शनिवार, 30 मार्च 2013

हमने जिंदगी गुजारी है किराये के मकानों में।'


परिंदे भी नहीं रहते पराये आशियानों में,

हमने जिंदगी गुजारी है किराये के मकानों में।'

जीना भी एक बहुत बडा जुर्म है आखिर

शायद इसी लिये हर शख्स को स़जाए मौत मिलती है|   

ना तुझको ख़बर हुई ना ज़माना समझ सका..

हम तुझ पर चुपके चुपके कई बार मर गये !!


हमने तेरे बाद न रखी किसी से मोहब्बत की आस;

एक शक्स ही बहुत था जो सब कुछ सिखा गया!

तकदीरें बदल जाती है, जब ज़िन्दगी का कोई मकसद हो;

वरना ज़िन्दगी तो कट ही जाती है, तकदीर को इल्जाम देते देते!


मुझको थकने नहीं देता , ये ज़रुरत का पहाड़.

मेरे बच्चे मुझे बूढा होने नहीं देते......

भगवान शंकर ने यतिनाथ अवतार


भगवान शंकर ने यतिनाथ अवतार लेकर अतिथि के महत्व का प्रतिपादन किया है। उन्होंने इस अवतार में अतिथि बनकर भील दम्पत्ति की परीक्षा ली थी जिसके कारण भील दम्पत्ति को अपने प्राण गवाने पड़े। हमारे धर्म शास्त्रों में भी यही लिखा है कि यदि आपके घर कोई अतिथि आ जाए तो यथासंभव उसका सम्मान करना चाहिए क्योंकि अतिथि देवता के समान होता है। ऐसा करने से भगवान शंकर उसी प्रकार प्रसन्न होते हैं जिस तरह भील दम्पत्ति पर हुए थे। यह अवतार वर्तमान परिदृश्य में अतिथि की भूमिका का एक श्रेष्ठ उदाहरण है। 

जब भील दम्पत्ति के अतिथि बने शिव

अर्बुदाचल पर्वत के समीप शिवभक्त आहुक- आहुका भील दम्पत्ति रहते थे। एक बार भगवान शंकर यतिनाथ के वेष में उनके घर आए। उन्होंने भील दम्पत्ति के घर रात व्यतीत करने की इच्छा प्रकट की। घर में स्थान की न्यूनता के कारण भील संकोच में पड़ गया। आहुका ने अपने पति को गृहस्थ की मर्यादा का स्मरण कराते हुए स्वयं धनुषबाण लेकर बाहर रात बिताने और यति को घर में विश्राम करने देने का प्रस्ताव रखा। इस तरह आहुक धनुषबाण लेकर बाहर चला गया। प्रात:काल आहुका और यति ने देखा कि वन्य प्राणियों ने आहुक का मार डाला है। इस पर यतिनाथ बहुत दु:खी हुए। तब आहुका ने उन्हें शांत करते हुए कहा कि आप शोक न करें। अतिथि सेवा में प्राण विसर्जन धर्म है और उसका पालन कर हम धन्य हुए हैं। जब आहुका अपने पति की चिताग्नि में जलने लगी तो शिवजी ने उसे दर्शन देकर अगले जन्म में पुन: अपने पति से मिलने का वरदान दिया।

बुधवार, 20 मार्च 2013

प्यार और पराजय


 प्यार और पराजय
मैं भाग्यशाली था कि जीवन में मुझे जो कुछ करना था, उसकी जानकारी मुझे काफी पहले मिल गई थी. वोज और मैंने एप्पल को अपने माता-पिता के गैराज में शुरू किया था और तब मैं 20 वर्ष का था.

कड़ी मेहनत से दस वर्षों में एप्पल मात्र दो लोगों की कंपनी से 2 अरब डॉलर की 4 हजार कर्मचारियों से अधिक की कंपनी बन गई. तब हमने अपना सबसे अच्छा उत्पाद 'मैकिंतोश' जारी किया था. उस समय एक वर्ष पहले मैंने 30वीं सालगिरह मनाई थी. और इसके बाद ही मुझे कंपनी से निकाल दिया गया.

जब कंपनी आपने ही शुरू की हो तो कैसे आपको इससे निकाला जा सकता है. जैसे-जैसे एप्पल बढ़ती गई, मैंने अपने से ज्यादा प्रतिभाशाली व्यक्ति को कंपनी चलाने के लिए रखा. एक साल तक सब कुछ ठीक चलता रहा लेकिन बाद में भविष्य की योजनाओं को लेकर मतभेद होते गए और अंत में झगड़ा हो गया.

