मंगलवार, 8 नवंबर 2011

प्राइड ऐंड प्रेजुडिस : जेन ऑस्टिन

19वीं सदी के शुरू के इंग्लैंड के कुलीन समाज के रहन-सहन, रीति-रिवाज, नैतिक आचरण आदि पर केंद्रित की गई यह किताब मॉडर्न पाठकों के लिए भी आकर्षण का केंद्र है। किताब कुलीन परिवार की पांच बेटियों में से दूसरे नंबर की एलिजाबेथ की कहानी कहती है। आज भी पाठकों की सबसे चहेती किताबों में से एक मानी जानेवाली इस किताब में वर्ग का फर्क खुलकर सामने आता है। अक्‍सर हम यही सोचते थे क‍ि हम भारतीयों की तरह कोई नहीं है। जेन ऑस्टन के उपन्‍यास पढने के बाद मेरा यह भ्रम टूट गया। मैं सोचने के लिए मजबूर हो गया क‍ि उनकी सोच भी हम सभी से कि‍तनी म‍िलिती जूलती है। इस उपन्‍यास को पढ1ने के बाद कलेजा मंुह को आ जाता है और एक नई सोच भी डेवलप होती है। इसके साथ ही यह भी सोचने केलिए विवश करती है क‍ि व्‍यकत‍ि किस तरह वक्‍त के सामने मजबूर हो जाता है और अंत में लाख कोशिश करने के बावजूद हारकर आदमी किस तरह की राय कायम करता है। जेन ऑस्टन के इस नॉवल को साहित्य की दुनिया में क्लासिक का दर्जा हासिल है। सन 1813 में आई इस किताब पर कई फिल्में भी बनीं लेकिन कोई भी किताब की ऊंचाइयों को नहीं छू पाई। परिजनों के आपसी जुड़ाव, प्यार, इज्जत (प्राइड) और पूर्वाग्रह (प्रेजुडिस) की यह कहानी बताती है कि प्यार किस तरह खुद पूर्वाग्रहों से दूर निकल जाता है। यह प्यार को महसूस करने, उससे इनकार करने, उसे स्वीकार करने और इन सबसे ऊपर उसकी जीत की कहानी है। किताब यह भी बताती है कि शक्ल-सूरत देखकर किसी के बारे में राय कायम नहीं करनी चाहिए। ऐसा करने पर आप धोखा खा सकते हैं। नॉवल की कहानी एलिजाबेथ के आसपास बुनी गई है, जो बेनेट परिवार की दूसरे नंबर की बेटी है। उसकी चार बहनें हैं - रहमदिल और भोलीभाली जेन, पढ़ाकू मैरी व किटी और फ्लर्ट लाडिया। मां की बहुत इच्छा है कि उसकी बेटियों की शादी खूब पैसेवाले परिवारों में हो। अपनी इस चाहत को पूरी करने के लिए वह हर मुमकिन कोशिश करती है। जब रईस मि. बिंग्ले उस इलाके में आते हैं तो मां उसे जेन की ओर आकर्षित करने की कोशिश करती है। बिंग्ले का दोस्त मि. डार्सी शुरुआत में एक घमंडी, अकड़ू और उद्देश्यहीन शख्स नजर आता है। लेकिन जब वह एलिजाबेथ (जोकि उन सबमें सबसे ज्यादा पूर्वाग्रह से पीड़ित थी) को चाहने लगता है, तो पता चलता है कि किस तरह किसी के प्यार में पड़ने पर एक पुरुष अपने तौर-तरीके और महिला अपनी सोच बदल सकती है। किताब का सबसे बड़ा सबक यह है कि कवर से किताब के बारे में राय नहीं बनानी चाहिए... यानी किसी की शक्ल देखकर आप उसके बारे में सही राय नहीं बना सकते। साथ ही, किसी के बारे में अपरिपक्व तरीके से भी राय नहीं बनानी चाहिए। किताब यह भी कहती है कि प्यार अपना रास्ता खुद तलाश लेता है, जैसे कि जेन और बिंग्ले या एलिजाबेथ और डार्सी के मामले में हुआ। किताब यह भी साबित करती है कि हर प्रेम कहानी का अपना तरीका और अपनी राह होती है। कहानी के किरदार ब्लैक एंड वाइट के बजाय ग्रे शेड वाले हैं, यानी खूबियों के साथ-साथ कमियों से भी भरे। मजेदार यह है कि हर कमी कहानी में एक दिलचस्प सिनेरियो पैदा करता है और बाद में उसकी परफेक्ट एंडिंग हो जाती है। करीब 200 साल पहले लिखे जाने के बावजूद किताब में दर्शाए गए सामाजिक दबावों को आज भी महसूस किया जा सकता है। यह हमें दिल के मामलों को हैंडल करना सिखाती है और बताती है कि आप अपने दिल की सुनें, प्यार अपनी राह खुद तलाश लेगा। यह माफ करने की सीख देती है, पूर्वाग्रहों को खत्म करने का पाठ पढ़ाती है और कहती है कि बंद दिमाग जिंदगी में मददगार साबित नहीं होता। किताब अपने परिवार को हिफाजत करने का सबक भी सिखाती है। किताब की मुख्य बातें - किसी महिला की कल्पना की रफ्तार काफी तेज होती है। वह एक पल में तारीफ से प्यार और प्यार से शादी तक छलांग लगा लेती है। - अपमान कई बार छलावा भर होता है। जरूरी नहीं है कि सामनेवाले ने हमें अपमानित करने की मंशा के साथ कोई काम किया। कई बार किसी की लापरवाही तो कई बार हमें उत्साहित करने की किसी की कोशिश भी हमें अपमान महसूस हो सकती है। - दूसरे लोग चाहते हैं कि हम उन विचारों की जिम्मेदारी लें, जिन्हें उन्होंने हमारा करार दिया है, जबकि हमने कभी उन पर गौर ही नहीं किया। - अच्छा विचार एक बार खोता है तो हमेशा के लिए खो जाता है। - हर शख्स में खास तरह की बुराई होती है। उसे पैदाइशी खोट भी कह सकते हैं और अच्छी-से-अच्छी शिक्षा उसे दूर नहीं कर सकती। - जितना ज्यादा हम दुनिया को देखते हैं, उतना ज्यादा असंतोष होता है। मानव स्वभाव की अस्थिरता के बारे में विश्वास और मजबूत होता जाता है। - सिर्फ बीते हुए कल के बारे में सोचें क्योंकि उसे याद करना हमें खुशी देता है। - अगर कोई महिला किसी पुरुष का फेवर करती है तो उसे (पुरुष) इसे महसूस कर लेना चाहिए। - हम दूसरे के घमंड को माफ कर सकते हैं, बशतेर् उसने हमारे स्वाभिमान को ठेस न पहुंचाई हो। - गर्व और अहंकार दो अलग-अलग चीजें हैं। बिना अहंकार भी कोई शख्स गर्व महसूस कर सकता है। जिसे हम गर्व मानते हैं, वह दूसरों की निगाह में अहंकार हो सकता है।

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