अलग करने पर तुली हुई थी।
मां को अपने गांव जाना
था और मुझे बच्चे को पालने के लिए नौकरी करनी थी।
अंत में दुखी मन से मैं
भी उसे विदा कर दिया और वह भी बुझी मन से गांव चली गई
कल फोन किया तो बोल
रही थी कि पोते की याद आ रही है
उसे जल्द यहां लेते
आना, मन नहीं लग रहा है उसके बिना
मैं सोचा कि उसके
जाने के बाद भी तुम्हें मन नहीं लगेगा
इसलिए क्यों बुलाती
हो तुम इन्हें।
लेकिन फिर सोचा कि
मिलना बिछडना तो संसार का नियम है
तात्कालिक कष्ट के
बाद सभी एक दूसरे को भूल जाते हैं
जैसे पिताजी के मरने
के बाद अब हम उसे भूल गए हैं।
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