हमारे झगड़े के बाद बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स ने उसका पक्ष लिया और तीस वर्ष की आयु में कंपनी से बाहर हो गया. अपने वयस्क जीवन में मैंने जिस पर अपना सब कुछ लगा दिया था, वह जा चुका था और यह बहुत निराशाजनक बात थी. इसके बाद कुछे महीनों तक तो मुझे नहीं सूझा कि क्या करूँ. मुझे लगा कि मैंने पहली पीढ़ी के उद्यमियों को निराश किया और जब बैटन मेरे हाथ में आने वाला था, तब मैंने इसे गिरा दिया.

मैं डेविड पैकर्ड और बॉब नॉयस से मिला और उनसे अपने व्यवहार के लिए माफी माँगने का प्रयास किया और इस समय मैंने कैलिफोर्निया से ही भागने का मन बनाया लेकिन धीरे-धीरे कुछ बात मेरी समझ में आने लगी और मुझे वही सब कुछ अच्छा लगने लगा था, जो कि कभी अच्छा नहीं लगता था. हालाँकि इस बीच एप्पल में थोड़ा बहुत भी बदलाव नहीं आया था, इसलिए मैंने सब कुछ नए सिरे से शुरू करने का फैसला किया. उस समय यह बात मेरी समझ में नहीं आई लेकिन बाद में लगा कि एप्पल से हटा दिया जाना, ऐसी सबसे अच्छी बात थी जो कि मेरे लिए कभी हो सकती थी. सफल होने का बोझ फिर से खाली होने के भाव से भर गया और मैंने जीवन के सबसे अधिक रचनात्मक दौर में प्रवेश किया.

अगले पाँच वर्षों के दौरान मैंने कंपनी नेक्सट और पिक्सर शुरू की और मुझे एक सुंदर महिला से प्यार हुआ जो कि मेरी पत्नी बनी. पिक्सर ने दुनिया की सबसे पहली कम्प्यूटर एनीमेटेड फीचर फिल्म 'टॉय स्टोरी' बनाई और अब यह दुनिया का सबसे सफल एनीमेशन स्टूडियो है.

एक असाधारण घटना के तहत एप्पल ने नेक्सट को खरीद लिया और मैं फिर एप्पल में वापस आ गया. हमने नेक्सट में जो तकनीक विकसित की, वह एप्पल के वर्तमान पुनर्जीवन की आधारशिला है. इसी के साथ ही लॉरीन और मेरा परिवार भी बढ़ा.

यह बात मैं सुनिश्चित तौर पर मानता हूँ कि अगर मुझे एप्पल से हटाया नहीं जाता तो ऐसा कुछ भी नहीं हो रहा होता. यह एक स्वाद में बुरी दवा थी लेकिन मरीज को इसकी सख्त जरूरत थी. कभी-कभी आपको जीवन में ठोकरें भी खानी पड़ती हैं लेकिन हिम्मत ना हारें.

मुझे विश्वास है कि जिस चीज ने मुझे लगातार क्रियाशील बनाए रखा था, वह अपने काम के प्रति मेरा प्यार था. आपको जीवन में यह पता लगाना होता है कि आप किस काम से प्यार करते हैं. यह बात काम को लेकर भी उतनी ही सच है, जितनी कि जीवन में प्रेमी-प्रेमिकाओं को लेकर होती है. 
आपका काम एक ऐसी चीज है जो कि आपके जीवन के एक बड़े खाली हिस्से को भरता है. महान काम करने की एकमात्र शर्त यही है कि आप अपने काम से प्यार करें. अगर आपको इसका पता नहीं है तो पता लगाते रहिए. दिल के सारे मामलों में आपको पता लगेगा कि यह आपको कब मिलेगा. जैसे-जैसे समय निकलता जाता है इसके साथ आपका रिश्ता बेहतर होता चला जाता है, इसलिए रुकें नहीं इसकी खोज करते रहें.

तीसरी कहानी मौत के बारे
जब मैं सत्रह वर्ष का था, तब मैंने एक कथन पढ़ा था जो कुछ इस प्रकार था- 'अगर आप अपने जीवन के प्रत्येक दिन को अंतिम दिन मानकर जीते हैं तो किसी दिन आप निश्चित तौर पर सही सिद्ध होंगे.' इसका मुझ पर असर पड़ा और जीवन के पिछले 33 वर्षों में मैंने प्रत्येक दिन शीशे में अपने आप को देखा और अपने आप से पूछा कि 'अगर यह जीवन का आखिरी दिन हो, क्या मैं वह सब करूँगा जो कि मुझे आज करना है. और जब कई दिनों तक इस प्रश्न का उत्तर नकारात्मक रहा तो मुझे पता लगा कि मुझे कुछ बदलने की जरूरत है.'

