स्टीफन हाकिंस को ले सकते हैं, उन्हें किससे प्रेरणा मिलती है और उनका कौन मार्गदर्’ाक बनता है ?उत्तर होगा कोई नहीं! क्योंकि स्टीफन हाकिंस जो भी कर रहे हैं, वे अपनी आत्मबल और खुद का अस्तित्व बचाने के लिए कर रहे हैं!मैं भी जब छोटा था, तो तालाब में नहाने के लिए दोस्तों के साथ जाते थे! पापा घर में डांटते थे कि तुम इसमें मत नहाओ! तुम्हें डूबने की आ’ांका अधिक है, क्योंकि तुम ’ारीर से विकलांग हो! ल्ेकिन उस समय मुझे लग रहा था कि मैं भले ही ’ारीर से विकलांग दिखूं, लेकिन मैं वह सभी कर सकता हंू जो मेरे दोस्त कर रहे हैं! कहीं से मुझे कोई प्रेरणा देनेवाला नहीं था, कोई आगे बढानेवाला नहीं था और न ही रास्ता दिखानेवाला था!
कल मैं टीवी पर एक न्यूज देख रहा था, उसमें यह दिखाया जा रहा था कि धनबाद की एक टीचर है, जिनके दोनों हाथ नहीं है! लेकिन अपनी जीवटता और उत्साह से टीचर हैं! वह पैरों से लिख रही है! देखकर आ’चर्य लगा और यह सोचने के लिए मजबूर हो गया कि इस तरह के लोग भी हैं, जमाने में जो आत्मबल के कारण आगे बढ रहे हैं! सोच रहा था कि आखिर यहां तक पहुंचने के लिए उन्हें किससे प्रेरणा मिली होगी और उसे किस तरह का सपोर्ट मिला होगा? मैं अनुभव से यह कह सकता हूं कि इस तरह के लोगों को कोई सपोर्ट नहीं करता है! ये खुद ही सर्पोटर होते हैं और खुद ही संरक्षक भी! इन्हें भगवान से ऐसी ’ाक्ति मिली हुई होती है कि इन्हें किसी से प्रेरणा लेने की जरूरत नहीं पडती है, क्योंकि इस तरह का कारनामा करनेवाला वह पहला होता है और उसके पास इस तरह का कोई अनुभव नहीं होता है! उदाहरण के लिए स्टीफन हाकिंस को ले सकते हैं, उन्हें किससे प्रेरणा मिलती है और उनका कौन मार्गदर्’ाक बनता है ?उत्तर होगा कोई नहीं! क्योंकि स्टीफन हाWकिंस जो भी कर रहे हैं, वे अपनी आत्मबल और खुद का अस्तित्व बचाने के लिए कर रहे हैं!मैं भी जब छोटा था, तो तालाब में नहाने के लिए दोस्तों के साथ जाते थे! पापा घर में डांटते थे कि तुम इसमें मत नहाओ! तुम्हें डूबने की आ’ांका अधिक है, क्योंकि तुम ’ारीर से विकलांग हो! ल्ेकिन उस समय मुझे लग रहा था कि मैं भले ही ’ारीर से विकलांग दिखूं, लेकिन मैं वह सभी कर सकता हंू जो मेरे दोस्त कर रहे हैं! कहीं से मुझे कोई प्रेरणा देनेवाला नहीं था, कोई आगे बढानेवाला नहीं था और न ही रास्ता दिखानेवाला था! खुद ही संरक्षक था और खुद ही मार्गदर्’ाक! इसका मतलब यह नहीं कि परिवार वाले मेरे सपोर्टर नहीं थे और मेरी अच्छी देखभाल नहीं हो रही थी! बल्कि मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि मुझे अन्य भाई बहनों से अधिक प्यार मिलता था और अच्छी सुविधा भी, जिसका मैंने काफी उपयोग किया! परिवार का सपोर्ट ही था कि मुझे पंदzह साल तक यह पता नहीं चला कि मैं विकलांग हूं और यह काम नहीं कर सकता हूं! जब मुझे इसका अहसास हुआ, तो उसके बाद हमे’ाा मेरे लिए स्पीड बzेकर का काम किया! बचपन में अनजाने में ही हमने वे कारनामे कर दिए, जो अब सोचता हूं,तो असंभव लगता है!
