हमें मेक इन इंडिया को भी गौर से देखना चाहिए और ठोक बजाकर अमेरका से सौदा करना चाहिए! तभी मोदी सच्चे अर्थों में बनिया कहलाएंगे और सन आWफ सरदार कहलाने के भागी बनेंगे अन्यथा भारत में एक ही सरदार रहेंगे और उन्हें अमर रखने के लिए स्टेच्यू पर सभी पैसे खर्च करने पडेंगे! और सभी लोग सन आWफ सरदार न बनकर मेड इन स्टेच्यू आWफ सरदार ही बनने में ही मस्त रहेंगे! मेक इन इंडिया जय जवान जय किसान की तरह नारा बनकर ही रह जाएगा और निर्मल गंगा लगातार स्वच्छता अभियान मेें निर्बल ही बनती जाएगी और बेचारा लोग मरने के बाद भी गंगा में पानी के अभाव में कzेन से मलबे के रूप में फेंके जाएंगे! क्योंकि यह तो तय है कि जिंदा लोग भले ही गzंगा नहाने वहां नहीं जाएं, लेकिन मरने के बाद लोगों को स्नेह दिखाने के लिए वे अपने पैरेंटस को गंगा में डुबकी जरूर लगाएंगे! यह मानव स्वभाव है कि आदमी जिंदा रहते भले ही अपनी परंपरा की खिल्ली उडाए, लेकिन अंत में वह उसी परंपरा का पक्षपाती हो जाता है, जिसे वह उमz भर नकराता रहता है! यदि ऐसा नहीं होता तो कफन में प्रेमचंद यह कहते हुए नहीं मिलते कि समाज जिंदा व्यक्ति को तो नंगा देख सकता है, लेकिन मरने के वक्त उसे कफन न मिले, यह उसे बर्दास्त नहीं है! प्रेमचंद के स्टाइल में यदि कहें, तो भले ही जिंदा लोग गंगा का पानी पीने से खुद को परहेज करे, लेकिन भगवान को पिलाने और मरने वक्त पानी में गंगा का जल ही मांगेगे, यह तय है! और उसके बेटे उन्हें गंगा में डुबकी जरूर लगवाएंगे, क्योंकि वे भी जिंदा में उन्हें भूख से अपनी हाल पर मरने के लिए छोड दिए थे और मरने के बाद लोगों को खु’ा करने के लिए वे सभी करेंगे, जो उन्हें जिंदा रहने पर नसीब नहीं हुआ था, कुछ आंसू भी बहाएंगे और अपनी गलतियों पर परदा भी डालेंगे, तभी समाज उन्हें माफ कर सकेगा! और उनकी व्यवस्था को देखकर समाज के लोग उनका जयजयकार करेंगे और वे फूले नहंीं समाएंगे! अगर किसी कारणव’ा गंगा में उनका ’ारीर प्रवाह नहीं कर पाएंगे, तो उनका अस्थि गंगा में जरूर प्रवाहित करेंगे, यह तय है! इस तरह की धार्मिक भावना और लोगों की धारणा को समझते हुए उमा भारती पहले ही मास्टरी दिखाते हुए कह चुकी हैं कि ’ाव को गंगा में प्रवाहित किया जाए या नहीं, यह संत तय करेंगे! उन्हें पता है कि संत की संतगिरी पुरानी परंंपरा को जीवित रखने में ही है! इस कारण वे इस तरह के जोखिम नहीं ले सकते कि गंगा में प्रवाहित न किया जाए! इससे गंगा की महत्ता कम हो जाएगी और संत के गंगा स्नान की महत्ता भी!इससे गंगा स्नान पर सवालिया नि’ाान भी लग जाएगा और गंगा में प्रवाहित होने के बाद मोक्ष की प्राप्ति भी संदेह के घेरे में आ जाएगी और मोदी साहब का सरकासरी तोता यानी कि सीबीआई को यह पता लगाने के लिए न कह दिया जाए कि गंगा स्नान से मोक्ष की प्राप्ति होती है कि नहीं ? इनके दोनों हाथों में लडडू होंगे! अगर मोक्ष की प्राप्ति होती होगी, तो मोदी को यह कहने का मौका मिल जाएगा कि देखिए, नेहरू कितने चालाक थे, तभी तो वे अपना अस्थि गंगा में विसर्जित न करके खेतों में विसर्जित करने के लिए कह रहे थे, क्योंकि उन्हें मालूम था कि गंगा से मोक्ष की प्राप्ति नहीं होती है! इसके उलट अगर सही निकला तो गंगा सिर्फ हिंदुओं के लिए सुरक्षित हो जाएगा, क्योंकि मोक्ष हिंदू के लिए अनिवार्य हो जाएगा और गंगा का पानी उसे ही नसीब हो पाएगा, जो हिंदू बनेंगे! इससे हिंदू राज्य बनने में सहयोग मिलेगा, जो उनका हिडन एजेंडा है!