मैंने अपने जीवन के सबसे बड़े फैसलों को करते समय, मैंने अपनी मौत के विचार को सबसे महत्वपूर्ण औजार बनाया क्योंकि मौत के सामने सभी बाहरी प्रत्याशाएं, सारा घमंड, असफलता या व्याकुलता का डर समाप्त हो जाता है और जो कुछ वास्तविक रूप से महत्वपूर्ण है, बचा रह जाता है. मैं सोचता हूँ कि जब आप याद रखते हैं कि आप मरने वाले हैं तो आपका सारा भय समाप्त हो जाता है कि आप कुछ खोने वाले हैं. जब पहले से ही आपके पास कुछ नहीं है तो क्यों ना अपने दिल की बात मानें. 
करीब एक वर्ष पहले मेरा कैंसर का इलाज हुआ. सुबह साढ़े सात बजे स्कैन किया गया और इसमें स्पष्ट रूप से पता लगा कि मेरे पैंक्रीएस में एक ट्यूमर है. मुझे पता नहीं था कि पैंक्रीएस कैसा होता है. डॉक्टरों ने मुझे बताया कि यह एक प्रकार का कैंसर है, जो कि असाध्य है और मैं तीन से छह माह तक ही जीवित रहूँगा. मेरे डॉक्टर ने सलाह दी कि मैं अपने अधूरे कामकाज निपटाऊँ. डॉक्टर ने कहा कि अपने बच्चों को जो आप दस साल में बताने वाले हैं, उन बातों को कुछेक महीनों में बताएँ. इसका अर्थ है कि पहले से तैयार हो जाएँ ताकि आपके परिवार के लिए सभी कुछ सहज रहे. इसका अर्थ है कि आप अंतिम विदा लेने की तैयारी कर लें. पर डॉक्टरों ने अपने परीक्षणों में पाया कि मैं ऐसे कैंसर से पीड़ित हूँ जो कि ऑपरेशन से ठीक किया जा सकता है. मेरा ऑपरेशन किया गया और अब मैं पूरी तरह से ठीक हूँ. यह मौत के सबसे करीब होने का अनुभव था और मैं उम्मीद करता हूँ कि इस अनुभव के बाद मैं कुछेक दशक तक और जी सकता हूँ.  मैं आपसे कह सकता हूँ कि जब मौत उपयोगी हो, तब इसके करीब होने का विचार पूरी तरह से एक बौद्धिक विचार है. मरना कोई नहीं चाहता. जो लोग स्वर्ग जाना चाहते हैं, वे भी मरना नहीं चाहते लेकिन यह ऐसा गंतव्य है, जहाँ हम सबको पहुँचना ही है. कोई भी इससे नहीं बचा है और इसे जीवन की सबसे अच्छी खोज होना चाहिए. जीवन बदलाव का कारक है और पुराने के स्थान पर नया स्थान लेता है. आप लोग भी बूढ़े होंगे और इसके बाद की स्थिति से भी गुजरेंगे. 

आपका समय सीमित है, इसलिए इसे ऐसे नहीं जिएं जैसे कि किसी और का जीवन जी रहे हों. दूसरे लोगों की सोच के परिणामों से प्रभावित न हों और दूसरों के विचारों के बजाए अपने विचारों को महत्व दें. और सबसे महत्वपूर्ण बात है कि आप अपने दिल की बात सुनें. आपके दिलो दिमाग को पहले से ही अच्छी तरह पता है कि आप वास्तव में क्या बनना चाहते हैं. 

जब मैं युवा था तब एक आश्चर्यजनक प्रकाशन 'द होल अर्थ कैटलॉग' बिकता था, जो कि मेरी पीढ़ी के लिए एक महत्वपूर्ण किताब थी. इसे मेनलो पार्क में रहने वाले व्यक्ति स्टुअर्ट ब्रांड ने प्रकाशित किया था. यह साठ के दशक के अंतिम वर्षों की बात थी और तब पर्सनल कम्प्यूटर और डेस्कटॉप प्रकाशन नहीं थे लेकिन तब भी यह गूगल का पैपरबैक संस्करण था.  स्टुअर्ट और उसकी टीम ने इस किताब के कई संस्करण निकाले और जब इसका समय पूरा हो गया तो इसने अंतिम संस्करण निकाला. सत्तर के दशक के मध्य में यह अंक निकाला गया था और तब मैं आपकी आयु का था. इस पुस्तक के अंतिम पन्ने पर सुबह की एक तस्वीर थी, जिसमें ग्रामीण इलाका दर्शाया गया था. इस तस्वीर के नीचे शब्द लिखे थे 'स्टे हंग्री, स्टे फुलिश.' 
  