मैं दोस्तों के साथ
कबडडी खेलता था और किसी से भी कम नहीं था! हुआ यूं कि एक दिन मैं भी बोला कि कबडडी
खेलूंगा! खेलने के दौरान मेरी टीम हार गयी और हार का ठीकरा मुझ पर डाला गया कि इन्होंने
कुछ नहीं किया! लेकिन मेरा आत्मवि’वास सातवें आसमान पर था और मैं कहीं से भी यह
मानने के लिए तैयार नहीं था कि मैं इनलोगों से किसी भी तरह का ककमजोर हूं! हमने फिर
से मैंच खेला और जीतकर ही दम लिया! सबसे बेहतर परपफाWरमेंस मेरा रहा! मुझे अपनी उपयोगिता
और काबिलियत दिखानी थी! उस समय मेरा कोई मार्गदर्’ाक नहीं था और कोई बनाया हुआ सीधा रास्ता भी
नहीं था! खुद रास्ता बनाना था औार खुद ही उसे पार भी करना था!इसे पार करने में हमें
किसी प्रकार की परे’ाानी
भी नहीं हो रही थी, क्योंकि यह मेरा फैसला था!उसी समय मुझे यह अहसास हुआ कि अगर आप
खुद कोई फैसला लेते हैं, तो सफलता के चांसेज कई गुना अधिक बढ जाते हैं! इस तरह के अनुभव
का अभी तक उपयोग कर रहा हूं और आगे भी बढ रहा हूं! कबडउी खेलने के दौरान मुझे लगा कि
मैं खडा नहीं हो सकता हूं, लेकिन आसउट कर सकता हूं! मैं घुटने के बल पर चलता था और
इतनी स्पीड थी कि विरोधी टीम हमें छू भी नहीं पाता था और जो मुझे टारगेट करके पकडने
आते थे, तो उसके टांग पर हमारी नजर रहती थी और हमे’ाा उसका टांग पकडने की को’िा’ा करता था और हमे’ाा सफल रहता था! वह गिर
जाता था और हमारे टीम के सभी सदस्य उसे पकडकर आउट कर देते थे! यह एक अलग तरह का अनुभव
था और इस खासियत की वजह से हमें सभी टीम में जगह मिल जाता था!
जब मैं तैराक बन गया
घर से मनाही के बावजूद
नहाने जाता था और जैसे सभी दोस्त तैरने के लिए मेहनत करते थे, मैं भी करता था! इसका
सकारात्मक प्रभाव यह पडा कि मैं भी उन्हीं की तरह तैराक बन गया और कभी वह जीतता था,
तो कभी मैं! सभी को आ’चर्य लगता था कि यह लडका कैसे तैर रहा है और
मैं काफी खु’ा
होता था कि लोग मुझे देख रहे हैं! यह एक अलग तरह का अनुभव था! इसके अलावा मुझे जब कोई
देखते थे, तो मैं हमे’ाा बचने की को’िा’ा करता था, क्योंकि वे
हमे’ाा
हमें हीन या दया की भाव से ही देखते थे! ल्ेकिन नदी में तैरते हुए देखते थे, तो काफी
खु’ा
होता था! मैं बैटिंग भी करता था और अपनी टीम में बाWलिंग और फील्डिंग भी करता था! एक
रनर रखता था, जो मेरे लिए दौडता था! उसके रन आउट के चांस अधिक होते थे, इस कारण हम
रन लेने का जोखिम कम लेते थे और टीम का स्कोर बढाने के लिए चौका और छक्का पर ध्यान
देते थे! इसका लाभ यह मिला कि जब तक मैं कzीज पर रहता था, तो तेंदुलकर की तरह जीत पक्की
रहती थी और इसमें कई बार सफल भी रहा! लेग साइड इतना मजबूत था कि अगर गलती से बाWल लेग
साइड आता था, तो वो बाWल चार या सिक्स के लिए जरूर जाता था! इसी तरह के कई अनुभवों
के माध्यम से मैंे यह कह सकता हूं कि इस तरह के लोग खुद से आगे बढते हैं! उन्हें कोई
सहारा नहीं होता है, जो टूट जाते हैं, वे पिछड जाते हैं!
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