शनिवार, 24 जनवरी 2015
भारत में एक ही सरदार रहेंगे
हमें मेक इन इंडिया को भी गौर से देखना चाहिए और ठोक बजाकर अमेरका से सौदा करना चाहिए! तभी मोदी सच्चे अर्थों में बनिया कहलाएंगे और सन आWफ सरदार कहलाने के भागी बनेंगे अन्यथा भारत में एक ही सरदार रहेंगे और उन्हें अमर रखने के लिए स्टेच्यू पर सभी पैसे खर्च करने पडेंगे! और सभी लोग सन आWफ सरदार न बनकर मेड इन स्टेच्यू आWफ सरदार ही बनने में ही मस्त रहेंगे! मेक इन इंडिया जय जवान जय किसान की तरह नारा बनकर ही रह जाएगा और निर्मल गंगा लगातार स्वच्छता अभियान मेें निर्बल ही बनती जाएगी और बेचारा लोग मरने के बाद भी गंगा में पानी के अभाव में कzेन से मलबे के रूप में फेंके जाएंगे! क्योंकि यह तो तय है कि जिंदा लोग भले ही गzंगा नहाने वहां नहीं जाएं, लेकिन मरने के बाद लोगों को स्नेह दिखाने के लिए वे अपने पैरेंटस को गंगा में डुबकी जरूर लगाएंगे! यह मानव स्वभाव है कि आदमी जिंदा रहते भले ही अपनी परंपरा की खिल्ली उडाए, लेकिन अंत में वह उसी परंपरा का पक्षपाती हो जाता है, जिसे वह उमz भर नकराता रहता है! यदि ऐसा नहीं होता तो कफन में प्रेमचंद यह कहते हुए नहीं मिलते कि समाज जिंदा व्यक्ति को तो नंगा देख सकता है, लेकिन मरने के वक्त उसे कफन न मिले, यह उसे बर्दास्त नहीं है! प्रेमचंद के स्टाइल में यदि कहें, तो भले ही जिंदा लोग गंगा का पानी पीने से खुद को परहेज करे, लेकिन भगवान को पिलाने और मरने वक्त पानी में गंगा का जल ही मांगेगे, यह तय है! और उसके बेटे उन्हें गंगा में डुबकी जरूर लगवाएंगे, क्योंकि वे भी जिंदा में उन्हें भूख से अपनी हाल पर मरने के लिए छोड दिए थे और मरने के बाद लोगों को खु’ा करने के लिए वे सभी करेंगे, जो उन्हें जिंदा रहने पर नसीब नहीं हुआ था, कुछ आंसू भी बहाएंगे और अपनी गलतियों पर परदा भी डालेंगे, तभी समाज उन्हें माफ कर सकेगा! और उनकी व्यवस्था को देखकर समाज के लोग उनका जयजयकार करेंगे और वे फूले नहंीं समाएंगे! अगर किसी कारणव’ा गंगा में उनका ’ारीर प्रवाह नहीं कर पाएंगे, तो उनका अस्थि गंगा में जरूर प्रवाहित करेंगे, यह तय है! इस तरह की धार्मिक भावना और लोगों की धारणा को समझते हुए उमा भारती पहले ही मास्टरी दिखाते हुए कह चुकी हैं कि ’ाव को गंगा में प्रवाहित किया जाए या नहीं, यह संत तय करेंगे! उन्हें पता है कि संत की संतगिरी पुरानी परंंपरा को जीवित रखने में ही है! इस कारण वे इस तरह के जोखिम नहीं ले सकते कि गंगा में प्रवाहित न किया जाए! इससे गंगा की महत्ता कम हो जाएगी और संत के गंगा स्नान की महत्ता भी!इससे गंगा स्नान पर सवालिया नि’ाान भी लग जाएगा और गंगा में प्रवाहित होने के बाद मोक्ष की प्राप्ति भी संदेह के घेरे में आ जाएगी और मोदी साहब का सरकासरी तोता यानी कि सीबीआई को यह पता लगाने के लिए न कह दिया जाए कि गंगा स्नान से मोक्ष की प्राप्ति होती है कि नहीं ? इनके दोनों हाथों में लडडू होंगे! अगर मोक्ष की प्राप्ति होती होगी, तो मोदी को यह कहने का मौका मिल जाएगा कि देखिए, नेहरू कितने चालाक थे, तभी तो वे अपना अस्थि गंगा में विसर्जित न करके खेतों में विसर्जित करने के लिए कह रहे थे, क्योंकि उन्हें मालूम था कि गंगा से मोक्ष की प्राप्ति नहीं होती है! इसके उलट अगर सही निकला तो गंगा सिर्फ हिंदुओं के लिए सुरक्षित हो जाएगा, क्योंकि मोक्ष हिंदू के लिए अनिवार्य हो जाएगा और गंगा का पानी उसे ही नसीब हो पाएगा, जो हिंदू बनेंगे! इससे हिंदू राज्य बनने में सहयोग मिलेगा, जो उनका हिडन एजेंडा है!
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