Source : Ravivar.com 

स्‍टीव जॉब्‍स की कहानी

ऐपल के सह-संस्थापक स्टीव जॉब्स नहीं रहे. सिलिकन वैली के एक गैराज से ऐपल कंपनी की शुरुआत करने वाले जॉब्स ने दुनिया का पहला पर्सनल कंप्यूटर बाज़ार में उतारा था. उन्होंने आईपॉड तथा आईफ़ोन जैसे कई उपकरण दुनिया को दिए. अपनी जवानी के दिनों में भारत आकर रहने और यहां रहते हुये बौद्ध धर्म से लेकर नशे की नई विधियां अपनाने वाले जॉब्स ने यह व्याख्यान 12 जून, 2005 को कैलिफोर्निया के स्टानफोर्ड यूनिवर्सिटी में दिया था.
दुनिया के सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालयों में से एक में आपके साथ होने पर मैं स्वयं को गौरवान्वित महसूस करता हूँ. मैंने कॉलेज की पढ़ाई कभी पूरी नहीं की. और यह बात कॉलेज की ग्रेजुएशन संबंधी पढ़ाई को लेकर सबसे सच्ची बात है. आज मैं आपको अपने जीवन की तीन कहानियाँ सुनाना चाहता हूँ. कोई बड़ी बात नहीं, केवल तीन कहानियां.
इनमें से पहली कहानी शुरुआत होती है. रीड कॉलेज में आरंभिक छह महीनों के बाद ही मैं बाहर आ गया था. करीब 18 और महीनों तक मैं इसमें किसी तरह बना रहा लेकिन बाद में वास्तव में मैंने पढ़ाई छोड़ दी. पैदा होने से पहले ही मेरी पढ़ाई की तैयारियाँ शुरू हो गई थीं. मेरी जन्मदात्री माँ एक युवा, अविवाहित कॉलेज ग्रेजुएट छात्रा थीं और उन्होंने मुझे किसी को गोद देने का फैसला किया. 

वे बड़ी शिद्दत से महसूस करती थीं कि मुझे गोद लेने वाले कॉलेज ग्रेजुएट हों, इसलिए जन्म से पहले ही तय हो गया था कि एक वकील और उनकी पत्नी मुझे गोद लेंगे. पर जब मैं पैदा हो गया तो उन्होंने महसूस किया था कि वे एक लड़की चाहते थे, इसलिए उसके बाद प्रतीक्षारत मेरे माता-पिता को आधी रात को फोन पहुँचा. उनसे पूछा गया कि हमारे पास एक लड़का है, क्या वे उसे गोद लेना चाहेंगे? उन्होंने जवाब दिया – ‘हाँ.मेरी जैविक माता को जब पता चला कि वे जिस माँ को मुझे गोद देने जा रही थीं, उन्होंने कभी कॉलेज की पढ़ाई नहीं की है और मेरे भावी पिता हाई स्कूल पास भी नहीं थे, तो उन्होंने गोद देने के कागजों पर हस्ताक्षर करने से मना कर दिया और वे इसके कुछ महीनों बात वे तभी इस बात के लिये तैयार हुईं कि जब मेरे माता-पिता ने उनसे वायदा किया कि वे एक दिन मुझे कॉलेज पढ़ने के लिए भेजेंगे.
सत्रह वर्षों बाद मैं कॉलेज पढ़ने गया लेकिन जानबूझकर ऐसा महंगा कॉलेज चुना जो कि स्टानफोर्ड जैसा ही महंगा था और मेरे कामगार श्रेणी के माता-पिता की सारी बचत कॉलेज की ट्यूशन फीस पर खर्च होने लगी. छह महीने बाद मुझे लगने लगा कि इसकी कोई कीमत नहीं है पर मुझे यह भी पता नहीं था कि मुझे जिंदगी में करना क्या था और इस बात का तो और भी पता नहीं था कि इससे कॉलेज की पढ़ाई में कैसे मदद मिलेगी लेकिन मैंने अपने माता-पिता के जीवन की सारी कमाई को खर्च कर दिया था. इसलिए मैंने कॉलेज छोड़ने का फैसला किया और भरोसा रखा कि इससे सब कुछ ठीक हो जाएगा. 

हालांकि शुरू में यह विचार डरावना था लेकिन बाद में यह मेरे सबसे अच्छे फैसलों में से एक रहा. कॉलेज छोड़ने के बाद मैंने उन कक्षाओं में प्रवेश लेना शुरू किया जो कि मनोरंजक लगते थे. 

