आजकल के बच्चे इतने इंटेलिजेंट होते हैं कि अगर उन्हें सही ’िाक्षा दी जाए तो सुपरमैन बन सकता है...
वैभव टीवी देख रहा था! कभी डोरे माम तो कभी कार्टून चैनल ही देखता था! अगर कोई पूछता कि तुम क्या बनना चाहते हो, तो तपाक से बोलता कि मैं सुपरमैन बनना चाहता हूं! उसके घर में सभी लोग काफी खु’ा हो जाते और दादा जी को समझ में नहीं आता कि इस बच्चे को कैसे आगे बढाया जाए! दरअसल,वे पुराने खयालात के आदमी थे! उनके समय में टीवी का प्रचलन नहीं था! रेडियो भी सभी के घरों में नहीं रहता था! जिसके घर में रेडियो रहता था, उसे अमीर और रसूखदार माना जाता था! जब किसी लडके की ’ाादी के बात होती थी, दहेज में रेडियो अव’य मांगा जाता था!
दादा जी कहते हैं कि उस समय इस तरह 24 घंटा न्यूज सुनने को नहीं मिलते थे, फिर भी हमलोगों को यह याद रहता था कि किस राज्य में किस दल की सरकार है और कौन इसका मुखिया है! वे कहते हैं कि आज का वातारण और सुविधा हमलोगों से भिन्न है, फिर आज का बच्चा उतना तेज नहीं हैं, जितना हमलोग हुआ करते थे! दादा जी अपने जमाने में बहुत तेज स्टूडेंट थे! उनकी आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी और उनकी पढाई खेती पर निर्भर थी! कहते हैं कि उस समय कोई स्कूल का कपडा नहीं होता था! लोगों को पहनने के लिए कपडे तक नहीं होते थे और किसी तरह स्कूल जाते थे! आज का जमाना तो पूरी तरह बदल गया है! हमलोगों के समय में अंगzेजी स्कूल भी नहीं होता था, फिर भी अंगzेजी अच्छी थी और मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि आज का बच्चा मुझसे बेहतर अंगzेजी न लिख सकता है और न ही बोल सकता है! खैर वह जमाना दूसरा था! फिर वह वैभव को समझाने लगे कि वैभव सुपर मैन कोई नहीं होता है, जो तुम बनना चाहते हो! बनना हो, तो आईएएस बनो, इंजीनियर बनो या डाWक्टर! मुझे इनमें से कुछ नहीं बनना है! बनना है तो सिर्फ सुपर मैन! समझे आप... सुपर मैन बनकर आपको आका’ा में लेकर उड जाउंगा और भगवान की पूजा आप रोज करते हैं, तो भगवान के पास पहुंचा दूंगा और फिर मम्मी को बहुत सारा सामान बाजार से खरीद दूंगा! दादा जी सीरियस हो गये और सोचने लगे कि सुपर मैन का यही अर्थ होता है ? यस दादा जी, सुपर मैन का मतलब ही यही होता है कि कोई भी काम उसके लिए असंभव नहीं हो! दादाजी अपने अनुभव का इस्तेमाल करते हुए बोले कि यस सुपरमैन का मतलब यही होता है! इस कारण तुम पढकर आईएएस बन जाओ! इस पर तापाक से वैभव बोला कि हमारी उमz नहीं है अभी दादा जी आईएएस बनने का! उमz तो खेलने का है! दादी ने हमें यही बताई!उसका उत्तर सुनकर दादा और दादी दोनों खु’ा हो गये और एक साथ बोले कि मेरा पोता है सुपरमैन!
दादा जी कहते हैं कि उस समय इस तरह 24 घंटा न्यूज सुनने को नहीं मिलते थे, फिर भी हमलोगों को यह याद रहता था कि किस राज्य में किस दल की सरकार है और कौन इसका मुखिया है! वे कहते हैं कि आज का वातारण और सुविधा हमलोगों से भिन्न है, फिर आज का बच्चा उतना तेज नहीं हैं, जितना हमलोग हुआ करते थे! दादा जी अपने जमाने में बहुत तेज स्टूडेंट थे! उनकी आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी और उनकी पढाई खेती पर निर्भर थी! कहते हैं कि उस समय कोई स्कूल का कपडा नहीं होता था! लोगों को पहनने के लिए कपडे तक नहीं होते थे और किसी तरह स्कूल जाते थे! आज का जमाना तो पूरी तरह बदल गया है! हमलोगों के समय में अंगzेजी स्कूल भी नहीं होता था, फिर भी अंगzेजी अच्छी थी और मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि आज का बच्चा मुझसे बेहतर अंगzेजी न लिख सकता है और न ही बोल सकता है! खैर वह जमाना दूसरा था! फिर वह वैभव को समझाने लगे कि वैभव सुपर मैन कोई नहीं होता है, जो तुम बनना चाहते हो! बनना हो, तो आईएएस बनो, इंजीनियर बनो या डाWक्टर! मुझे इनमें से कुछ नहीं बनना है! बनना है तो सिर्फ सुपर मैन! समझे आप... सुपर मैन बनकर आपको आका’ा में लेकर उड जाउंगा और भगवान की पूजा आप रोज करते हैं, तो भगवान के पास पहुंचा दूंगा और फिर मम्मी को बहुत सारा सामान बाजार से खरीद दूंगा! दादा जी सीरियस हो गये और सोचने लगे कि सुपर मैन का यही अर्थ होता है ? यस दादा जी, सुपर मैन का मतलब ही यही होता है कि कोई भी काम उसके लिए असंभव नहीं हो! दादाजी अपने अनुभव का इस्तेमाल करते हुए बोले कि यस सुपरमैन का मतलब यही होता है! इस कारण तुम पढकर आईएएस बन जाओ! इस पर तापाक से वैभव बोला कि हमारी उमz नहीं है अभी दादा जी आईएएस बनने का! उमz तो खेलने का है! दादी ने हमें यही बताई!उसका उत्तर सुनकर दादा और दादी दोनों खु’ा हो गये और एक साथ बोले कि मेरा पोता है सुपरमैन!