उस समय मेरे पास सोने का कमरा भी नहीं था, इसलिए मैं अपने दोस्तों के कमरों के फर्श पर सोया करता था. कोक की बोतलें इकट्ठा कर खाने का इंतजाम करता और हरे कृष्ण मंदिर में अच्छा खाना खाने के लिए प्रत्येक रविवार की रात सात मील पैदल चलकर जाता. पर बाद में अपनी उत्सुकता और पूर्वाभास को मैंने अमूल्य पाया.  उस समय रीड कॉलेज में देश में कैलीग्राफी की सबसे अच्छी शिक्षा दी जाती थी. इस कॉलेज के परिसर में लगे पोस्टर, प्रत्येक ड्रावर पर लगा लेवल खूबसूरती से कैलीग्राफ्ड होता था. चूंकि मैं पहले ही कॉलेज की पढ़ाई छोड़ चुका था और अन्य कक्षाओं में मुझे जाना नहीं था, इसलिए मैंने कैलिग्राफी कक्षा में प्रवेश ले लिया.  यहाँ रहते हुए मैंने विभिन्न टाइपफेसों की बारीकियाँ जानी और महसूस किया कि यह किसी भी साइंस की तुलना में अधिक सुंदर और आकर्षक हैं. हालांकि इन बातों के मेरे जीवन में किसी तरह के व्यवहारिक उपयोग की कोई संभावना नहीं थी. लेकिन दस वर्षों के बाद मैकिंतोश के पहले कम्प्यूटर को डिजाइन करते समय हमने अपना सारा ज्ञान इसमें उड़ेल दिया. यह पहला कम्प्यूटर था, जिसमें सुंदर टाइपोग्राफी थी.
अगर मैंने इस कोर्स को नहीं किया होता तो मैक का मल्टीपल टाइपफेस इतना सुंदर नहीं होता. और चूँकि विडोंज ने मैक की नकल की, इसलिए यही संभावना थी कि किसी भी पर्सनल कम्प्यूटर में यह बात नहीं होती. अगर मैंने कॉलेज नहीं छोड़ा होता तो कैलिग्राफी क्लास में नहीं गया होता और पर्सनल कम्प्यूटरों में उतनी सुंदर टाइपोग्राफी नहीं होती, जितनी है.
जब मैं कॉलेज में था तो जीवन में आगे बढ़ने की ऐसी किसी संभावना को नहीं देख पाता लेकिन दस साल बाद बिलकुल स्पष्ट दिखाई देती थी. आम तौर पर आप भविष्य में पूर्वानुमान लगाकर आगे नहीं बढ़ सकते हैं और आप इस तरह के कदमों को अतीत से ही जोड़कर देख सकते हैं.

इसलिए आपको भरोसा रखना होगा कि ये संकेत आपको भविष्य में मददगार साबित होंगे. इन्हें आप साहस, भाग्य, जीवन, कर्म या कोई भी नाम दें लेकिन मेरे जीवन में इस प्रयोग ने कभी निराश नहीं किया और इससे मेरे जीवन में सभी महत्वपूर्ण बदलाव आए हैं. 

स्टीव जाब्स के अनमोल विचार


स्टीव जाब्स के अनमोल विचार

Quote 1: Innovation distinguishes between a leader and a follower.
In Hindi: नयी खोज एक लीडर और एक अनुयायी के बीच अंतर करती है.
Steve Jobs  स्टीव जाब्स
Quote 2: Your time is limited, so don’t waste it living someone else’s life. Don’t be trapped by dogma – which is living with the results of other people’s thinking. Don’t let the noise of other’s opinions drown out your own inner voice. And most important, have the courage to follow your heart and intuition. They somehow already know what you truly want to become. Everything else is secondary.
In Hindi :आपका समय सीमित है, इसलिए इसे किसी और की जिंदगी जी कर व्यर्थ मत कीजिये. बेकार की सोच में मत फंसिए,अपनी जिंदगी को दूसरों के हिसाब से मत चलाइए. औरों के विचारों के शोर में अपनी अंदर की आवाज़ को, अपने इन्ट्यूशन को मत डूबने दीजिए. वे पहले से ही जानते हैं की तुम सच में क्या बनना चाहते हो. बाकि सब गौड़ है.

Steve Jobs  स्टीव जाब्स

Quote 3: Design is not just what it looks like and feels like. Design is how it works.
In Hindi : डीजाइन सिर्फ यह नहीं है कि चीज कैसी दिखती या मह्शूश होती है . डिजाइन यह है कि चीज काम कैसे करती है.

 Steve Jobs  स्टीव जाब्स

Quote 4: Why join the navy if you can be a pirate?
In Hindi : जब आप समुद्री डांकू बन सकते है तो फिर नौसेना में जाने कि क्या ज़रुरत है?

Steve Jobs  स्टीव जाब्स

Quote 5 :Remembering that I’ll be dead soon is the most important tool I’ve ever encountered to help me make the big choices in life. Because almost everything — all external expectations, all pride, all fear of embarrassment or failure – these things just fall away in the face of death, leaving only what is truly important. Remembering that you are going to die is the best way I know to avoid the trap of thinking you have something to lose. You are already naked. There is no reason not to follow your heart.
 In Hindi : इस बात को याद रखना की मैं बहत जल्द मर जाऊँगा मुझे अपनी ज़िन्दगी  के बड़े निर्णय लेने में सबसे ज्यादा मददगार होता है, क्योंकि जब एक बार मौत के बारे में सोचता हूँ तब सारी उम्मीद , सारा गर्व ,असफल  होने का डर सब कुछ गायब हो जाता है और सिर्फ वही बचता है जो वाकई ज़रूरी है.इस बात को याद करना की एक दिन मरना है…किसी चीज को खोने के डर को दूर करने का सबसे अच्छा  तरीका है.आप पहले से ही नंगे हैं.ऐसा कोई कारण नहीं है की आप अपने दिल की ना सुने.

Steve Jobs  स्टीव जाब्स

Quote 6 :Be a yardstick of quality. Some people aren’t used to an environment where excellence is expected.”
In Hindi :गुणवत्ता  का मापदंड बनिए.कुछ लोग ऐसे वातावरण के आदि नहीं होते जहाँ उत्कृष्टता की उम्मीद की जाती है.

 Steve Jobs  स्टीव जाब्स

Quote 7 :A lot of companies have chosen to downsize, and maybe that was the right thing for them. We chose a different path. Our belief was that if we kept putting great products in front of customers, they would continue to open their wallets.
In Hindi :कई कम्पनियों ने छंटनी करने का फैसला किया है,शायद उनके लिए ये सही होगा.हमने अलग रास्ता चुना है.हमारा विश्वास है कि अगर हम कस्टमर के सामने अच्छे प्रोडक्ट्स रखते रहेंगे तो वो अपना पर्स खोलते रहेंगे.

Steve Jobs  स्टीव जाब्स

Quote 8 : To turn really interesting ideas and fledgling technologies into a company that can continue to innovate for years, it requires a lot of disciplines.”
In Hindi :दिलचस्प विचारों और नयी प्रौद्योगिकी को कम्पनी में परिवर्तित करना जो सालों तक नयी खोज करती रहे , ये सब करने के लिए बहुत अनुशाशन की आवश्यकता होती है.

      Steve Jobs  स्टीव जाब्स

Quote 9: You can’t just ask customers what they want and then try to give that to them. By the time you get it built, they’ll want something new.”
In Hindi : आप कस्टमर से यह नहीं पूछ सकते कि वो क्या चाहते हैं और फिर उन्हें वो बना के दें.आप जब तक उसे बनायेंगे तब तक वो कुछ नया चाहने लगेंगे.

Steve Jobs  स्टीव जाब्स

Quote 10: …because Death is very likely the single best invention of Life.
In Hindi: …क्योंकि शायद मौत ही इस जिंदगी का सबसे बड़ा आविष्कार है.
साभार- विकीपीडिया 

गम से ही जीवन का सपना सजा लिया


अभी कुछ दिनों पहले ही घर से आया हूं। घर लगभग दो वर्ष के बाद गया था। पंद्रह दिन घर में बिताए। अब गांव के माहौल भी बदल गए हैं। वे लोग शहरी सभ्‍यता अपना रहे हैं। किसी को किसी से उस तरह का संबंध नहीं रहा, जो पहले हुआ करता था। दुख हुआ मुझे यह देखकर लेकिन कुछ कर भी नहीं सकता था। नौकरी छोडने का मन जब से नौकरी ज्‍वाइन किया हूं, तब से है लेकिन अभी तक छोड नहीं पाया हूं। इसके उलट जब भी छूटने की आशंका होती है तो भगवान को मनाने लगता हूं। शादी भी हो गई है और एक बच्‍चा भी है। लोग कह रहे हैं कि बडा ही खुशहाल परिवार है। पडोसी भी कहते हैं कि अच्‍छी नौकरी है। लेकिन मेरा मन नौकरी नहीं करने की है। कोई विकल्‍प भी नहीं मिल रहा है। यह सोचकर कभी हताश और परेशान हो जाता हूं। स्‍वाभिमानी इतना हूं कि किसी से एक रुपया मांग नहं सकता हूं और इतनी सामर्थ्‍य नहीं है कि बहुत सारा पैसा कमा सकूं। बीवी कहती है कि इतने पैसे तो मेरा भाई दो दिनों में कमा लेता है तो भाभी कहती है कि इतने कम पैसों में आप कैसे रहते हैं। जबकि हकीकत यह है कि हमारे परिवार मजे से रह रहे हैं। उन्‍हें किसी प्रकार की दिक्‍क्‍त नहीं है। परेशानी सिर्फ मुझे है नौकरी करने में। आज ही स्‍टीव जॉब्‍स की जीवनी पढ रहा था। दिल को काफी सुकून मिला। अंत में यह शेर पढकर कुछ परेशानी कम करहा हूं कि

परेशानियों के दम पर टिकी है ये जिंदगी
इस गम से ही जीवन का सपना सजा लिया। 

चलो कुछ सीखते हैं

चलो कुछ सीखते हैं। दो और दो का जोड़ चार होता है, यह तो तुम्हें मालूम ही है। लेकिन एक से लेकर लगातार सात तक का जोड़ कितना होगा, यह तुम्हें कठिन लगता होगा, तो आओ मैजिक का इस्तेमाल करें। अब सवाल है 1+2+3+4+5+6+7=?  इसका उपाय है अंतिम संख्या यानी 7 में एक जोड़ दो और उसे आधा कर दो। यानी 7+1=8। अब इसे आधा कर दो। तुमने बिल्कुल सही कहा, 8 का आधा 4 होगा। इस 4 से 7 में गुणा कर दो। तुम्हें टेबल्स तो याद ही होंगे। तो 4 का टेबल 7 तक पढ़ो या 7 का टेबल 4 तक, उत्तर आएगा 28। यानी 4 गुणा 7=28। तो 1 से 7 तक का योग 28 होगा। चेक करने का मन है तो तुम इसे आराम से जोड़कर देख सकते हो। सही आया न? अब तुम 1 से लगातार 11 तक का जोड़ निकालो। 11 में एक जोड़ दो। 12 हो गया होगा। अब उसे आधा कर दो। 6 आया न? अब 6 को 11 से गुना करेंगे। टेबल से तुमको पता चल गया कि 66 होगा। तो यही तो 1 से 11 तक का जोड़ होगा। तुम्हारा सवाल होगा कि 1 से 12 तक जोड़ना हो तो क्या करेंगे, क्योंकि इसकी अंतिम संख्या 12 में एक जोड़ेंगे तो 13 होगा और 13 का आधा नहीं हो सकता। तुम 12 का आधा कर दो और 13 से गुणा कर दो।
अब कुछ गुणा का मैजिक सीख लो
किसी संख्या में 9 से गुणा करना हो तो उसके आगे एक शून्य डाल दो और उसमें से उस संख्या को घटा दो। जैसे 9 से 10 में गुणा करना हो तो 10 पर एक शून्य डाल देंगे। 10 पर एक शून्य डालने से 100 बन जाएगा और उसमें से 10 कम कर देंगे। यानी 90 हो जाएगा। लेकिन 9 से 25 में गुणा करना हो तो क्या करोगे। ऐसे में 25 पर शून्य डाल दो। 250 हो गया। उसमें से 25 कम कर दो। 225 हो गया। 25 में 9 से गुणा करने पर 225 ही आएगा।
यह भी सीखो
अब एक अलग तरह का जोड़ करना सीखते हैं। 3,5,7,9,11 को जोड़ना हो तो क्या करोगे। यानी 3+5+7+9+11=? इसका नियम अलग है। आओ इसका नियम सीखते हैं। तुम पहले और अंतिम अंक को जोड़ दो। यानी 3 और 11 को जोड़ दो। 14 हो गया, बिल्कुल सही कहा। अब इसका आधा तो तुम अंगुली पर ही कर दोगे। हां, बिल्कुल सही कहा, इसका आधा 7 होगा। अब जरा देखो तो 3 से 11 तक कुल कितनी संख्या है। 3,5,7,9,11 यानी कुल 5 संख्या है। तो इस 5 से 7 को गुणा कर दो, तुम्हें सवाल का जवाब मिल जाएगा। तुमने टेबल की सहायता से जान लिया कि इसका जवाब 35 होगा, है न। तुम्हारा यह जवाब बिल्कुल सही है।  इसी तरह दूसरा प्रयोग करके देखो।  3+7+11+15=? इसमें क्या करेंगे? 15 में 3 जोड़ देंगे। तो 18 हो जाएगा। अब इसे आधा कर देंगे तो 9 हो गया। इसमें कुल संख्या 4 है यानी 3, 7, 11, 15। तो 9 को 4 से गुना कर देंगे। जवाब है 36। इसी तरह 2+10+18+26 का जवाब निकालो। 26 में 2 जोड़ देंगे और उसे आधा कर देंगे। इसमें भी संख्या 4 ही हैं। 26 में 2 जोड़ेंगे तो 28 होगा। उसे आधा करेंगे तो 14।  14 को 4 से गुना करेंगे, 56 हो जाएगा, जो सही उत्तर है। ध्यान रखना है कि दो संख्या के बीच का अंतर बराबर हो तो यह मैजिक काम करेगा।
टेबल का जोड़ निकालो
अब जरा सोचो, जब तुम किसी टेबल का जोड़ तुरंत कर दोगे तो टीचर कितने खुश होंगे! तो आओ टेबल का जोड़ निकालना भी सीखते हैं। एक तरीका है कि जिस टेबल का तुम्हें जोड़ निकालना हो उससे 55 में गुणा कर दो। यानी 2 के टेबल का जोड़ निकालना हो तो 55 में 2 से गुना कर दो। 110 हो जाएगा। 3 के टेबल का जोड़ निकालना हो तो 55 में 3 से गुणा कर दो। 165 हो जाएगा। 9 के टेबल का जोड़ निकालने के लिए 55 में 9 से गुना कर देंगे। रिजल्ट होगा 495। इस फॉमरूला से तुम 19 तक का जोड़ बड़ी आसानी से निकाल सकते हो। 55 क्या है। दरअसल 1 से 10 तक का योग है 55। एक के टेबल का योग है 55।
जब दो बराबर संख्या को गुणा करना हो
जैसे 15 में 15 से, 25 में 25 से, 45 में 45 से या 95 में 95 से गुणा करेंगे तो कितना होगा। इसके लिए तुम इकाई स्थान के दोनों 5 को गुणा कर लो। 5 को 5 से गुणा करोगे तो 25 होगा। इसे याद रखना है। अब दहाई के स्थान की किसी एक संख्या में एक बढ़ाकर दूसरे से गुणा कर 25 के पहले रख दो। इस नियम से 15 को 15 से गुणा करो। 225 हुआ न? बिल्कुल सही है। तुमने क्या किया है? 5 को 5 से गुणा कर दिया तो 25 हो गया। अब दहाई के स्थान पर 1 है तो उसमें एक बढ़ाकर दूसरे एक से गुणा कर देंगे। एक में एक बढ़ाएंगे तो 2 हो जाएगा। उसे एक से गुणा करेंगे तो 2 ही होगा। इस 2 को 25 के पहले रख देंगे तो 225 हो जाएगा। इस मैजिक से 25 और 25 का गुणा करो। 25 को तो लिख लेंगे या दिमाग में रख लेंगे। इसमें दहाई स्थान पर 2 है। दो में एक बढ़ाएंगे तो तीन हो जाएगा, जिसे दूसरे 2 से गुणा कर देंगे। गुणा करने के बाद 6 आएगा। इस 6 को उस 25 के पहले रख देंगे तो 625 हो जाएगा।
हिंदुस्‍तान से साभार

वर्ग करने के लिए एक आसान विधि


जिन संख्याओं के पीछे 5 आता है उन का वर्ग करने के लिए एक आसान विधि का यहाँ वर्णन है| 

जैसे 15 का वर्ग 15 x 15= 225

इकाई का अंक 1 और इकाई के अंक से 1 ज्यादा यानी 2 की गुणा 

1 x (1+1)= 1 x 2=2 लेकर और दायीं तरफ हर बार 25 ही होगा =225

अब 2-5 का वर्ग,

2 x (2+1)= 2 x 3=6 बाद में 25 यानी हो गया 625

अब 35 का वर्ग,

3 x (3+1)= 3 x 4=12 बाद में 25 यानी हो गया 1225  

अब 45 का वर्ग,

4 x (4+1)= 4 x 5=20 बाद में 25 यानी हो गया 2025

अब 55 का वर्ग,

5 x (5+1)= 5 x 6=30 बाद में 25 यानी हो गया 3025

अब 65 का वर्ग,

6 x (6+1)= 6 x 7=42 बाद में 25 यानी हो गया 4225  

(n5)= n x (n+1) बाद में 25 यानी हो गया = {n x (n+1)} व 25 
जहां n=1,2,3,4,5 ------------

पहाड़े किस प्रकार लिखते हैं।


हमारे देश में गणित को हम हमेशा कठिन विषय मानते हैं पर यह बात गलत है। गणित से सरल कोई विषय नहीं है। 

गणित के ही शब्द में उसका अर्थ छुपा है। मैं आपको बताना चाहता हूं कि गणित में पहाड़े किस प्रकार लिखते हैं। 

छोटी क्लास के बच्चों को पहाड़े कठिन पड़ते हैं। पर उनको सरल बनाया जा सकता है। 

माना आपको 12 तक पहाड़े याद हैं। उसके बाद आपको 13 का पहाड़ा लिखना है तो आप 12 के पहाड़े के प्रत्येक अंक में 1 से 10 तक की गिनती जोड़ते जाओ तो आगे के पहाड़े बनते जाएंगे। 

जैसे -
12 13
24 26
36 39
48 52
60 65
72 78
84 91
96 104
108 117
120 130 

श्रीराम श्रीकार